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जातिवादी नाटक के मंचन पर जैन यूनिवर्सिटी के छह छात्र निलंबित 

जातिवादी नाटक के मंचन पर जैन यूनिवर्सिटी के छह छात्र निलंबित 

संबंधित वीडियो कॉलेज के छात्रों द्वारा आयोजित किये जाने यूथ फेस्टिवल के रिहर्सल का हिस्सा था। फेस्टिवल का आयोजन 20 फरवरी को किया जाने वाला था।

बंगलूरू की जैन यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर मैनेजमेंट स्टडीज के छह छात्रों को एक वीडियो के वायरल होने के बाद निलंबित कर दिया गया है। इस वीडियों में वे डॉ बी आर अंबेडकर और दलितों के खिलाफ कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए देखे जा रहे हैं, यह वीडियो एक नाटक की रिहर्सल का हिस्सा था।  

द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने घटना की पुष्टि की। यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक अनुशासनात्मक समिति का भी गठन किया है।

संबंधित वीडियो कॉलेज के छात्रों द्वारा आयोजित किये जाने यूथ फेस्टिवल के रिहर्सल का हिस्सा था। फेस्टिवल का आयोजन 20 फरवरी को किया जाने वाला था। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यह घटना गुरुवार को सामने आई। वंचित बहुजन अघाड़ी के युवा सदस्य अक्षय बंसोडे ने महाराष्ट्र के नांदेड़ पुलिस अधीक्षक के समक्ष छात्रों और विश्वविद्यालय के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज कराई।

बंसोडे ने शिकायत में कहा, ‘यह नाटक अत्यधिक जातिवादी है और दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के साथ प्रस्तुत किया गया है, इसमें जानबूझकर एक समुदाय और उससे संबंधित लोगों का करने की मंशा जाहिर करता है। इसके अलावा, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में कही गई बातें बेहद अपमानजनक हैं। यह नाटक करने वाले कलाकारों और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के इरादों को भी दर्शाता है।  क्योंकि नाटक को कई प्रकार की जांच पड़ताल से गुजरना पड़ा,  फिर भी इसके प्रदर्शन करने और इसे सोशल मीडिया पर डालने की अनुमति दी गई।

विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कहा कि जनता से 'बिना शर्त माफी' मांगी गई है और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा, 'नाटक का उद्देश्य देश में जाति विरोधी व्यवस्था को उजागर करना था। हालांकि, छात्रों ने इसे अपनी प्रस्तुति में थोड़ा सा ज्यादा ही नाटकीय बना दिया। जैसे ही हमें लगा कि नाटक की विषयवस्तु अपमानजनक थी, हमने तत्काल एक्शन लेते हुए छात्रों  को निलंबित कर दिया।  इस सम्बंध में हमने छात्रों के माता-पिता को भी फोन करके उन्हें उक्त घटना के बारे में जानकारी दी। यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय ने एक अनुशासनात्मक समिति भी बनाई है जो जांच के बाद इस मामले में निर्णय लेगी।

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