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हेट स्पीच, इंटरनेट बैन, पत्रकारों के उत्पीड़न पर मुखर हुईं सोनाक्षी

हेट स्पीच, इंटरनेट बैन, पत्रकारों के उत्पीड़न पर मुखर हुईं सोनाक्षी

बॉलीवुड की कई हस्तियों से लेकर खेल जगत के सितारों ने भी सरकार के सुर में सुर मिलाया लेकिन बॉलीवुड में ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सरकार की राय से इत्तेफ़ाक नहीं रखते। 

किसान आंदोलन के समर्थन में पर्यावरणविद ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) और पॉप स्टार रियाना (रिहाना) के ट्वीट करने के बाद मोदी सरकार के मंत्रियों और बीजेपी के नेताओं ने इसे भारत के अंदरुनी मामलों में दख़ल और देश के ख़िलाफ़ साज़िश बताया। बॉलीवुड की कई हस्तियों से लेकर खेल जगत के सितारों ने भी सरकार के सुर में सुर मिलाया लेकिन बॉलीवुड में ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सरकार की राय से इत्तेफ़ाक नहीं रखते। 

बात हो रही है बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी और बॉलीवुड की दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा की। सोनाक्षी ने इंस्टाग्राम पर खुलकर अपनी बात को रखा है। 

सोनाक्षी ने लिखा है, ‘मानवाधिकारों के उल्लंघन, इंटरनेट और अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने, हेट स्पीच और ताक़त का ग़लत इस्तेमाल करने को लेकर आवाज़ उठ रही है।’ 

सोनाक्षी ने आगे लिखा है, ‘पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। इंटरनेट को बंद किया जा रहा है। सरकार और मीडिया द्वारा चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के जरिये प्रदर्शनकारियों को बदनाम किया जा रहा है।’

बेहद ख़ूबसूरत सिने अदाकाराओं में शुमार सोनाक्षी ने लिखा है कि हेट स्पीच (देश के गद्दारों को, गोली मारो सरदारों को नए ढंग से कहा जा रहा है) बढ़ती जा रही है और यही कारण है कि यह मुद्दा दुनिया तक पहुंच गया है। सोनाक्षी का इशारा उस नारे (देश के गद्दारों को, गोली मारो…का) की ओर है, जिसे मोदी सरकार के एक मंत्री चुनावी मंच से लगवा चुके हैं। 

किसान आंदोलन के समर्थन में उतरने वालों को लेकर सोशल मीडिया पर बीजेपी और ट्रोल आर्मी ने ऐसा माहौल बनाया है कि वे देश के गद्दार हैं। उनका ये रवैया देश के निवासियों और बाहर रहने वालों- दोनों के लिए है।

सोनाक्षी ने सरकार की जी हूजूरी करने वाले मीडिया की ओर इशारा करते हुए लिखा है, ‘रात की ख़बरों में इस बात को बार-बार इस तरह दिखाया जाएगा कि बाहरी ताक़तें हमारे देश के कामकाज में दख़ल दे रही हैं। प्लीज, ऐसा कोई नैरेटिव न बनाएं।’ सोनाक्षी आगे कहती हैं कि एक इंसान दूसरे इसांनों के हक़ में खड़ा हो रहा है और यही नैरेटिव है। 

गौरतलब है कि ग्रेटा तनबर्ग और रियाना के ट्वीट करने के बाद पूरी केंद्र सरकार, बीजेपी और कई नामी-गिरामी लोग इनके मुक़ाबले में उतर आए थे और #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda हैशटैग के तहत धुआंधार ट्वीट्स किए थे। 

किसान आंदोलन को लेकर देखिए वीडियो- 

गृह से लेकर विदेश और वित्त मंत्रालय तक ने ट्वीट कर रियाना और ग्रेटा को जवाब देकर यह बताने की कोशिश की कि इन लोगों का किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जाहिर करना भारत के ख़िलाफ़ कोई साज़िश है। 

गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार रात को ट्वीट कर कहा था कि कोई भी प्रोपेगेंडा भारत की एकता को नहीं तोड़ सकता और भारत को नई ऊंचाईयों तक पहुंचने से नहीं रोक सकता। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा, ‘हम यह अपील करते हैं कि ऐसे मामलों में कोई टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की पड़ताल कर ली जाए और मुद्दे की पूरी समझ होनी चाहिए।’ 

 - Satya Hindi

इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष बीजेपी जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्रियों वीके सिंह, स्मृति ईरानी, किरण रिजिजू, हरदीप सिंह पुरी सहित कई और मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda हैशटैग के तहत ट्वीट किया था। क्रिकेट जगत की ओर से सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, अजिंक्या रहाणे, रोहित शर्मा ने भी सरकार के सुर में सुर मिलाया था। 

सरकार और पुलिस की आलोचना

किसान आंदोलन को कवर रहे पत्रकारों, धरना दे रहे किसानों को लेकर सरकार और दिल्ली पुलिस के रूख़ की जमकर आलोचना हो रही है। टिकरी, सिंघु और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर को किले में तब्दील कर दिया गया है। कई लेयर की बैरिकेडिंग करने के अलावा, नुकीली कीलें सड़क पर ठोक दी गई हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर सरकार और पुलिस से सवाल पूछा जा रहा है कि आख़िर वे अपने ही देश के लोगों के प्रति इतने निर्मम कैसे हो सकते हैं। 

मनदीप पूनिया की गिरफ़्तारी 

हाल ही में दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकार मनदीप पूनिया को गिरफ़्तार कर लिया था। मनदीप को गिरफ़्तार किए जाने का सोशल मीडिया पर जोरदार विरोध हो रहा था। कुछ दिन बाद दिल्ली की एक अदालत ने मनदीप को रिहा कर दिया था। आम लोगों का कहना था कि मनदीप की गिरफ़्तारी स्वतंत्र पत्रकारों की आवाज़ को दबाने की कोशिश है। 

दूसरी ओर, कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों को ढाई महीने का वक़्त होने जा रहा है। कई दौर की वार्ता बेनतीजा होने के बाद मुश्किल यह है कि आगे की वार्ता के लिए कोई तारीख़ तय नहीं हो पा रही है। 

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