बंगाल: गांगुली राजनीति में आने को तैयार नहीं, बीजेपी नाउम्मीद नहीं
पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए विपक्षी दलों के बड़े नेताओं, सेलेब्रिटीज को शामिल करने के बाद बीजेपी अब भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के पीछे पड़ी हुई है। बीजेपी चाहती है किसी भी क़ीमत पर गांगुली बीजेपी में शामिल हो जाएं लेकिन दादा के नाम से पहचाने जाने वाले सौरव इसके लिए तैयार नहीं दिखते। लेकिन बीजेपी यह तो चाहती ही है कि दादा कम से कम उसकी चुनावी रैलियों में मंच पर दिखें।
भारत के सफलतम कप्तानों में से एक गांगुली की निश्चित रूप से देश भर में लोकप्रियता है और बंगाल से आने के कारण तो अपने राज्य में है ही और बीजेपी इसका सियासी फ़ायदा उठाना चाहती है।
बीजेपी चाहती है कि दादा 7 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली में शामिल हों। लेकिन उससे पहले दादा के एक बयान के कारण उसे जोरदार झटका लगा है। दादा ने एक टीवी चैनल के इस सवाल के जवाब में कि उनके बारे में चर्चा है कि वे राजनीति में जा सकते हैं, कहा कि हर कोई हर किसी रोल के लिए नहीं होता। गांगुली ने आगे कहा कि वह एक खिलाड़ी हैं और उनसे क्रिकेट से जुड़े सवाल ही पूछे जाएं।
बीजेपी निराश
दादा के इस बयान से निराश बीजेपी ने कहा है कि यह पूर्व भारतीय क्रिकेटर पर ही निर्भर करता है कि वह कोलकाता रैली में शामिल होंगे या नहीं, अगर वह रैली में आते हैं तो हम उनका गर्मजोशी से स्वागत करेंगे। गांगुली की हाल ही में एंजियोप्लास्टी हुई थी और वे काफी दिन अस्पताल में रहे थे।
गांगुली के बीजेपी में जाने की चर्चा तब जोर से उड़ी थी जब वे बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे और गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह सचिव। लेकिन गांगुली ने ख़ुद को राजनीति से दूर ही रखा है और वह ख़ुद को खिलाड़ी के रूप में दिखाना ही पसंद करते हैं।
गांगुली के दोस्त और सीपीएम नेता अशोक भट्टाचार्य ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा कि गांगुली राजनीति में नहीं जाना चाहते और वह जो काम कर रहे हैं, उसमें ही ख़ुश हैं।
गांगुली से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता अब बगलें झांक रहे हैं। बंगाल बीजेपी के महासचिव सयानंतन बसु ने कहा कि गांगुली के बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वह रैली में आएंगे या नहीं। अगर वह आते हैं तो उन्हें और रैली में आए लोगों को भी अच्छा लगेगा। लेकिन इस बारे में फ़ैसला उन्हें ही करना है।
गांगुली कई बार अपनी प्राथमिकता को स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके लिए खेल ही सब कुछ है और वह राजनीति में नहीं आना चाहते लेकिन बावजूद इसके बीजेपी नेताओं ने हिम्मत नहीं छोड़ी है। राजनीति में किस मिनट क्या हो जाए, कोई नहीं जानता ऐसे में यह कहना बेहद मुश्किल है कि आने वाले दिनों में गांगुली अपने रूख़ पर क़ायम रहेंगे क्योंकि बीजेपी ने पूरा जोर लगाया हुआ है कि वह उसके साथ आ जाएं।
8 चरणों में होंगे चुनाव
पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में मतदान होगा। 294 सीटों वाले बंगाल में पहले चरण में 30 सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण में 30 सीटों पर 1 अप्रैल को, तीसरे चरण में 31 सीटों पर 6 अप्रैल को, चौथे चरण में 44 सीटों पर 10 अप्रैल को, पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होगा। नतीजे 2 मई को आएंगे।