श्याम रजक की शायरी, इस्तीफा और जदयू में लौटने की तैयारी

02:38 pm Aug 23, 2024 | समी अहमद

पूर्व मंत्री और छह बार के विधायक श्याम रजक ने गुरुवार को लालू प्रसाद पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय जनता दल से इस्तीफा दे दिया। 70 वर्षीय श्याम रजक पहले आरजेडी में थे, फिर वहां से इस्तीफा देकर जनता दल (यूनाइटेड) में गए और उसके बाद वहाँ से भी इस्तीफा देकर वह राजद में आए और अब माना जा रहा है कि वह जनता दल यूनाइटेड में दोबारा वापसी की तैयारी कर रहे हैं।

ऐसी चर्चा है कि राजद से इस्तीफा देने से पहले श्याम रजक की मुलाकात मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार से हुई है और उन्हें उम्मीद है कि उन्हें जदयू में कोई महत्वपूर्ण पद या सरकार में कोई महत्वपूर्ण पद मिल सकता है। श्याम रजक ने अपना त्यागपत्र शायराना अंदाज में दिया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में लिखा, 'मैं शतरंज का शौकीन नहीं था, इसलिए धोखा खा गया, आप मोहरे चल रहे थे, मैं रिश्तेदारी निभा रहा था।’

वास्तविकता यह है कि राजनीति में हर नेता मोहरे ही चलता है भले ही वह उसे रिश्तेदारी का नाम देता हो। नीतीश कुमार के साथ जाने से पहले श्याम रजक लालू प्रसाद के साथ मंत्री पद का लाभ ले चुके हैं। नीतीश कुमार के साथ रहकर भी वह मंत्री होने का लाभ ले चुके हैं। और दोबारा नीतीश कुमार से नहीं बनने के कारण जब वह राजद में आए तो काफी दिनों तक लालू प्रसाद का गुणगान करते रहे।

सबको इस बात का अंदाजा है कि श्याम रजक को अपने चुनाव क्षेत्र फुलवारी शरीफ से आरजेडी का टिकट मिलने में दिक्कत थी इसलिए उनका आरजेडी छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं है। माना जाता है कि पिछली बार जब वह जदयू छोड़कर आरजेडी में आए थे तब भी टिकट की उम्मीद में आए थे लेकिन वह सीट चूँकि भाकपा-माले को मिल गई इसलिए श्याम रजक आरजेडी का टिकट नहीं पा सके। 

श्याम रजक ने अपने छोटे से त्यागपत्र में कोई कारण नहीं बताया लेकिन टिकट न मिलने की संभावना के अलावा यह भी वजह बताई जा रही है कि उन्हें पार्टी में कोई महत्वपूर्ण पद नहीं दिया गया। यह भी कहा जा रहा है कि श्याम रजक समस्तीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन वह सीट कांग्रेस को चली गई। श्याम रजक को संभवतः राज्यसभा या विधान परिषद का सदस्य बनाए जाने की भी उम्मीद थी लेकिन जब उनकी उम्मीद टूट गई तो उन्होंने लालू प्रसाद पर धोखा देने का आरोप लगा दिया। आरजेडी को श्याम रजक के पार्टी छोड़ने का अंदाजा था इसीलिए उनके पार्टी छोड़ने पर नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, 

चुनाव आने वाला है। श्याम रजक पार्टी छोड़कर गए हैं। यह कोई बड़ी बात नहीं है। इससे आरजेडी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।


तेजस्वी यादव, राजद नेता

तेजस्वी ने कहने को तो कह दिया कि श्याम रजक के जाने से पार्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन यह ज़रूर है कि राजद से एक दलित नेता का साथ छूटने की बात चर्चा में रहेगी। यह बात अपनी जगह सही है कि श्याम रजक की उम्र इतनी नहीं रही कि वह बहुत ज्यादा प्रभाव डालते लेकिन उनके रहने का एक प्रतीकात्मक महत्व तो था ही। धोबी समाज से आने वाले श्याम रजक की जगह आरजेडी को दूसरे कई दलित नेताओं की ज़रूरत पड़ेगी। वैसे भी तेजस्वी यादव इस बात की भरपूर कोशिश कर रहे हैं कि राजद को एमवाई (माय) की जगह सभी जातियों की पार्टी माना जाए।

वैसे तो श्याम रजक को लालू प्रसाद का बहुत करीबी माना जाता था लेकिन लालू के बड़े तेज प्रताप से श्याम रजक की कभी बनी नहीं। अक्टूबर 2022 में जब दिल्ली में राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी तो तेज प्रताप श्याम रजक पर भड़क गए थे। तेज प्रताप ने श्याम रजक पर गाली देने का आरोप लगाया था। तब इस मामले को तेजस्वी यादव ने संभाला था और श्याम रजक ने बाद में कहा था कि लालू यादव उनके नेता हैं, राजद उनकी पार्टी है, वह चाहेंगे तो रहेंगे नहीं चाहेंगे तो आरजेडी छोड़ देंगे। जब श्याम रजक ने अपने दलित समुदाय के होने के बारे में भी लिखा था और कहा था कि एक दलित बंधुआ मजदूर होता है। 

इस्तीफा देने के बाद श्याम रजक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की और कहा कि काम तो उन्होंने किया है। लेकिन जेडीयू में जाने के बाद उन्हें इस बात का भी एहसास होगा कि 2020 में उन्हें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया था।