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राज्यों में भी नीति आयोग की तर्ज पर एसआईटी

राज्यों में भी नीति आयोग की तर्ज पर एसआईटी

नीति आयोग की तरह राज्यों में एसआईटी यानी राज्य परिवर्तन संस्थान बनाए जाएंगे। पीएम मोदी के 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की दिशा में यह पहल की जा रही है। यूपी समेत चार राज्यों में एसआईटी पर काम शुरू हो चुका है। हालांकि अभी तक एक भी विपक्ष शासित राज्य ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

नीति आयोग की तरह राज्यों में भी इसी तरह की संस्था बनाई जाएगी। यूपी समेत चार राज्यों में इस पर काम शुरू करना है। नीति आयोग का मानना है कि पीएम मोदी ने 15 अगस्त के भाषण में देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र (डेवलप्ड नेशन) बनाने का जो सपना देखा है, उसमें राज्यों की नीति आयोग जैसी संस्थाओं की मुख्य भूमिका होगी। इन्हें राज्य परिवर्वतन संस्थान (एसआईटी) नाम दिया गया है। अभी तक किसी भी विपक्ष शासित राज्य ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार 13 सितंबर को प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में इस पर विस्तार से रोशनी डाली है। राज्यों के पास स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल मुख्य रूप से हैं। डिफेंस, रेलवे और राजमार्गों को छोड़कर राज्यों के विकास पर ही देश की जीडीपी का भी दारोमदार होता है।

नीति आयोग का मानना है कि कारोबार करने में आसानी हो, भूमि सुधार ठीक से लागू हों, बुनियादी ढांचे का विकास लगातार हो, लोन का बांटा जाना और शहरीकरण में सुधार के लिए राज्यों की भूमिका सबसे खास है। अगर ये चीजें सही रास्ते पर होंगी तो देश का विकास भी तेज होगा और जीडीपी में भी सुधार आएगा। इसीलिए राज्यों में अगर नीति आयोग जैसी संस्था होगी तो सिंगल विंडो सिस्टम के तहत तेजी से विकास योजनाएं लागू होंगी।

नीति आयोग ने 6 सितंबर को राज्य योजना सचिवों की बैठक में "राज्य सहायता मिशन" का खाका पेश किया था। इस पर कुछ राज्यों से पॉजिटिव संकेत मिले हैं। नीति आयोग का वादा है कि वो आईआईएम और आईआईटी के विशेषज्ञों के जरिए राज्यों की इस संबंध में मदद भी करेगा।

इंडियन एक्सप्रेस को सरकारी सूत्रों ने बताया कि मार्च 2023 तक नीति आयोग का लक्ष्य है कि 8-10 राज्यों में ऐसे निकायों की स्थापना कर दी जाए। चार राज्यों- कर्नाटक, यूपी, मध्य प्रदेश और असम में इस संबंध में काम शुरू हो चुका है, जबकि महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और गुजरात में जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद है।

मोदी सरकार ने जनवरी 2015 में 65 साल पुराने केंद्रीय योजना आयोग को बदल दिया था। उसकी जगह वो नीति आयोग लाई थी। 65 साल तक केंद्रीय योजना आयोग ही राज्यों के बजट को मंजूरी देता है। उनको तमाम सरकारी योजनाओं को लागू करने में मदद करता था। राज्यों के बजट आवंटन का काम केंद्रीय वित्त मंत्रालय को दे दिया गया। नीति आयोग से कहा गया कि वो देश के विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करे।

हालांकि, केंद्र के इस कदम के बावजूद तमाम राज्यों ने अब तक अपने योजना विभागों/बोर्डों को कायम रखने में बहुत मेहनत की है। यही बोर्ड और विभाग पहले केंद्रीय योजना आयोग के साथ काम कर रहे थे और केंद्र के साथ समानांतर, राज्य पंचवर्षीय योजनाएं तैयार कर रहे थे। 

इंडियन एक्सप्रेस को एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिकांश राज्यों के ऐसे बोर्ड बड़ी जनशक्ति के बावजूद लगभग निष्क्रिय हैं और उन्हें कोई आइडिया नहीं है कि वे क्या काम करेंगे। इसीलिए नीति आयोग ने राज्यों को ऐसा करने में मदद करने के लिए एक टीम तैयार की है जो राज्य योजना बोर्डों की मौजूदा ढांचे की जांच करेगी, और अगले 4-6 महीनों में राज्य परिवर्तन संस्थान (एसआईटी) की बनाने में मदद करेगी। हाई क्वॉलिटी का विश्लेषणात्मक काम करने और नीति संबंधी सिफारिशों को करने के लिए एसआईटी में प्रोफेशनल लोगों की एंट्री को बढ़ावा दिया जाएगा।

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