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शिवराज क्यों बोल पड़े- 'कुछ मांगने से पहले मरना पसंद करूंगा'?

शिवराज क्यों बोल पड़े- 'कुछ मांगने से पहले मरना पसंद करूंगा'?

क्या मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से शिवराज सिंह चौहान निराश हैं और पार्टी आलाकमान से दुखी हैं? जानिए, उन्होंने क्यों कहा कि कुछ मांगने से पहले बेहतर मरना है।

शिवराज सिंह चौहान का कड़ा बयान आया है। दिल्ली जाने के सवाल से जुड़े एक मामले में उन्होंने कहा है कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से पहले मैं मरना बेहतर समझूँगा। तो क्या शिवराज सिंह चौहान एमपी का सीएम नहीं बनाए जाने से बेहद नाराज़ हैं? या फिर उन्होंने किसी और संदर्भ में ये बातें कहीं?

इस सवाल का जवाब पाने से पहले यह जान लें कि आख़िर किस संदर्भ में उन्होंने ये बातें कहीं। मध्य प्रदेश के चुनाव में बीजेपी को भारी जीत मिली है और कहा जा रहा है कि इसमें शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना का बड़ा हाथ है। लेकिन अगले सीएम के रूप में उनका नाम नहीं आया। नये सीएम के रूप में मोहन यादव के नाम की घोषणा कर दी गई। तब शिवराज सिंह चौहान भी नये सीएम को बधाई देते नज़र आए। लेकिन इस बीच दिल्ली जाने को लेकर एक सवाल पर जवाब के बाद शिवराज सिंह सुर्खियों में आने लगे। 

जब शिवराज सिंह चौहान से उनके दिल्ली न जाने के हालिया बयान पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'उस दिन संदर्भ यह था कि बाकी लोग दिल्ली में हैं, क्या आप दिल्ली जाएंगे। मैं बड़ी विनम्रता से एक बात कहता हूँ कि जाकर अपने लिए कुछ मांगने की बजाय मैं मर जाना पसंद करूंगा। वह मेरा काम नहीं है। इसीलिए मैंने कहा था कि मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा।'

हालाँकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी आलाकमान ने उन्हें 18 साल काम करने का मौका दिया। उन्होंने नये सीएम मोहन यादव की तारीफ़ की। 

शिवराज सिंह ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि सीएम मोहन यादव के नेतृत्व में भाजपा सरकार राज्य में चल रही परियोजनाओं को पूरा करेगी... प्रगति और विकास के मामले में मध्य प्रदेश नई ऊंचाइयों को हासिल करेगा। मैं उनका समर्थन करता रहूंगा।'

18 साल तक सत्ता में रहने के बाद से अपनी उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने महत्वपूर्ण प्रगति देखी है। शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा चुनाव लड़ने के सवालों को काल्पनिक बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि वह पार्टी के फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि वह एक बड़े मिशन के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी की ओर से कोई अन्याय महसूस नहीं हुआ क्योंकि पार्टी ने उन्हें 18 साल तक शीर्ष पद सौंपा है।

शिवराज सिंह ने कहा, 'कहाँ है अन्याय? भाजपा ने एक साधारण कार्यकर्ता को 18 साल तक मुख्यमंत्री बनाए रखा, कोई दूसरा पक्ष नहीं देखता। भाजपा ने मुझे सब कुछ दिया, अब समय आ गया है कि मैं बदले में पार्टी को लौटाऊँ। ऐसी सोच क्यों नहीं हो सकती?'

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