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सोनभद्र नरसंहार: डैमेज कंट्रोल में योगी सरकार, प्रियंका हिरासत में

सोनभद्र नरसंहार: डैमेज कंट्रोल में योगी सरकार, प्रियंका हिरासत में

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में आदिवासियों के सामूहिक नरसंहार के बाद अब डैमेज कंट्रोल में योगी सरकार जुट गई है। प्रियंका को हिरासत में लिया गया, सपा प्रतिनिधिमंडल को रोका गया और मामले में कार्रवाई की गई।

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में आदिवासियों के सामूहिक नरसंहार के बाद घटनास्थल पर जा रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इसके साथ ही प्रियंका को चुनार क़िले में भेज दिया गया है। इस नरसंहार को लेकर काफ़ी किरकिरी होने के बाद हरकत में आयी योगी सरकार ने मुख्य अभियुक्त सहित 29 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है। मृतकों के परिजनों को पाँच-पाँच लाख रुपये और घायलों को 50000 रुपये का एलान मुख्यमंत्री ने किया है। सोनभद्र में पुलिस क्षेत्राधिकारी, एसडीएम व घोरावल के थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया है।

इधर, हिरासत में लिए जाने से पहले प्रियंका ने बीएचयू अस्पताल में जाकर सोनभद्र के घोरावल थानांतर्गत उम्भा गाँव में आदिवासियों की ज़मीन पर कब्ज़े को लेकर हुए गोलीकांड के घायलों से मुलाक़ात की। वहाँ से घटनास्थल के लिए जाते समय प्रियंका को रास्ते में नारायणपुर में पुलिस ने रोक कर वापस जाने को कहा। नाराज़ प्रियंका वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गयीं जिन्हें बाद में हिरासत मे लेकर चुनार भेजा गया।

हिरासत में लिए जाने से पहले प्रियंका ने कहा कि बीजेपी सरकार की तानाशाही से कांग्रेस लड़ेगी और हम जनता के हितों को लेकर झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आम आदमी की आवाज़ उठाने पर गिरफ़्तारी यही बीजेपी के लोकतंत्र की परिभाषा है।

प्रियंका गाँधी के बाद सपा के प्रतिनिधि मंडल को भी सोनभद्र जाने से प्रशासन ने रोक दिया। सोनभद्र जा रहे सपा प्रतिनिधि मंडल को ज़िला प्रशासन ने रोका और इस दौरान भारी पुलिसबल तैनात रहा। सोनभद्र के कनाहरी प्राइमरी स्कूल में प्रतिनिधि मंडल के सभी सदस्यों को नज़रबंद कर दिया गया।

विधानसभा में बवाल, योगी को नहीं बोलने दिया

सोनभद्र कांड को लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। नाराज़ विपक्ष वेल में आया, बैनर व पोस्टर लहराए और जमकर नारेबाज़ी की। विपक्ष के हंगामे के चलते नेता सदन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी बात तक नहीं कह सके। बाद में सदन के बाहर योगी ने पूरी घटना के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को दोषी बताया और कहा कि लापरवाही बरतने वाले पुलिस व ज़िला प्रशासन के अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है। उन्होंने कहा कि दो सदस्यीय उच्चाधिकारियों की टीम मामले की जाँच कर रिपोर्ट देगी। योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार इस मामले पर बड़े स्तर से जाँच करा रही है और जो भी ज़िम्मेदार होगा उन सबकी जवाबदेही तय की जाएगी। आगे भी सरकार दोषियों पर बड़ी कार्रवाई करेगी। उधर विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के चलते प्रश्नकाल नहीं हो सका और सदन को दोपहर तक स्थगित करना पड़ा। नाराज़ विधानसभा स्पीकर हृदयनारायण दीक्षित ने विपक्ष से बैनर पोस्टर अपने कार्यालय में ले जाने को कहा।

आदिवासियों की बेदखली का खेल

उम्भा गाँव में बुधवार दोपहर हुए ख़ूनी संघर्ष के बिहार प्रान्त के रहने वाले बंगाल कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी प्रभात कुमार मिश्रा का नाम सामने आ रहा है। आईएएस ने यहाँ आदिवासियों के कब्ज़े में रही 90 बीघा ज़मीन को को-ऑपरेटिव सोसाइटी के नाम करा लिया था। उस समय तहसीलदार के पास नामांतरण का अधिकार नहीं था, लिहाज़ा नाम नहीं चढ़ सका। इसके बाद सात सितंबर 1989 को आईएएस ने अपनी पत्नी व बेटी के नाम ज़मीन करवा ली। आईएएस की बेटी इस ज़मीन पर हर्बल खेती करवाना चाहती थी। लेकिन ज़मीन पर कब्ज़ा न मिलने की वजह से उसका प्लान फ़ेल हो गया। नियम है कि सोसाइटी की ज़मीन किसी व्यक्ति के नाम नहीं हो सकती। इसके बाद आईएएस ने विवादित ज़मीन में से काफ़ी बीघा ज़मीन मूर्तिया गाँव के प्रधान यज्ञदत्त सिंह भूरिया को औने-पौने दाम पर बेच दी। हालाँकि ज़मीन पर आदिवासियों का कब्ज़ा आज भी बरकरार रहा। लेकिन पटना से आईएएस का एक शख्स जिसका नाम धीरज बताया जा रहा है, वह हर साल प्रति बीघे लगान भी वसूलने आता था।

लाशें बिछाने, दहशत फैलाने के इरादे से आए थे भूमाफिया

मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान यज्ञदत्त बुधवार को दर्जनों ट्रैक्टर ट्राली व ट्रकों में भरकर क़रीब 150 लोगों को लेकर घोरावल थाना इलाक़े उम्भा गाँव पहुँचा था। आरोप है कि इन लोगों के पास लाठी डंडा, गंड़ासे व अवैध तमंचे थे। प्रधान ट्रैक्टरों से खेत की जबरन जुताई करवाने लगा। यह देख ग्रामीणों ने विरोध किया तो प्रधान के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक़, इस दौरान हमलावरों ने सामने आने वाले ग्रामीणों को गंड़ासे से काट डाला। क़रीब सैकड़ों राउंड फ़ायरिंग हुई। फ़ायरिंग में गोली लगने व गंड़ासे से घायल ग्रामीणों की लाशें खेत में चारों तरफ गिरती चली गईं। लोगों का कहना है कि, ओबरा-आदिवासी बहुल जनपद में सदियों से आदिवासियों के जोत को तमाम नियमों के आधार पर नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है। सर्वे होने के बाद अधिकारियों की संवेदनहीनता उन्हें भूमिहीन बनाती रही है। इलाक़े में रसूखदार लोग इस तरह की काफ़ी ज़मीनों पर अवैध तरीक़े से काबिज हैं।

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