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महाराष्ट्र: पवार के बयानों पर मत जाइए, पर्दे के पीछे जारी है ‘खेल’

महाराष्ट्र: पवार के बयानों पर मत जाइए, पर्दे के पीछे जारी है ‘खेल’

महाराष्ट्र की सियासत में चल रहे तमाम दाँव-पेचों के बीच राजनीति के पुराने खिलाड़ी एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने लोगों को हैरत में डाल रखा है। 

महाराष्ट्र की सियासत में चल रहे तमाम दाँव-पेचों के बीच राजनीति के पुराने खिलाड़ी एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने लोगों को हैरत में डाल रखा है। 24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के बाद से ही शरद पवार के बयानों, सियासी तिकड़मों ने आम लोगों, राजनीतिक विश्लेषकों को इस कदर उलझा दिया है कि वे भी यह बता पाने में समर्थ नहीं हैं कि महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की सरकार बनेगी या नहीं। यह पवार के सियासी कौशल का ही नतीजा था कि शिवसेना को बीजेपी के साथ 30 साल पुराना गठबंधन तोड़कर और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) छोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने के लिए आगे आना पड़ा। 

कभी राज्य में इन तीनों दलों की स्थिर सरकार और इसके पूरे 5 साल तक चलने का दावा करने वाले पवार सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मिले। मुलाक़ात के बाद हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जब उन्होंने यह कहा कि सोनिया गाँधी के साथ सरकार गठन को लेकर कोई बातचीत ही नहीं हुई है तो पत्रकारों के साथ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर उन्हें सुन रहे लोग भी अवाक रह गए। 

पवार ने  प्रेस कॉन्फ़्रेंस में यह भी कहा कि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के 170 विधायकों के समर्थन वाले बयान पर उन्हीं से पूछा जाए। लेकिन अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक ख़बर कहती है कि पवार के बयानों पर मत जाइए और पर्दे के पीछे शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनने का ‘खेल’ जारी है। अख़बार के मुताबिक़, तीनों दलों के बीच सरकार के गठन पर सहमति बन गई है और अगले महीने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में सरकार बन सकती है। 

सोनिया से मुलाक़ात के बाद शरद पवार ने संजय राउत से भी मुलाक़ात की और इससे इनकार नहीं किया जाना चाहिए कि पवार ने राउत को सोनिया के साथ हुई बातचीत के बारे में बताया होगा। लेकिन न जाने फिर भी पवार ने क्यों कहा कि सोनिया के साथ उनकी सरकार बनाने को लेकर कोई बातचीत ही नहीं हुई?

अख़बार के मुताबिक़, सब कुछ अगर तय योजना के हिसाब से होगा तो नई सरकार में दो उपमुख्यमंत्री होंगे। इनमें एक एनसीपी से होगा और दूसरा कांग्रेस से। इस बात पर भी सहमति बन गई है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पाँच साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे। इसके अलावा नई सरकार में 42 मंत्रालयों का बंटवारा विधानसभा में उस दल के विधायकों की संख्या के आधार पर होगा। विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं और इस आधार पर शिवसेना के 15, एनसीपी के 14 और कांग्रेस के 13 मंत्री बन सकते हैं। 

शिवसेना की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए उद्धव ठाकरे के अलावा पार्टी के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे का भी नाम चर्चा में है। लेकिन लगता है कि उद्धव ठाकरे इस गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री होंगे।

ख़बर में यह भी कहा गया है कि शिवसेना ने स्पीकर कौन बनेगा, यह विषय कांग्रेस और एनसीपी पर छोड़ दिया है। कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण का नाम इस पद के लिए आगे चल रहा है।

एनसीपी पहले भी शिवसेना के साथ सरकार बनाने की बात कह चुकी है लेकिन वह कांग्रेस की ओर से इस बारे में फ़ैसला लिए जाने का इंतजार कर रही थी। कांग्रेस और एनसीपी इसे लेकर आपस में कुछ और बातों को साफ करना चाहते हैं और सोनिया-पवार की मुलाक़ात के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के ट्वीट ने भी इसी ओर इशारा किया। सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि एक-दो दिनों में कांग्रेस और एनसीपी के नेता दिल्ली में मिलेंगे और बातचीत को आगे बढ़ाएंगे। इससे पहले सोनिया गाँधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल को एनसीपी नेताओं से बात करने के लिए मुंबई भेजा था। 

शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच चर्चा के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का जो ड्राफ्ट तैयार हुआ है, उसमें 40 बिंदु लिए गए हैं। सीएमपी के ड्राफ्ट में तीनों पार्टियों के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल मुद्दों को लिया गया है। लेकिन किसी भी नतीजे से पहुंचने से पहले कांग्रेस शिवसेना के साथ गठबंधन से उसे होने वाले सियासी नफ़ा-नुक़सान का हिसाब-किताब करने में जुटी है। 

बहरहाल, यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के मिलने से ही सरकार बनेगी क्योंकि बीजेपी सरकार बनाने के लिए पूरी जोड़-तोड़ कर चुकी है लेकिन बावजूद इसके वह सरकार नहीं बना सकी और उसके मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफ़ा देना पड़ा। इसके अलावा शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में से कोई दो दल मिलकर भी सरकार नहीं बना सकते क्योंकि ये सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 145 विधायकों के समर्थन के आंकड़े से बहुत दूर हैं। ऐसे में इन तीनों दलों को ही मिलकर सरकार बनानी होगी और होगा भी ऐसा ही क्योंकि शरद पवार राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना से साफ इनकार कर चुके हैं। बस, कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना के साथ ‘अच्छे’ सियासी ‘सौदे’ में जुटे हैं। 

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