आईपीएल : चौके-छक्कों की चकाचौंध वाले खेल में क्यों सिंगल रन निर्णायक?
क्रिस गेल (349), एबी डिविलियर्स (235) और एमएस धोनी (216) ऐसे बल्लेबाज़ हैं जिन्होंने सबसे ज़्यादा छक्के आईपीएल में लगाये हैं। शिखर धवन, डेविड वार्नर और विराट कोहली सिर्फ 3 ऐसे बल्लेबाज़ हैं जिन्होंने आईपीएल में 500 से ज़्यादा चौके लगाये हैं। बल्लेबाज़ों की कामयाबी से ऐसा अक्सर लगता है कि आईपीएल में जीत के लिए बहुत जरूरी है टीम में चौके-छक्के लगाने वाले बल्लेबाज़ की मौजूदगी।
इस तर्क में दम तो जरूर है लेकिन आईपीएल का इतिहास इस बात की तरफ भी इशारा करता है कि चौके-छक्कों की चकाचौंध में आईपीएल में सिंगल्स भी कई मौकों पर सबसे निर्णायक रन साबित हो जाते हैं।
आईपीएल के हर सीज़न, हर मुकाबले में इतने चौके-छक्के लगते हैं कि आपको असाधारण से असाधारण शॉट भी कुछ दिनों के बाद याद नहीं रहते हैं। बावजूद इसके चौके-छक्के के मेले वाले आईपीएल में कप्तानों के लिए अक्सर 1 रन की अहमियत बहुत ज़्यादा होती है।
वैसे तो क्रिकेट के मूल स्वभाव में ही 1 रन की अहमियत रची-बसी है क्योंकि अगर जीत और हार के बीच का फर्क इसी 1 रन से ही शुरू होता है। चाहे वो खेल आप अपने छत के ऊपर खेल रहे हैं, गली-मोहल्ले में, पार्क में या फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में। लेकिन, क्रिकेट इतिहास में अलग-अलग फॉर्मेट में नतीजों पर अगर आप नज़र डालेंगे तो पता चलेगा कि ये सिर्फ कहने की बात है कि 1 रन बहुत अहम होता है।
टेस्ट क्रिकेट में 1 रन से मैच का नतीजा या ट्रॉफी तय होने के उदाहरण विरले हैं। लेकिन, वन-डे क्रिकेट ने सही मायनों में सिंगल्स को असली पहचान दी। तेज़ी से 1 रन चुराना एक कला बन गई। कई बल्लेबाज़ चौके या छक्के का जोखिम ना लेकर हर गेंद पर 1-1 रन लेकर इतनी तेज़ी से रन जुटा लेते थे कि विरोधी कप्तान को ये बात देर से समझ में आती थी।
1 रन की अहमियत
लेकिन, वन-डे के बाद नई सदी में टी20 का जन्म हुआ और क्रिकेट के सबसे तेज़ फॉर्मेट में 1 रन के अंतर से मैच के फैसले और ज़्यादा संख्या में होने लगे। अब तक खेले गये 1000 से ज़्यादा मैचों में करीब 20 मैचों का नतीजा 1 रन के अंतर से हुआ है तो लगभग 20 मैचों में मुकाबले टाइ हुए और इसी के चलते ऐसे नज़दीकी मामलों को निपटाने के लिए बॉल आउट और फिर सुपर ओवर के नियम ईजाद किए गए।
आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में जहां तक 1 रन के अंतर से मैच जीतने की बात है तो ऐसा सिर्फ दर्जन से कम मौकों पर ही हुआ है। लेकिन, सबसे निर्णायक असर अगर सिंगल्स ने 10 मैचों के दौरान डाला है तो 2 मौके ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने ना सिर्फ मैच बल्कि आईपीएल चैंपियन का भी फैसला किया है।
इसके चलते अगर रोहित शर्मा इस टूर्नामेंट के सबसे कामयाब कप्तान हैं तो धोनी को भी कप्तानी में किसी ने पटखनी दी। आईपीएल में हर कप्तान को 1 रन की अहमियत बहुत ज़्यादा लगती है और ख़ासकर रोहित और धोनी जैसे उन दो कप्तानों को जिन्होंने आईपीएल की 12 ट्रॉफी में से 8 ख़िताब अपने नाम किये हैं।
2 बार अनलकी रहे धोनी
कहते हैं कि बिजली एक ही जगह पर दोबारा दस्तक नहीं देती है। लेकिन, आईपीएल के सबसे लकी माने जाने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी इस 1 रन के चलते एक नहीं बल्कि 2 मौकों पर अनलकी रहे हैं। उनके हाथ से आयी आईपीएल ट्रॉफी 1 नहीं बल्कि 2-2 बार छिटक गई। लेकिन, रोहित शर्मा को ऐसे 1 रन से शिकायत नहीं बल्कि खुशी है क्योंकि 2017 और 2019 में दोनों मौकों पर मुंबई इंडियंस ने ख़िताब पर कब्ज़ा 1 रन के अंतर के चलते ही किया। धोनी 2017 में पुणे सुपरजाइंट्स के लिए कप्तानी कर रहे थे तो 2019 में अपनी सदाबहार टीम चेन्नई सुपर किंग्स के लिए।
ज़रा सोचकर देखिये कि अगर 1 रन की अहमियत ना होती तो धोनी के पास आईपीएल में 3 नहीं बल्कि 5 ट्रॉफी होतीं और वो सबसे कामयाब कप्तान होते! रोहित शर्मा, जिन्हें आईपीएल में कई जानकार धोनी की बराबरी के स्तर वाला कप्तान मानते है, 1 रन की कमी के चलते अभी सिर्फ 3 ट्रॉफी पर ही टिके होते।
इसलिए आईपीएल में चौके-छक्के लगाने पर ज़ोर हर टीम देती है लेकिन यहां पर कामयाबी हासिल करने के लिए 1 रन की भूमिका को कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। अगर कोई शानदार फील्डर अपने दम पर 1 रन ही बचा देता है तो कौन जानता है कि उसी रन के अंतर के चलते टीम चैंपियन बन जाए!