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नाथ सरकार के मंत्री लॉकडाउन में ही बंगला से बेदखल, बीजेपी वालों को नोटिस भी नहीं

नाथ सरकार के मंत्री लॉकडाउन में ही बंगला से बेदखल, बीजेपी वालों को नोटिस भी नहीं

लॉकडाउन के बीच कमलनाथ सरकार में वित्त, योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक तरुण भानोट से बुधवार को भोपाल स्थित सरकारी बंगला खाली करा लिया गया।

लॉकडाउन के बीच कंटेनमेंट ज़ोन में बिना अनुमति बाहर निकलने की इजाज़त भी नहीं है, लेकिन सरकार ही घर से बेदखल कर दे तो सारा सामान सड़क पर रख ताला लगा दे तब कमलनाथ सरकार में वित्त, योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक तरुण भानोट के साथ ऐसा ही हुआ। बुधवार को भोपाल स्थित सरकारी बंगला खाली करा लिया गया। लाॅकडाउन की वजह से भानोट और उनका परिवार जबलपुर में है।

कमलनाथ सरकार के जाते ही भानोट का मंत्री पद चला गया था और इसलिए वह विधायक होते हुए भी बंगला के हकदार नहीं थे। इसलिए उन्हें पहले ही नोटिस जारी किया गया था और तय नियमों के अनुसार उन्हें बंगला खाली कर देना चाहिए था। लेकिन सवाल उन पूर्व मंत्रियों को लेकर भी उठ रहे हैं जो कांग्रेस से पाला बदलकर बीजेपी में चले गए और वे विधायक भी नहीं हैं, लेकिन उन्हें अभी तक बंगला खाली करने के नोटिस भी नहीं जारी किए गये हैं।

बहरहाल, सत्ता परिवर्तन के बाद कुछ पूर्व मंत्रियों ने बंगले खाली कर दिये थे। जबकि ज़्यादातर पूर्व मंत्री सरकारी घरों को रखे हुए थे। पूर्व मंत्री तरुण भानोट, सज्जन सिंह वर्मा, हुकुम सिंह कराड़ा, बृजेन्द्र सिंह राठौर, ओमकार सिंह मरकाम, प्रियव्रत सिंह, सुखदेव पांसे, उमंग सिंघार, पीसी शर्मा, कमलेश्वर पटेल, लखन घनघोरिया, सचिन यादव और सुरेन्द्र सिंह बघेल को बंगले खाली करने के नोटिस जारी किये गये हैं। भोपाल में मंत्रियों को अलाॅट किये जाने वाले ज़्यादातर सरकारी बंगले चार इमली और 74 बंगलों में बने हुए हैं। जिन 13 पूर्व मंत्रियों को नोटिस दिये गये हैं, उन्हें इन्हीं क्षेत्रों में बंगले अलाॅट थे। 

संपदा संचालनालय का बेदखली अमला बुधवार को चार इमली स्थित बी-16 नंबर बंगले में पहुँचा। शिवराज सरकार में कृषि मंत्री बनाये गये कमल पटेल को हाल ही में इस बंगले का आवंटन किया गया है। पूर्व में यह बंगला तरुण भानोट को अलाॅट था। बंगला परिसर में ही सर्वेंट क्वार्टर भी है। भानोट का स्टाफ़ इसमें रहता है।

अमले ने स्टाफ़ को सूचित कर आनन-फानन में बंगले के भीतर रखा भानोट के निजी सामान को निकालकर बाहर रखा और इसके बाद बंगले के प्रवेशद्वारों पर अपने ताले लटकाकर सील लगा दी।

तरुण भानोट जबलपुर पश्चिम से विधायक हैं। लाॅकडाउन की वजह से वह परिवार समेत जबलपुर में ही हैं। भोपाल में सरकारी बंगले से बेदखल किये जाने संबंधी आज की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर भानोट ने फ़ोन पर कहा, ‘चार इमली स्थित सरकारी घर खाली करने का नोटिस उन्हें मिला था। लाॅकडाउन ख़त्म होने के बाद विधिवत बंगला खाली करने संबंधी जवाब उन्होंने नोटिस भेजने वाले संचालनालय को वक़्त पर दे दिया था।’

भानोट ने कहा, ‘आज अचानक उनका बंगला सील किये जाने की कार्रवाई को लेकर वे अंचभित हैं। लाॅकडाउन के चलते, मैं और मेरा परिवार लगातार जबलपुर में हैं।' उन्होंने कहा, 

चार इमली कंटेनमेंट ज़ोन है। कोविड-19 के रोगी मिलने की वजह से पूरे इलाक़े को सील भी किया हुआ है। इस दृष्टि से भी बंगले को खाली किया जाना मुमकिन नहीं हो पा रहा था। बड़े बंगले में रहने की उनकी कोई चाह नहीं थी।


तरुण भानोट, पूर्व मंत्री

कमलनाथ के दायें हाथ माने जाते हैं भानोट

तरुण भानोट की गिनती कमलनाथ के बेहद विश्वासपात्रों में होती है। नाथ सरकार को गिराने के लिए भाजपा द्वारा खेले गये कथित खेल की धार को भोथरा करने के प्रयासों में भानोट सबसे आगे रहे थे। गुरुगाँव से लेकर कर्नाटक के उन रिसोर्ट में भानोट भी बराबर नज़र आये थे, जहाँ कांग्रेस के विधायकों को भाजपा द्वारा कथित तौर पर बंधक बनाकर रखा गया था।

पूर्व मंत्रियों से बंगले खाली कराना टेढ़ी खीर

मध्य प्रदेश में पूर्व मंत्रियों, सांसदों और विधायकों से सरकारी बंगले और घर खाली कराने को लेकर कठिनाई आम बात है। कमलनाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल में भी इस तरह की कठिनाइयों से संपदा संचालनालय दो-चार होता रहा था। शिवराज सरकार के कई मंत्रियों ने सरकार जाने के बाद आलीशान और बड़े सरकारी घर खाली नहीं किये थे। नाथ सरकार ने बेसब्री नहीं दिखाई थी। हालाँकि बंगलों को खाली कराने की कार्रवाई को अंजाम दे पाने के पहले ही नाथ सरकार गिर गई थी।

ये सवाल भी उठाये गये

शिवराज सरकार द्वारा कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे 13 मौजूदा विधायकों को मंत्री की हैसियत से अलाॅट बंगले खाली करने के नोटिस दिये गये और बेदखली की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई।

उधर कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी के साथ हो गए कमलनाथ सरकार के पूर्व मंत्रियों प्रभुराम चौधरी, महेन्द्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर और इमरती देवी को नोटिस जारी नहीं किये गये। सरकारी बंगले रखे रहने के बावजूद नोटिस ना पाने वाले पूर्व मंत्रियों में गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट भी शामिल रहे। हालाँकि राजपूत और सिलावट को बाद में शिवराज काबीना में जगह मिल गई।

सिंधिया समर्थक कुल मंत्रियों में जिन चार को अभी तक नोटिस नहीं दिया गया है, वे तो फ़िलहाल विधायक भी नहीं हैं। कहा जा रहा है कि चूँकि इन सभी ने कमलनाथ की सरकार को गिराने और बीजेपी की सरकार बनवाने में मदद की, लिहाज़ा इनके लिए नियम-क़ायदे ताक में रख दिये गये।

बीजेपी ने साधा कमलनाथ पर निशाना

तरुण भानोट का सरकारी बंगला खाली कराये जाने को लेकर मध्य प्रदेश बीजेपी की प्रतिक्रिया दिलचस्प रही। मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और मीडिया सेल के प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर ने कहा, ‘कार्रवाई नियमानुसार हुई है। नैतिकता के आधार पर नोटिस मिलने के पहले ही भानोट को सरकारी बंगला खाली कर देना चाहिए था।’ उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री पद गए दो महीने से ज़्यादा हो चुके हैं, लेकिन कमलनाथ जी ने छह श्यामला हिल्स स्थित सीएम हाउस को आज तक खाली नहीं किया है।’ पाराशर यह कहना भी नहीं भूले कि, ‘कांग्रेस की सरकार बनने और कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के अगले ही दिन शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री निवास को खाली कर दिया था।’

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