संयुक्त किसान मोर्चा ने हत्या की निंदा की, कहा- दोषियों को सज़ा मिले
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने वहाँ एक शख्स की हत्या के मामले से खुद को अलग कर लिया है। इसने कहा है कि न तो उस हत्या की कथित तौर पर ज़िम्मेदारी लेने वाले और न ही मारा गया शख्स संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े हैं। किसान संघों के इस संगठन ने हत्या की निंदा की है और पुलिस जाँच में सहयोग करने का आश्वासन दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा की यह सफ़ाई तब आई है जब सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल के मुख्य मंच के पास ही शुक्रवार सुबह एक शव मिला। उसकी बायीं कलाई कटी हुई थी। शव पुलिस बैरिकेड्स से बंधा हुआ था। पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। पुलिस उपाधीक्षक हंसराज ने कहा है, 'आज सुबह क़रीब पाँच बजे किसानों के विरोध प्रदर्शन वाली जगह (कुंडली, सोनीपत में) पर एक शव लटकाया हुआ मिला जिसके हाथ, पैर काटे गए थे। इसका पता नहीं है कि कौन दोषी है। वायरल वीडियो जाँच का विषय है... अफवाहें आती रहेंगी।' पुलिस के अनुसार युवक की पहचान तरनतारन ज़िले के लखबीर सिंह के रूप में की गई है। 35-36 वर्षीय लखबीर पेशे से मज़दूर था।
इसी मामले में संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम ने एक बयान में कहा, 'मौके पर एक निहंग समूह ने ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है, यह कहते हुए कि यह घटना मृतक के सर्बलोह ग्रंथ के संबंध में बेअदबी करने के प्रयास के कारण हुई... एसकेएम इस निर्मम हत्या की निंदा करता है। और यह स्पष्ट करना चाहता है कि दोनों पक्षों- निहंग समूह और मृतक - का एसकेएम से कोई संबंध नहीं है।'
इसने आगे कहा, 'मोर्चा किसी भी धार्मिक पाठ या प्रतीक की बेअदबी के ख़िलाफ़ है, लेकिन यह किसी को भी क़ानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं देता है। हम मांग करते हैं कि हत्या और बेअदबी के पीछे साज़िश के आरोप की जाँच कर दोषियों को क़ानून के मुताबिक़ सज़ा दी जाए। एसकेएम पुलिस और प्रशासन का सहयोग करेगा।'
हालाँकि, एसकेएम के सदस्यों ने दावा किया है कि निहंग सिख उनके आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन निहंग के सदस्य अक्सर प्रदर्शन वाले मुख्य मंच के पास और सिंघु में फूड पंडालों में देखे जाते रहे हैं।
बीकेयू राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, 'हम घटना की कड़ी निंदा करते हैं और हमने सोनीपत के पुलिस अधिकारियों से बात की है। क़ानून को अपना काम करना चाहिए।'
एसकेएम के सदस्य और पंजाब के एक किसान संघ के नेता सुदर्शन नट ने कहा, 'इस घटना को लेकर राज्य के फार्म यूनियनों की बैठक हो रही है… पुलिस को दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और एसकेएम पूरा सहयोग करेगा। निहंगों ने सिंघु के मुख्य मंच से दूर अपने तंबू लगाए थे। उनके साथ हुई यह पहली हिंसक घटना नहीं है, हालाँकि पहले कोई जनहानि नहीं हुई थी। वे हमसे जुड़े नहीं हैं, हालाँकि वे सिंघु सीमा के पास बैठे हैं।'
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी समिति सदस्य और एसकेएम के सदस्य कृष्ण प्रसाद ने कहा, 'निहंग सिंह एसकेएम का हिस्सा नहीं हैं, हालाँकि वे सिंघु बॉर्डर के पास हैं। पुलिस मामले की गहनता से जाँच कर दोषियों को सजा दिलाए। यह एक जघन्य हत्या थी। हालाँकि, पुलिस को यह भी जाँच करने की ज़रूरत है कि किसानों के विरोध स्थलों के पास ऐसी घटनाएँ क्यों हो रही हैं- पहले लखीमपुर खीरी और अब यह ... इस साज़िश का खुलासा किया जाना चाहिए।'
बीकेयू डकौंडा के महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला ने कहा, 'पुलिस उनके (निहंग सिखों) के ख़िलाफ़ कोई भी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। पहले भी हमने संकेत दिया था कि उन्हें जगह छोड़ देनी चाहिए, लेकिन वे मोर्चा स्थल के पास ही रहते हैं। हमारा एक किसान आंदोलन है और किसी धर्म से जुड़ा नहीं है।'
बीकेयू कादियान के अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियान ने कहा, 'निहंगों के साथ हमारी विचारधाराओं में मतभेद हैं... पहले भी हमने यह कहा है कि किसान आंदोलन को कोई धार्मिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। वे एसकेएम का हिस्सा नहीं थे लेकिन यह आंदोलन को बदनाम कर रहा है।'
किसान मज़दूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा, 'वह आदमी कौन था, वह सीमा पर क्यों था- उसकी भी जाँच की जानी चाहिए.. यदि कोई ग़लत है तो भी किसी को क़ानून अपने हाथ में लेने नहीं दिया जा सकता है।'