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प्रधानमंत्री की जान को ख़तरा होने की बात मनगढ़ंत: संयुक्त किसान मोर्चा

प्रधानमंत्री की जान को ख़तरा होने की बात मनगढ़ंत: संयुक्त किसान मोर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा चूक की सचाई क्या है? क्या प्रदर्शन करने वाले किसानों से प्रधानमंत्री की जान को ख़तरा था? जानिए, किसानों और इसके संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने क्या कहा। 

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री मोदी के 'जान को ख़तरा' वाले नैरिटिव को खारिज कर दिया है और कहा है कि यह किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश है। इसने एक बयान जारी कर कहा है कि प्रधानमंत्री की यात्रा रोकने या उनके कार्यक्रम में अड़चन डालने का कोई कार्यक्रम नहीं था। इसने तो यह भी दावा किया है कि प्रदर्शन करने वाले किसानों को इसकी कोई पुख्ता सूचना नहीं थी कि प्रधानमंत्री का काफिला वहाँ से गुजरने वाला है। किसान यूनियनों के संगठन ने आरोप लगाया है कि रैली की विफलता को ढँकने के लिए प्रधानमंत्री ने पंजाब प्रदेश और किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने यह बयान तब जारी किया है जब प्रधानमंत्री मोदी से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक के मामले को जोर शोर से उठा रहे हैं। यह किसान मोर्चा वही है जो तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ क़रीब साल भर तक किसानों के आंदोलन की अगुवाई करता रहा।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुधवार को पंजाब के फिरोजपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करना था। लेकिन मोदी कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंच सके और इस वजह से रैली को रद्द कर दिया गया। प्रधानमंत्री का काफिला 15 से 20 मिनट तक एक फ्लाईओवर पर रुका रहा क्योंकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने फ्लाईओवर पर जाम लगा दिया था। 

न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने बठिंडा एयरपोर्ट के अधिकारियों के हवाले से यह रिपोर्ट दी थी कि प्रधानमंत्री मोदी ने बठिंडा हवाई अड्डे पर लौटने पर अधिकारियों से कहा, 'अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं बठिंडा एयरपोर्ट तक ज़िंदा लौट पाया'।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अब इसको लेकर बयान जारी किया है। बयान जारी करने वालों में बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगरहां, शिवकुमार शर्मा, युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव शामिल हैं। मोर्चा ने अपने बयान में उस दिन की घटना को सिलसिलेवार ढंग से बताया है। 

मोर्चा ने कहा है, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 जनवरी को प्रस्तावित पंजाब दौरे की ख़बर मिलने पर संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 10 किसान संगठनों ने अजय मिश्र टेनी की गिरफ़्तारी और अन्य बकाया मांगों को लेकर उनका प्रतीकात्मक विरोध करने का ऐलान किया था।' इसने आगे कहा है कि 2 जनवरी को पूरे पंजाब में गांव स्तर पर और 5 जनवरी को जिला और तहसील मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन कार्यक्रम घोषित किए गए थे। 

किसान मोर्चा ने यह साफ़ किया है कि प्रधानमंत्री की यात्रा रोकने या उनके कार्यक्रम में अड़चन डालने का कोई कार्यक्रम नहीं था।

इसने अपने बयान में कहा है कि जब 5 जनवरी को पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ किसानों को फिरोजपुर ज़िला मुख्यालय जाने से रोका गया तो उन्होंने कई जगह सड़क पर बैठ कर इसका विरोध किया। किसान मोर्चा के अनुसार इनमें प्यारेयाणा का वह फ्लाईओवर भी था जहाँ प्रधानमंत्री का काफिला आया, रुका और वापस चला गया। मोर्चा ने अपने बयान में कहा है, 'वहाँ के प्रदर्शनकारी किसानों को इसकी कोई पुख्ता सूचना नहीं थी कि प्रधानमंत्री का काफिला वहाँ से गुजरने वाला है। उन्हें तो प्रधानमंत्री के वापस जाने के बाद मीडिया से यह सूचना मिली।'

किसान मोर्चा ने दावा किया है कि मौके के वीडियो से यह साफ़ है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने प्रधानमंत्री के काफिले की तरफ़ जाने की कोई कोशिश तक नहीं की। इसने कहा, "बीजेपी का झंडा उठाए 'नरेंद्र मोदी ज़िंदाबाद' बोलने वाला एक समूह ही उस काफिले के नजदीक पहुँचा था। इसलिए प्रधानमंत्री की जान को ख़तरा होने की बात बिल्कुल मनगढ़ंत लगती है।"

इसने अपने बयान में कहा है, 'सारा देश जानता है कि अगर जान का ख़तरा है तो वह किसानों को अजय मिश्र टेनी जैसे अपराधियों के मंत्री बनकर छुट्टा घूमने से है।' इसने कहा है कि मोर्चा देश के प्रधानमंत्री से उम्मीद करता है कि वह अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए गैर ज़िम्मेदार बयान नहीं देंगे।

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