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दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन पर वैक्सीन बेअसर हुई तो क्या होंगे हालात?

दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन पर वैक्सीन बेअसर हुई तो क्या होंगे हालात?

दक्षिण अफ्रीका में जो नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है उसके बारे में वैज्ञानिकों को संदेह है कि मौजूदा वैक्सीन कारगर साबित नहीं होगी। ऐसे में क्या नये सिरे से वैक्सीन की ज़रूरत होगी? 

नये क़िस्म के कोरोना पर यदि मौजूदा वैक्सीन बेअसर हुई तो वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण कैसे होगा? दरअसल, दक्षिण अफ्रीका में जो नये क़िस्म का कोरोना पाया गया है उसके बारे में वैज्ञानिकों को संदेह है कि मौजूदा वैक्सीन कारगर साबित नहीं होगी। ऐसे में क्या नये सिरे से वैक्सीन की ज़रूरत होगी? और जब तक नयी वैक्सीन नहीं बन जाती है तब तक क्या दुनिया भर में कोरोना का खौफ पहले जैसे हो जाएगा? 

ब्रिटिश स्वास्थ्य सचिव मैट हैंकॉक ने कहा है कि दक्षिण अफ्रीका में पहचानी जाने वाली कोरोना की नयी क़िस्म ब्रिटेन में मिले नये क़िस्म के कोरोना से ज़्यादा संक्रामक है यानी यह एक बड़ा ख़तरा है।

बता दें कि इस ख़तरे के मद्देनज़र ही पूरे इंग्लैंड में फिर से लॉकडाउन लगाने का फ़ैसला लिया गया है। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को इसकी घोषणा की है। बुधवार से यह लागू हो जाएगा और फ़रवरी के मध्य तक रहेगा। इस लॉकडाउन में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल भी बंद रहेंगे। ब्रिटेन में इस सख़्त क़दम को तब उठाया गया है जब कोरोना संक्रमण के मामले काफ़ी ज़्यादा आने लगे हैं। ब्रिटेन में नये स्ट्रेन यानी नये क़िस्म का कोरोना संक्रमण पाया गया है। यह 70 फ़ीसदी अधिक तेज़ी से फैलता है। 

मैट हैंकॉक जिस बड़े ख़तरे की ओर इशारा कर रहे हैं उसमें इस वायरस के तेज़ी से बढ़ने के अलावा वह दूसरा कारण भी शामिल है। 

रिपोर्टों में कहा गया है कि इंग्लैंड के अधिकारियों ने तो यह साफ़ नहीं किया, लेकिन आईटीवी के राजनीतिक संपादक रॉबर्ट पेस्टन ने सरकारी वैज्ञानिकों के हवाले से इस ओर ही इशारा किया है।

पेस्टन ने कहा, 'सरकार के एक वैज्ञानिक सलाहकार के अनुसार, मैट हैंकॉक की दक्षिण अफ्रीका में नये क़िस्म के कोरोना के बारे में अविश्वसनीय चिंता का कारण यह है कि वे उतने आश्वस्त नहीं हैं कि टीके इसके ख़िलाफ़ उतने ही प्रभावी होंगे जितना कि वे ब्रिटेन के नये क़िस्म के वायरस के ख़िलाफ़ होंगे।'

 - Satya Hindi

बता दें कि सोमवार को ही हैंकॉक ने बीबीसी रेडियो को बताया, 'मैं दक्षिण अफ्रीका के नये क़िस्म के कोरोना के बारे में अविश्वसनीय रूप से चिंतित हूँ और इसीलिए हमने दक्षिण अफ्रीका से सभी उड़ानों को प्रतिबंधित करने की कार्रवाई की है।'

नये सिरे से चिंताएँ तब पैदा हो गई हैं जब कोरोना की वैक्सीन आ चुकी है। कोरोना की वैक्सीन आने से लोगों को बड़ी राहत की उम्मीद थी। लेकिन इस बीच ब्रिटेन में नये स्ट्रेन यानी नये क़िस्म के कोरोना ने लोगों में आशंकाएं पैदा कर दीं। यही वजह है कि दुनिया भर के देशों ने ब्रिटेन की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया। बाद में दक्षिण अफ़्रीका में भी एक नये क़िस्म का कोरोना संक्रमण पाया गया। धीरे-धीरे रिपोर्टें आने लगीं कि नये क़िस्म का कोरोना दुनिया के कई देशों में भी फैल चुका है। भारत में भी

ब्रिटेन में जो नये क़िस्म का कोरोना संक्रमण मिला है वही अब भारत में भी फैलने लगा है। अब तक कम से कम 58 ऐसे मामले भारत में भी आ चुके हैं। इससे यह आशंका होती है कि कहीं भारत में स्थिति न बिगड़ जाए! इसलिए देश में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।

हालाँकि वैज्ञानिकों ने कहा है कि ब्रिटेन में जो नये क़िस्म का कोरोना फैला है उस पर मौजूदा वैक्सीन प्रभावी होगी, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के बारे में संदेह है। 

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मेडिसिन के प्रोफ़ेसर और सरकार के वैक्सीन टास्कफोर्स में शामिल जॉन बेल ने रविवार को कहा कि टीके ब्रिटेन में मिले नये क़िस्म के कोरोना पर काम करेंगे, लेकिन क्या यह दक्षिण अफ़्रीका में मिले नये क़िस्म के कोरोना पर काम करेंगे, इस पर बड़ा सवालिया निशान है। उन्होंने टाइम्स रेडियो को बताया कि अगर टीका काम नहीं करता है तो शॉट्स में सुधार किया जा सकता है और एक से डेढ़ महीने का वक़्त लग सकता है।

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