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अडानी पर फिर चुप्पी, लेकिन विपक्ष की रणनीति सफल

अडानी पर फिर चुप्पी, लेकिन विपक्ष की रणनीति सफल

प्रधानमंत्री मोदी आज गुरुवार को राज्यसभा में डेढ़ घंटे तक धाराप्रवाह बोलते रहे। निशाने पर कांग्रेस से भी ज्यादा गांधी-नेहरू परिवार था। अडानी मुद्दा आज भी उनके भाषण से गायब रहा। लेकिन विपक्ष ने पूरी ईमानदारी से अडानी मुद्दे को नारे के जरिए पूरी दुनिया में पहुंचा दिया। लोकसभा में राहुल तो राज्यसभा में विपक्ष के नारे बीजेपी को बहुत समय तक परेशान करने वाले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का आज गुरुवार को राज्यसभा में धाराप्रवाह भाषण करीब डेढ़ घंटा चला। अगर कोई पूछे कि पीएम मोदी के भाषण की आज सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही तो एक ही जवाब आएगा कि तीखे नारे और कांग्रेस, गांधी- नेहरू परिवार पर प्रत्यक्ष हमला। लेकिन विपक्ष की रणनीति पीएम मोदी के भाषण के मुकाबले ज्यादा कामयाब रही। उसने सिर्फ डेढ़ घंटे तक नारे लगाकर अडानी को इस देश की राजनीति का बड़ा मुद्दा बना दिया। 

प्रधानमंत्री का भाषण ऐसा था जैसे वो किसी चुनावी रैली में बोल रहे हों। वो बीच में कुछ देर अपने सरकार की उपलब्धियां बताते और फिर वापस कांग्रेस पर लौट आते। लेकिन अगर आज किसी की तारीफ होना चाहिए तो वो विपक्ष है, जिसने अपनी सधी हुई रणनीति से काम लिया।

कल बुधवार को जब पीएम ने राज्यसभा में भाषण दिया था तो विपक्ष ने ज्यादा शोरगुल नहीं किया और कुछ राजनीतिक दल तो सदन का बहिष्कार करके चले गए। उसके मुकाबले विपक्षी सांसद सदन में बैठे रहे और पूरे डेढ़ घंटे तक मोदी के भाषण के दौरान मोदी-अडानी भाई-भाई और अन्य नारे लगाते रहे। मोदी का भाषण पूरी दुनिया में लाइव दिखाया जा रहा था। तो जो लोग प्रधानमंत्री का भाषण सुन रहे थे वे विपक्षी सांसदों के नारों को स्पष्ट तौर पर सुन पा रहे थे। विपक्ष अडानी के विरोध का संदेश देने में आज कामयाब रहा। जनता ने देखा कि एक तरफ अडानी पर सरकार खामोश है, तो दूसरी तरफ विपक्ष ने उसे कटघरे में खड़ा कर दिया है।

बीजेपी बेशक विपक्ष के नारों को खारिज कर रही है लेकिन इन नारों का जवाब उसके पास सिर्फ मोदी-मोदी के अलावा कुछ नहीं है। जनता नौ वर्षों से इस नारे को सुन रही है। जिस नारे को उसने पहली बार देश की संसद में सुना, वो मोदी-अडानी भाई-भाई, इतनी मलाई कहां से खाई जैसा नारा है। अडानी पर राहुल गांधी और कांग्रेस ने तमाम बातें कहीं लेकिन इस एक नारे ने बहुत कुछ कह दिया है।

पीएम मोदी के भाषण के आज दो हिस्से हैं। एक वो है जिसमें उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और दूसरा कांग्रेस पर तीखा हमला। चुनावी रैलियों में खास अंदाज में भाषण देने के लिए मशहूर नरेंद्र मोदी ने आज आधा कांग्रेस पर रहा। यानी सत्तारूढ़ पार्टी ने आज अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया कि कांग्रेस ही उसकी सबसे बड़ी विरोधी पार्टी है। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाने वाली बीजेपी ने लगता है कि फिर से विचार किया और पाया कि कांग्रेस से अभी देश मुक्त नहीं हो पाया। इसलिए आज जवाहर लाल नेहरू पर मोदी ने सीधे हमला किया। 

उन्होंने कहा कि अगर हम लोग नेहरू का उल्लेख करना भूल जाते हैं तो कांग्रेस वाले अपसेट हो जाते हैं। अगर नेहरू इतने ही महान शख्सियत थे तो वे (कांग्रेस) नेहरू सरनेम रखने से क्यों डरते हैं। ये देश किसी परिवार की जागीर नहीं है। देश में इनके राज में 600 योजनाएं गांधी-नेहरू के नाम पर चलाई जाती थीं। पीएम मोदी ने बताया कि कैसे कांग्रेस ने अपने शासन में ऐसी समस्याएं पैदा कीं जो देश के विकास और विकास को नुकसान पहुंचाती रहीं।

प्रधानमंत्री ने कहा, वे कहते हैं कि हम राज्यों को परेशान करते हैं, लेकिन उन्होंने 90 बार चुनी हुई राज्य सरकारों को गिराया है। एक कांग्रेसी पीएम ने तो चुनी हुई राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के लिए 50 बार अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल किया। वह इंदिरा गांधी थीं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस 'गरीबी हटाओ' कहती थी, लेकिन चार दशकों से कुछ नहीं किया। किसी देश के विकास को प्राप्त करने के लिए गति, इरादे और दिशा की आवश्यकता होती है, जो स्पष्ट रूप से उनमें नहीं थी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को जिस अंदाज में अडानी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को घेरा था, आज भी वो मुद्दा बरकरार है। राहुल की तमाम टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से बेशक हटा दिया गया है लेकिन अखबारों, स्वतंत्र यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया के जरिए राहुल का भाषण पूरे विश्व में फैल गया है। अब अगर सरकार जवाब नहीं दे रही है तो इसके लिए विपक्ष को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उसने अपना काम कर दिया है।

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