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शिवराज के सामने कोरोना से निपटने के साथ ही कैबिनेट गठन भी बड़ी चुनौती

शिवराज के सामने कोरोना से निपटने के साथ ही कैबिनेट गठन भी बड़ी चुनौती

शिवराज सिंह चौहान के सामने कोरोना वायरस के अलावा अपनी कैबिनेट का गठन करना भी एक बड़ी चुनौती है।

शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं और उन्होंने विश्वास मत भी हासिल कर लिया है। सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में शिवराज ने कहा, ‘मेरे और बीजेपी की सरकार के सामने मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी चुनौती कोरोना वायरस है।’ लेकिन उनके सामने अपनी कैबिनेट का गठन करना भी एक बड़ी चुनौती है। 

कमलनाथ सरकार के गिरने की एक बड़ी वजह उन असंतुष्ट विधायकों को ना साध पाना भी रहा, जो मंत्री बनना चाहते थे। अब ऐसी ही परिस्थितियां शिवराज सिंह के सामने भी हैं। राज्य विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। इस हिसाब से सरकार में मुख्यमंत्री समेत 35 विधायक मंत्री बन सकते हैं। 

सिंधिया ने ‘शर्तों’ के साथ बीजेपी का साथ दिया है। राज्यसभा के अलावा उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह देने का भी पक्का वादा बीजेपी की ओर से किये जाने की चर्चा है। यह भी चर्चा है कि सिंधिया ने कांग्रेस के बाग़ी विधायकों को बीजेपी की सरकार में मंत्री बनवाने का भरोसा दिया है और बीजेपी की ओर से भी ‘वादा’ हुआ है कि सिंधिया समर्थक बाग़ी विधायकों को खाली हाथ नहीं रखा जायेगा। 

सिंधिया ने बीजेपी की सरकार तो बनवा दी, अब किए गए ‘वादों’ को पूरा करने की बारी शिवराज सरकार और बीजेपी की है।

कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे - प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर और महेन्द्र सिंह सिसोदिया को तो शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाना ही होगा। इनके अलावा कांग्रेस से बग़ावत करने वाले बिसाहूलाल सिंह, ऐंदल सिंह कंसाना और राज्यवर्धन सिंह भी मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। बाक़ी विधायक भी ‘पारितोषिक’ मिलने की उम्मीद लगाये हुए हैं। 

दो डिप्टी सीएम बनायेगी बीजेपी

इधर, 15 महीनों से सत्ता से दूर बीजेपी में भी मंत्री पद के दावेदारों की फेहरिस्त खासी लंबी है। कमलनाथ सरकार गिराने में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। मिश्रा को कैबिनेट में जगह मिलना तय है। मगर देखने वाली बात यह होगी कि वह डिप्टी सीएम के पद से नवाजे जायेंगे अथवा नहीं। बीजेपी ने यूपी में दो डिप्टी सीएम बनाये हैं। सिंधिया ने तुलसी सिलावट के लिये कमलनाथ से भी उप मुख्यमंत्री का पद मांगा था लेकिन कमलनाथ इसके लिये तैयार नहीं हुए थे। अब सिंधिया चाहते हैं कि जो कमलनाथ सरकार में नहीं हुआ, वह शिवराज सरकार में हो जाये। सूत्रों के मुताबिक़, सिंधिया को खुश करने के लिए बीजेपी अगर सिलावट को डिप्टी सीएम पद देने को राजी हुई तो ही मिश्रा को भी यह पद मिल पायेगा, वरना नहीं। 

शिवराज को सभी को साधना होगा। कांग्रेस के बाग़ी विधायकों के अलावा बीजेपी में भी मंत्री पद की दौड़ में ढाई दर्जन चेहरे ऐसे हैं जिन्हें कैबिनेट में लेने और छोड़ने को लेकर खुद शिवराज और बीजेपी में भारी असमंजस है। जिसे छोड़ेंगे, वही खफा हो जायेगा।

विभागों का वितरण भी टेढ़ी खीर 

मंत्रिमंडल के गठन के बाद विभागों का बंटवारा भी बड़ा सिरदर्द साबित होगा। सिंधिया समर्थक बाग़ी मंत्री पुराने महकमों से बेहतर विभाग चाह रहे हैं। सिंधिया अपनी ‘पसंद-नापसंद’ से बीजेपी को पहले ही ‘अवगत’ करा चुके हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने विभाग वितरण के दौरान भी कई तरह के संकट पेश आ सकते हैं। 

स्पीकर पद के लिए शर्मा बड़े दावेदार

विधानसभा स्पीकर पद के लिए सीतासरन शर्मा बड़े दावेदार हैं। शर्मा शिवराज की गुडबुक में आते हैं। वह शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में भी स्पीकर रहे हैं। स्पीकर के पद के लिए कई और विधायक भी दौड़ में माने जा रहे हैं लेकिन अंतिम फ़ैसला शर्मा के हक में होने की उम्मीद है। इस पद के अन्य दावेदारों को बीजेपी डिप्टी स्पीकर का पद देकर संतुष्ट कर सकती है। कमलनाथ सरकार में ये दोनों ही पद कांग्रेस के पास थे और अब बीजेपी भी इन्हें अपने पास रखेगी, इसकी पूरी संभावना है।

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