+
सीरम इंस्टीट्यूट भारत में बनाएगा स्पुतनिक V वैक्सीन, DCGI ने दी मंजूरी 

सीरम इंस्टीट्यूट भारत में बनाएगा स्पुतनिक V वैक्सीन, DCGI ने दी मंजूरी 

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कमज़ोर पड़ने के साथ ही एक और अच्छी ख़बर इस वक़्त में आई है।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कमज़ोर पड़ने के साथ ही एक और अच्छी ख़बर इस वक़्त में आई है। ख़बर यह है कि ड्रंग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने शुक्रवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया को भारत में रूस की वैक्सीन स्पुतनिक V बनाने की अनुमति दे दी है। यह तीसरी वैक्सीन होगी, जो भारत में बनाई जाएगी। 

सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से बुधवार को डीसीजीआई में इस संबंध में अर्जी दायर की गई थी। सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में स्पुतनिक V को विकसित करने के लिए गमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ़ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी, मॉस्को के साथ हाथ मिलाया है। 

सीरम इंस्टीट्यूट ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राज़ेनेका के साथ मिलकर पहले से ही कोविशील्ड और भारत बायोटेक कोवैक्सीन बना रहा है। टीके की किल्लत के बीच सीरम इंस्टीट्यूट ने सरकार से कहा है कि वह जून में 10 करोड़ टीकों की सप्लाई करेगा। सीरम इंस्टीट्यूट नोवावैक्स वैक्सीन भी बना रहा है और इसके रेग्युलेटरी क्लियरेंस के लिए अमेरिका से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। 

 - Satya Hindi

995.40 रुपये की एक डोज़ 

स्पुतनिक V वैक्सीन को डीसीजीआई की ओर से अप्रैल के महीने में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी। इस वैक्सीन की एक डोज़ 995.40 रुपये में मिलेगी। इसकी क़ीमत 948 रुपये होगी और इस पर 5 फ़ीसदी जीएसटी लगेगा। इसकी क़ीमत और कम हो सकती है जब स्थानीय स्तर पर इसका उत्पादन भारत में शुरू होगा। 

इस वैक्सीन की दो खुराक दी जानी होती हैं और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में प्रत्येक खुराक के लिए क़ीमत 10 डॉलर है। मॉडर्ना और फाइज़र के बाद सबसे ज़्यादा प्रभावी वैक्सीन स्पुतनिक V वैक्सीन (91.6 फ़ीसदी) ही रही है। 

वैक्सीन को नहीं करेंगे मिक्स

भारत में लोगों को कोरोना वैक्सीन की क्या अलग-अलग डोज़ दी जाएंगी, इसे लेकर उठ रहे सवालों पर केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले कहा है कि भारत में कोरोना वैक्सीन की डोज़ को तब तक मिक्स नहीं किया जाएगा, जब तक इसके प्रभाव को लेकर ज़रूरी वैज्ञानिक सबूतों को इकट्ठा नहीं कर लिया जाता। 

केंद्र ने यह भी साफ किया है कि टीकाकरण के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है और सभी लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन को दो-दो डोज़ लगाई जाएंगी। 

हालांकि सरकार की ओर से बनाए गए एक विशेषज्ञ पैनल ने हाल ही में कहा है कि भारत इस बात की जांच शुरू कर सकता है कि अगर किसी को कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग डोज़ दी जाएं तो क्या इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। 

केंद्र सरकार की ओर से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए बनाई गई टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा था कि कोविशील्ड की दूसरी डोज़ पहली डोज़ लगने के 12 हफ़्तों के बाद जबकि कोवैक्सीन की दूसरी डोज़ पहली डोज़ लगने के 4-6 हफ़्ते के बाद दी जाएगी। डॉ. पॉल ने कहा था कि सरकार इसी लाइन पर टीकाकरण की नीति को जारी रखेगी। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें