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गौ-कैबिनेट की पहली बैठक वहाँ जो गायों की ‘मौतगाह’

गौ-कैबिनेट की पहली बैठक वहाँ जो गायों की ‘मौतगाह’

शिवराज सिंह चौहान द्वारा गोधन संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों को तगड़ा झटका लगा है। शिवराज सरकार ने गौ-कैबिनेट की पहली बैठक आगर मालवा में 22 नवंबर को जहाँ रखी है वहाँ बड़ी तादाद में गायों की मौत हुई है। 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा गोधन संरक्षण और संवर्धन के प्रयासों को तगड़ा झटका लगा है। शिवराज सरकार ने गौ-कैबिनेट बनाई है। इस काबीना की पहली बैठक आगर मालवा में 22 नवंबर को रखी गई है। गौ-कैबिनेट की पहली बैठक के ठीक पहले आगर गौ-अभ्यारण्य में बड़ी तादाद में गायों की मौत ने सरकार के प्रयासों को पलीता लगा दिया है।

आगर के सुसनेर से लगे सालरिया गाँव में शिवराज के पूर्व के कार्यकाल में 38 करोड़ रुपयों की लागत से प्रदेश का पहला गौ-अभ्यारण्य बनाया गया था। क़रीब 4 हज़ार गायों को यहाँ रखे जाने की व्यवस्था है।

गौ-कैबिनेट बैठक के ठीक पहले मीडिया सक्रिय है। गत दिवस मीडिया कर्मी अभ्यारण्य पहुँचे तो वहाँ के हालातों ने सरकार के कथित गौ-प्रेम की पोल खोल कर रख दी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गौ-अभ्यारण्य के शेड 6 और 12 में दो-दो तथा 9, 10, 14, 17, 21 और 24 में एक-एक गाय मृत मिलीं। 

बता दें कि अभ्यारण्य में गायों को रखने के लिए कुल 24 शेड हैं। जबकि भूसे और चारे के लिए दस शेड हैं। मीडिया वालों ने पड़ताल की तो सामने आया कि पाँच शेडों में भूसा और चारा ही नहीं है।

हालातों को लेकर ज़िम्मेदार लोगों से सवाल हुए तो वे स्थितियों पर परदा डालने में जुट गये। मीडिया कर्मियों के पहुँचने पर डाॅक्टर पहुँच गये। मृत गायों का परीक्षण करते डाॅक्टरों की तसवीरें मीडिया के कैमरों में कैद हुईं। उधर अफ़सरों ने दावा किया कि केवल दो गायें मरी हैं, इन गायों की मौत बीमारी से हुई है।

स्थानीय ग्रामीणों ने इस गौ-अभ्यारण्य से जुड़ी अव्यवस्थाओं को लेकर जो कुछ मीडिया को बताया, वह गायों की दुर्दशा की कहानी की भयावह तसवीर के तौर पर सामने आया।

ग्रामीणों का कहना है कि हर दिन 20 के लगभग गायें पिछले कई दिनों से मर रही हैं। भूख और समुचित देखभाल ना होने की वजह से गायों की मौत होने का आरोप भी ग्रामीणों ने लगाया।

200 रुपये मिलने चाहिए, मिलते हैं 1.60 रुपये

मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने अगस्त महीने में गौ-शालाओं के लिये 11 करोड़ रुपयों का बजट अलाॅट किया था। राज्य में कुल 1300 गौ-शालाएँ हैं। इनमें 1.80 लाख के क़रीब गायें हैं। महज 11 करोड़ रुपये ऊँट के मुँह में जीरे के समान था।

दरअसल, एक गाय के खाने पर औसतन 200 से 250 रुपये की राशि का व्यय होता है। मात्र 11 करोड़ को 1.80 लाख गायों में वितरित करने पर एक गाय के हिस्से में 1 रुपये 60 पैसे मात्र आया। ऐसे में सरकारी गौ-शालाओं में गायों का लालन-पालन असंभव हो गया।

आगर-मालवा के राज्य स्तरीय गौ-अभ्यारण्य में दो साल पहले भी गायों की बड़ी संख्या में मौतें हुई थीं। गायों की मौतों पर राज्य में राजनीति भी हुई थी। प्रतिपक्ष कांग्रेस ने बीजेपी की सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया था। गौ-प्रेम को ढोंग बताते हुए ख़ूब आरोप लगाये गये थे।

भारी हड़कंप मचा हुआ है

गौ-कैबिनेट की बैठक के ऐन पहले आगर मालवा के गौ-अभ्यारण्य में गायों की मौतों के मामले पर ज़िम्मेदारों के हाथ-पैर फूले हुए हैं। अफ़सर इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।

‘सत्य हिन्दी’ ने अपर मुख्य सचिव पशुपालन जे.एन. कंसोटिया से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया लेकिन वह टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। 

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘बीजेपी की कथनी और करनी में बेहद अंतर है। बीजेपी के लिए गाय केवल राजनीति का विषय है। मुख्यमंत्री शिवराज भरपूर दिखावा करते हैं। राज्य में गायों को लेकर असलियत क्या है, स्वयं मीडिया ने सामने ला दिया है।’

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