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विशेष सत्र में कोई एजेंडा नहीं, विपक्ष के मुद्दों पर बहस हो: सोनिया

विशेष सत्र में कोई एजेंडा नहीं, विपक्ष के मुद्दों पर बहस हो: सोनिया

मोदी सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में आख़िर किन मुद्दों पर बहस होगी? यदि मुद्दे तय नहीं हैं तो क्या आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बहस होगी? जानिए सोनिया गांधी ने क्या लिखा।

मोदी सरकार द्वारा बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिखा है। उन्होंने संसद के आगामी पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान मणिपुर में हिंसा और केंद्र-राज्य संबंधों सहित कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की। ख़त में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि यह सत्र बिना किसी वार्ता के मनमाने ढंग से बुलाया गया है।

कांग्रेस नेता ने लिखा, 'मुझे यह बताना चाहिए कि यह विशेष सत्र अन्य राजनीतिक दलों के साथ किसी परामर्श के बिना बुलाया गया। हममें से किसी को भी इसके एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हमें बस इतना बताया गया है कि सभी पांच दिन सरकारी कामकाज के लिए आवंटित कर दिए गए हैं।' यह कहते हुए कि कांग्रेस निश्चित रूप से आगामी सत्र में भाग लेना चाहती है, सोनिया ने आम लोगों से जुड़ी चिंताओं और मामलों को सूचीबद्ध किया है और कहा है कि उम्मीद है कि इस पर चर्चा की जाएगी।

सोनिया ने पत्र में इन 9 मुद्दों का ज़िक्र किया

  • महंगाई, बेरोजगारी और MSMEs पर चर्चा हो। 
  • सरकार ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की बात की थी, उसकी मौजूदा स्थिति पर बात हो। 
  • अडानी मामले में जेपीसी की मांग पर चर्चा हो। 
  • जातीय जनगणना और जनगणना पर चर्चा हो। 
  • संघीय ढांचों पर हो रहे हमले और गैर-बीजेपी शासित राज्यों को उनके अधिकारों से वंचित किए जाने पर चर्चा हो। 
  • हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ जैसी आपदा और कई राज्यों में बनी अत्यधिक सूखे की स्थिति पर बात हो। 
  • लद्दाख-अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर चीन के अतिक्रमण पर चर्चा हो। 
  • हरियाणा जैसे अनेक राज्यों में फैले साम्प्रदायिक तनाव पर बात हो। 
  • मणिपुर की हिंसा पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे।

सोनिया गांधी द्वारा भेजे गए ख़त को लेकर कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें जयराम रमेश ने कहा कि आज सुबह सोनिया गांधी जी ने प्रधानमंत्री मोदी को ख़त लिखा है। उन्होंने कहा, "सोनिया जी ने ख़त में लिखा है कि 'विशेष सत्र से पहले पार्टियों से बात कर एक कार्य सूची तैयार की जाती है, लेकिन इसकी जानकारी हमारे पास नहीं है। बुलेटिन के विशेष सत्र में पांचों दिन सरकारी बिजनेस की बात लिखी गई है, जो नामुमकिन है। हमने ठाना है कि जो मुद्दे हम पिछली बार नहीं उठा पाए थे, इस बार उठाएंगे'।"

जयराम रमेश ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि यह विशेष सत्र सिर्फ सरकारी एजेंडा के आधार पर नहीं होगा। अगर यह विशेष सत्र सरकारी एजेंडा के आधार पर है तो हम इसे स्वीकार नहीं करगें, यह परम्परा के खिलाफ है।'

विशेष सत्र को लेकर ही विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों की एक बैठक मंगलवार की रात कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई थी। बैठक में संसद के आगामी विशेष सत्र को लेकर विपक्ष की रणनीतियों पर चर्चा हुई। 

इसमें विपक्षी नेताओं ने एक स्वर में कहा है कि संसद का विशेष सत्र बुलाने की घोषणा केंद्र सरकार ने कर दी है, लेकिन यह विशेष सत्र क्यों बुलाया जा रहा है इसकी जानकारी सरकार ने अब तक नहीं दी है। 

उन्होंने कहा है कि भाजपा पारदर्शिता दिखाए और देश को अवगत कराए कि इस विशेष सत्र का एजेंडा क्या है। बैठक में विपक्षी नेताओं ने कहा कि हम देश के हित में, वर्तमान की मूल समस्याओं के हल के लिए एक सकारात्मक सत्र चाहते हैं।

बता दें कि केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पिछले गुरुवार को 18-22 सितंबर तक संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के बारे में जानकारी दी थी। हालाँकि, विशेष सत्र का एजेंडा अभी तक सामने नहीं आया है।

जोशी ने सोशल मीडिया ऐप एक्स पर पुराने संसद भवन और नए भवन की एक तस्वीर भी पोस्ट की थी, जिसका उद्घाटन 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। विशेष सत्र की घोषणा राजनीतिक हलकों में चौंकाने वाली रही, क्योंकि पार्टियां इस साल के अंत में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही हैं। संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू होता है।

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