कर्नाटक कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया ने अपने ऊपर एक किताब लिखे जाने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उस किताब में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया के कार्यकाल पर कथित तौर पर कुछ विवादित दावे किए गए हैं। कुछ महीने में ही चुनाव के लिए तैयार कर्नाटक में यह बड़ा मुद्दा हो सकता है। खुद सिद्धारमैया ने भी कहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले उनको बदनाम करने का मक़सद है।
'सिद्दू निजाकनासुगलु' नाम की पुस्तक में कथित तौर पर सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कथित कुशासन और उनकी 'तुष्टीकरण की राजनीति' पर लेख शामिल हैं।
पुस्तक में कथित तौर पर सिद्धारमैया के कार्यकाल से जुड़े कुछ विवादास्पद और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मुद्दों और घटनाओं को भी शामिल किया गया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा, 'चुनाव से पहले, वे ऐसी किताबें जारी कर रहे हैं। यह पूरी तरह से अपमानजनक है। देखते हैं कि कानून के अनुसार क्या कार्रवाई की जाती है।' कांग्रेस ने कहा है कि सद्भाव, कानून और व्यवस्था को बाधित करने की साजिश से सिद्धारमैया की तस्वीर को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
एक स्थानीय अदालत ने किताब के विमोचन पर रोक लगा दी है। बेंगलुरु में उस टाउन हॉल स्थल पर रिजर्व पुलिस के दो प्लाटून तैनात थे, जहाँ पुस्तक विमोचन की योजना थी। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बुक लॉन्च इवेंट के पोस्टर में टीपू सुल्तान की तरह कपड़े पहने सिद्धारमैया की तस्वीरों वाली किताबों की प्रतियां दिखाई गईं और उनके कवर पर तलवार दिखाई गई।
वैसे, टीपू सुल्तान को लेकर दक्षिणपंथी संगठन मुद्दा उठाते रहे हैं। बीजेपी भी टीपू सुल्तान का मुद्दा उठाती रही है। राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने 2019 में माध्यमिक स्कूलों के इतिहास की किताब से टीपू सुल्तान के पाठ को हटाने की बात की थी तो इस पर काफी विवाद हुआ था।
कर्नाटक में सत्ता में आने के तुरंत बाद जुलाई में बीजेपी सरकार ने टीपू सुल्तान की जयंती समारोह को ख़त्म कर दिया था। यह एक वार्षिक सरकारी कार्यक्रम था जिसको सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान शुरू किया गया था। इसका 2015 से ही बीजेपी विरोध कर रही थी।
टीपू सुल्तान को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का दुश्मन माना जाता था। श्रीरंगपटना में अपने क़िले का बचाव करते समय ब्रिटिश सेना से लड़ाई के दौरान मई, 1799 में उनकी हत्या कर दी गई थी।
कई इतिहासकार टीपू को एक धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक शासक के रूप में देखते हैं जिन्होंने अंग्रेज़ों की ताक़त को चुनौती दी थी। टीपू एक राजा थे और किसी भी मध्ययुगीन राजा की तरह उन्होंने बग़ावत करने वाली प्रजा का मनोबल तोड़ने के लिये अत्याचार किया। मध्य युग के राजाओं का इतिहास ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है।
इतिहास में ऐसे ढेरों उदाहरण हैं, जो ये साबित करते हैं कि टीपू सुल्तान ने हिंदुओं की मदद की। उनके मंदिरों का जीर्णोंद्धार करवाया। उनके दरबार में लगभग सारे उच्च अधिकारी हिंदू ब्राह्मण थे। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है- श्रंगेरी के मठ का पुनर्निर्माण।
बहरहाल, सिद्धारमैया ने किताब के पीछे भाजपा की भूमिका का आरोप लगाया। किताब के विमोचन कार्यक्रम के पोस्टर के अनुसार कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्च शिक्षा मंत्री सी एन अश्वथ नारायण करेंगे। वही पुस्तक का विमोचन भी करेंगे। बीजेपी एमएलसी चलवाडी नारायणस्वामी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैं, जिसमें लेखक रोहित चक्रतीर्थ शामिल होंगे। उन्होंने पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति की अध्यक्षता की थी।