महाराष्ट्र का रण: शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस बनाएँगे सरकार!
महाराष्ट्र का सियासी संग्राम दिलचस्प होता जा रहा है। बीजेपी की ओर से सरकार बनाने में अक्षमता ज़ाहिर करने के बाद इस बात की अटकलें तेज़ हो गई हैं कि राज्य में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना मिलकर सरकार बना सकते हैं। महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर आज ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई है। इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी मुंबई में पार्टी के कोर ग्रुप के सदस्यों से राजनीतिक हालात पर चर्चा की है। पवार ने कोर ग्रुप की बैठक से पहले कहा कि आज वह इस बारे में कांग्रेस से बात करेंगे। पवार ने कहा कि सरकार गठन को लेकर जो भी फ़ैसला होगा, वह कांग्रेस से बातचीत के बाद ही लिया जायेगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी ताज़ा हालात पर विधायकों से चर्चा की है।
एनसीपी की बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि कांग्रेस के फ़ैसले के बाद ही उनकी पार्टी इस बारे में निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान की महाराष्ट्र के नेताओं के साथ शाम 4 बजे बैठक होगी, उसके बाद इस बारे में स्थिति साफ़ होगी। मलिक ने कहा कि एनसीपी शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिये तैयार है लेकिन उन्हें कांग्रेस के फ़ैसले का इंतजार है। जबकि कांग्रेस की बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सोमवार शाम को 4 बजे महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई गई है।
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला किया है। राउत ने सोमवार को कहा कि बीजेपी-शिवसेना के बीच गठबंधन टूटने के लिये शिवसेना जिम्मेदार नहीं है। राउत ने रविवार को दुहराया था कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा।
संजय राउत ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि यह बीजेपी का अहंकार है कि वह राज्य में सरकार बनाने से मना कर रही है और ऐसा करके वह महाराष्ट्र की जनता का अपमान कर रही है। राउत ने कहा कि बीजेपी विपक्ष में बैठने के लिये तैयार है लेकिन वह शिवसेना को सत्ता में 50-50 की भागीदारी देने के लिये तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी 50-50 के फ़ॉर्मूले पर सहमत थी।
राउत ने कहा कि अगर राज्यपाल ने उन्हें ज़्यादा समय दिया होता तो उनकी पार्टी के लिये सरकार बनाना आसान होता। उन्होंने कहा कि बीजेपी को 72 घंटे दिये गये जबकि हमें कम समय दिया गया, यह बीजेपी की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की रणनीति है।
महाराष्ट्र की विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं और इनका योग 154 बैठता है। ऐसे में ये तीनों दल राज्य में मिलकर सरकार बना सकते हैं। इसके अलावा कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी शिवसेना के पास है।
मोदी सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री पद संभाल रहे अरविंद सावंत ने सोमवार सुबह इस्तीफ़ा देने की घोषणा की है। सावंत केंद्र में भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम का मंत्रालय संभाल रहे थे। इसके बाद ही शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के मिलकर सरकार बनाने की अटकलें तेज़ हो गई हैं। क्योंकि एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने रविवार शाम को कहा था, ‘अगर शिवसेना हमारा समर्थन चाहती है तो उसे बीजेपी से कोई संबंध नहीं रखना होगा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर निकलना होगा। साथ ही शिवसेना के मंत्रियों को केंद्र सरकार से इस्तीफ़ा देना होगा।’
सावंत के इस्तीफ़ा देने की घोषणा से सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट जायेगा। इससे पहले 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया था। लेकिन चुनाव के बाद दोनों दल साथ आ गये थे और मिलकर सरकार बनाई थी। महाराष्ट्र में सरकार में रहने के बावजूद शिवसेना बीजेपी पर ख़ूब हमलावर रही थी और लग रहा था कि दोनों दल लोकसभा का चुनाव अलग-अलग लड़ेंगे। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री पर आये थे और इसके बाद दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।
रविवार शाम को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता दिया था। राजभवन की ओर से शिवसेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे से पूछा गया है कि क्या वह सरकार बनाने के लिये तैयार हैं। शिवसेना राज्य में दूसरा बड़ा राजनीतिक दल है। इससे पहले शनिवार को राज्यपाल ने बीजेपी को राज्य में सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था। लेकिन रविवार को दिन भर पार्टी नेताओं के साथ बैठक करने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने अन्य नेताओं के साथ शाम को राज्यपाल से मुलाक़ात की थी और उन्हें बताया था कि बीजेपी राज्य में सरकार बनाने में सक्षम नहीं है।