चीन पर सर्वदलीय बैठक में सोनिया आक्रामक, बाक़ी विपक्षी नेता रहे नरम
लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ के मामले में प्रधानमंत्री मोदी की सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी जहाँ आक्रामक रहीं वहीं बाक़ी विपक्षी नेताओं का रूख नरम दिखा। सोनिया ने सरकार से तीखे सवाल किए हैं और कहा कि देश को भरोसा दिलाएँ कि लद्दाख क्षेत्र में पहले की स्थिति बहाल होगी और चीन पीछे हटेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस संकट के मामले में पारदर्शिता आनी चाहिए। उन्होंने आधिकारिक बयान जारी कर सरकार के सामने कई सवाल दागे। दूसरे दलों के नेताओं ने भी अपनी चिंताएँ जताईं, लेकिन उनका रूख नरम बना रहा। हालाँकि सभी नेताओं ने कहा कि इस मामले में वे सरकार के साथ हैं।
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत कई दलों के नेताओं ने भाग लिया। सोनिया गाँधी ने बैठक के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री को यह सर्वदलीय बैठक और पहले जब लद्दाख के कई क्षेत्रों में पाँच मई को चीन की घुसपैठ हो गई थी, तभी बुलानी चाहिए थी।
सोनिया गाँधी ने सर्वदलीय बैठक के दौरान केंद्र सरकार से पूछा, 'क्या सैन्य इंटेलिजेंस ने सरकार को एलएसी पर घुसपैठ और बड़े पैमाने पर बलों की तैनाती के बारे में सचेत नहीं किया, चाहे वह चीनी क्षेत्र में हो या भारतीय क्षेत्र में? सरकार के विचार में क्या इंटेलिजेंस की विफलता थी?'
कांग्रेस प्रमुख ने पूछा- "हमारे पास सरकार के लिए कुछ विशिष्ट सवाल हैं: चीनी सैनिकों ने किस तारीख़ को लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ की? सरकार को हमारे क्षेत्र में चीनी अतिक्रमण के बारे में कब पता चला? क्या यह 5 मई को था जैसा कि रिपोर्ट की गयी है, या इससे पहले? क्या सरकार को नियमित रूप से, हमारे देश की सीमाओं के उपग्रह चित्र प्राप्त नहीं होते हैं?'
सोनिया गाँधी ने कांग्रेस के समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा, 'सवाल यह है कि आगे क्या है? आगे का रास्ता क्या है? पूरा देश एक आश्वासन चाहेगा कि यथास्थिति बहाल की जाएगी और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मूल स्थिति में वापस आ जाएगा।'
सोनिया ने जोर देकर कहा कि 'मूल्यवान समय 5 मई और 6 जून के बीच बर्बाद कर दिया गया।' सोनिया ने कहा कि किसी भी ख़तरे से निपटने के लिए सुरक्षा बलों की तैयारियों के बारे में भी जानकारी दी जानी चाहिए।
शरद पवार का रूख नरम
इसके साथ ही एनसीपी प्रमुख और पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार ने कहा कि सैनिकों ने हथियार उठाए या नहीं इसका फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों से होता है और हमें ऐसे संवेदनशील मामलों का सम्मान करने की ज़रूरत है।
'सरकार के साथ हैं'
अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल ने कहा- 'स्थिति से निपटने के लिए सवाल उठाने का सही समय नहीं है। भारत पीएम के साथ है। आइए, चीन को यह संदेश दें कि हम पीएम के साथ हैं।'
जदयू प्रमुख और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा- 'चीन के ख़िलाफ़ देशव्यापी ग़ुस्सा है। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। हम साथ हैं।'
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि 'राष्ट्र एक है। पाकिस्तान और चीन की 'नीयत' अच्छी नहीं है। भारत चीन का डंपिंग ग्राउंड नहीं होगा चीनी सामानों पर 300% शुल्क लगाएँ।'
टीवी रिपोर्ट के मुताबिक़, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा- देश की अखंडता के लिए हम सरकार के साथ हैं। इसके अलावा ममता बनर्जी ने चीन के मामले पर केंद्र सरकार से पारदर्शिता की माँग की।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, 'हम सब एक हैं। यही हमारी भावना है। प्रधानमंत्री जी हम आपके साथ हैं। हम अपनी सेना और उनके परिवारों के साथ हैं।'
बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा बोले- 'हम पूरी तरह से और बिना शर्त सरकार के साथ खड़े हैं।'
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख और सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने बैठक के दौरान कहा, 'हमें प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है। इससे पहले भी जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आई है तो प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक फ़ैसले लिए हैं।'
लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ और गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के हिंसक झड़प में 20 जवानों के शहीद होने के मामले में हुई इस सर्वदलीय बैठक में भाग लेने वाले दलों के अध्यक्षों को आमंत्रित करने के लिए गुरुवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ़ोन किया था। हालाँकि अरविंद केजरीवाली की पार्टी आम आदमी पार्टी और लालू यादव की पार्टी आरजेडी को आमंत्रित नहीं किया गया।
चीन पर सर्वदलीय बैठक की घोषणा तब हुई जब सीमा विवाद बढ़ता जा रहा है और चीनी सेना की कार्रवाई का जवाब देने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री पर भी इसका दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह कुछ ठोस क़दम उठाएँ। इन्हीं दबावों के बीच ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने दो दिन पहले सर्वदलीय बैठक की जानकारी दी थी।