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केंद्र के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरेंगे 19 विपक्षी दल, दिखाएंगे एकजुटता

केंद्र के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरेंगे 19 विपक्षी दल, दिखाएंगे एकजुटता

सोनिया गांधी ने इस बैठक में संघ परिवार के एजेंडे से लड़ने के लिए सभी दलों से एकजुट होने का आह्वान किया।

साल 2014 के बाद से ही विपक्षी एकता की बाट जोह रहे कुछ राजनीतिक दलों की कोशिशों को पंख लगे हैं। शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तमाम विपक्षी दलों के नेताओं के साथ हुई बैठक में यह फ़ैसला लिया गया है कि केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ सड़कों पर एहतिजाज किया जाएगा। यह बैठक वर्चुअली हुई और इसमें 19 विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग लिया। 

सोनिया गांधी ने इस बैठक में संघ परिवार के एजेंडे से लड़ने के लिए सभी दलों से एकजुट होने का आह्वान किया। साफ है कि सोनिया गांधी की कोशिश 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट कर एक फ्रंट खड़ा करने की है, जो बीजेपी की क़यादत वाले एनडीए से दो-दो हाथ कर सके। 

बहरहाल, इस बैठक में फ़ैसला लिया गया है कि आम जनता से जुड़े 11 मुद्दों को लेकर 20 से 30 सितंबर तक लगातार प्रदर्शन किया जाएगा और इसमें ये सभी विपक्षी दल भाग लेंगे। ये प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर होगा। बैठक में सोनिया गांधी ने सभी विपक्षी दलों के नेताओं से अपील की कि वे बीजेपी के ख़िलाफ़ एकजुट हो जाएं। 

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कई बार एंटी बीजेपी फ्रंट की खुलकर हिमायत कर चुकी हैं। इसी सिलसिले में वे कुछ दिन पहले दिल्ली आई थीं और यहां उन्होंने सोनिया, केजरीवाल समेत कई विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात की थी। ममता ने कहा था कि वह हर दो महीने में दिल्ली आती रहेंगी और बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी दलों का साथ आकर क़दमताल करना बेहद ज़रूरी है। 

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विपक्षी दलों की इस बैठक से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की शरद पवार और गांधी परिवार के साथ मुलाक़ात हो चुकी है, ममता बनर्जी दिल्ली का दौरा कर चुकी हैं और दिल्ली में राष्ट्र मंच नाम के संगठन की बैठक भी हुई थी और इसमें तमाम विपक्षी दलों के नेता जुटे थे। इसके अलावा संसद के मानसून सत्र में भी यह एकजुटता कायम रही थी। 

संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के हमलों से मोदी सरकार बुरी तरह घिर गई थी। किसान आंदोलन और पेगासस जासूसी मामले ने सरकार का पीछा अभी भी नहीं छोड़ा है। मानसून सत्र के दौरान तमाम विपक्षी दलों के नेता राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखाई दिए थे। 

जेल से बाहर आए आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव ने भी बीते दिनों शरद पवार और अखिलेश यादव से मुलाक़ात कर विपक्ष की एकजुटता पर जोर दिया था। 

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कैसे बनेगी विपक्षी एकजुटता?

लेकिन सवाल यह भी है कि क्या ये विपक्षी एकजुटता सिरे चढ़ पाएगी क्योंकि सोनिया की बैठक से अखिलेश यादव की क़यादत वाली एसपी ने किनारा कर लिया था जबकि आम आदमी पार्टी, बीएसपी को बैठक में आने का निमंत्रण नहीं दिया गया था। ऐसे में विपक्षी एकजुटता पर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं, हालांकि अभी 2024 के चुनाव में वक़्त है और हालात बदलने पर ये दल भी साथ आ सकते हैं। 

बैठक में कांग्रेस के अलावा टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, शिव सेना, जेएमएम, सीपीआई, सीपीएम, नेशनल कॉन्फ्रेन्स, आरजेडी, एआईयूडीएफ़, लोकतांत्रिक जनता दल, जेडीएस, आरएलडी, आरएसपी, केरल कांग्रेस (एम), पीडीपी और आईयूएमएल शामिल हुए। कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी के अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सांसद राहुल गांधी भी बैठक में मौजूद रहे। 

2022 है अहम 

लेकिन 2024 में बीजेपी को चुनौती देने लायक स्थिति में पहुंचने से पहले विपक्षी दलों को 2022 में अपने आप को साबित करना होगा। 2022 में सात राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं जिनमें 5 राज्यों के चुनाव तो फरवरी-मार्च में ही हैं। इन राज्यों में ख़राब प्रदर्शन की सूरत में थर्ड फ्रंट या एंटी बीजेपी फ्रंट बीजेपी के सामने टिक नहीं पाएगा। 

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