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बीमार होने के 11 दिन बाद दूसरों को संक्रमित नहीं कर पाते कोरोना मरीज़: शोध

बीमार होने के 11 दिन बाद दूसरों को संक्रमित नहीं कर पाते कोरोना मरीज़: शोध

कोरोना वायरस पर लगातार हो रहे शोध के बीच एक और शोध कुछ राहत देने वाला है। सिंगापुर के शोध कर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना मरीज़ संक्रमित होने 11 दिन बाद दूसरे लोगों को संक्रमित नहीं कर पाता है।

कोरोना वायरस पर लगातार हो रहे अलग-अलग शोधों के बीच एक नया शोध कुछ राहत देने वाला है। सिंगापुर के शोध कर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना मरीज़ संक्रमित होने के 11 दिन बाद दूसरे लोगों को संक्रमित नहीं कर पाता है। इसका मतलब है कि 11 दिन बाद यदि कोरोना का मरीज़ जाँच में कोरोना पॉजिटिव आए और आम लोगों के संपर्क में भी आ जाए तो वायरस के फैलने का ख़तरा नहीं होता है। ऐसे में उन मरीज़ों को हॉस्पिटलों के आइसोलेशन वार्ड में न रखकर घर भेज दिया जाए तो अस्पतालों पर इसका भार कम हो जाएगा और दूसरे मरीज़ों के लिए अस्पताल उपलब्ध हो सकेंगे। हालाँकि यह शोध सीमित स्तर पर हुआ है, लेकिन इसके नतीजे एक उम्मीद देने वाले हैं।

फ़िलहाल, स्थिति यह है कि दुनिया भर में मरीज़ की रिपोर्ट जब तक पॉजिटिव आती है तब तक आइसोलेशन में ही रखा जाता है। रिपोर्ट निगेटिव आने में क़रीब एक महीने तक का समय लग जाता है। सिंगापुर में भी यही तरीक़ा अपनाया जाता है जब तक जाँच में मरीज़ कोरोना पॉजिटिव आता है तब तक अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जाती है। इसी सिंगापुर में यह शोध हुआ है। लेकिन इस शोध के बाद भी अभी तक सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना मरीज़ों को अस्पताल से छुट्टी देने के नियमों में बदलाव नहीं किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इतना कहा गया है कि वे शोध को देख रहे हैं और पूरी स्थिति देखने पर ही इस पर कोई ठोस निर्णय लेंगे। 

सिंगापुर के ख्यात अख़बार 'स्ट्रेट्स टाइम्स' ने इस शोध पर ख़बर प्रकाशित की है। इस शोध को 23 मई को नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्शस डिजीज (एनसीआईडी) और एकेडमी ऑफ़ मेडिसिन के चैप्टर ऑफ़ इंफेक्शस डिजीज फिजिशियन द्वारा जारी किया गया। शोध में 73 मरीज़ों को शामिल किया गया। 

एनसीआईडी के कार्यकारी निदेशक प्रोफ़ेसर लियो यी सिन ने कहा कि शोध के नतीजे काफ़ी मज़बूत हैं। उन्होंने कहा, 'वैज्ञानिक तौर पर मुझे बहुत विश्वास है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि व्यक्ति 11 दिन के बाद संक्रामक नहीं होता है।'

हालाँकि, इसमें यह भी कहा गया है कि कमज़ोर इम्यून सिस्टम वाले रोगी एकमात्र अपवाद हैं। जैसे; किमोथेरेपी प्राप्त करने वाले कैंसर रोगी या प्रत्यारोपण के बाद इम्यून सिस्टम को दबाने वाली दवा लेने वाले मरीज़ों में यह वायरस लंबे समय के लिए संक्रामक रह सकता है।

सिंगापुर के इस शोध वाले पेपर में जर्मनी के एक शोध का भी ज़िक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि जर्मनी में नौ रोगियों पर एक 'छोटा लेकिन महत्वपूर्ण अध्ययन' हुआ है। जर्मनी के उस शोध में कहा गया है, 'पहले सप्ताह में गले और फेफड़े में यह वायरस बहुत अधिक तेज़ी से फैलता पाया गया। लेकिन आठवाँ दिन होते-होते यह बिल्कुल भी नहीं फैलता पाया गया।'

दक्षिण कोरिया का शोध

बता दें कि हाल ही में दक्षिण कोरिया में भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने पर एक शोध हुआ था। इस शोध से पता चला है कि जिन मरीज़ों को कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद फिर से पॉजिटिव पाया गया था, वे दूसरों में संक्रमण फैलाने में सक्षम नहीं थे। उस शोध में कहा गया था कि हो सकता है कि उनके शरीर में ऐसी एंटीबॉडी बन गई हो जो दूसरों को बीमार करने से रोक रही हो। कोरिया के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने यह शोध किया। इस शोध में 285 कोविड-19 मरीज़ों का अध्ययन किया गया था। 

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