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शिवाजी की मूर्ति ढहने के घटनास्थल पर पहुंचे अजित पवार, मामले में पहली गिरफ्तारी

शिवाजी की मूर्ति ढहने के घटनास्थल पर पहुंचे अजित पवार, मामले में पहली गिरफ्तारी

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के मामले में पहली गिरफ्तारी हुई है। यह मामला महायुति सरकार के गले की हड्डी बन गया है। वो इस मामले को जितना दबाना चाहती है, उतना ही यह मामला उछल रहा है। महायुति सरकार के डिप्टी सीएम अजित पवार ने शुक्रवार को मौके का मुआयना किया है। वो और उनकी पार्टी ने इस घटना पर मौन विरोध प्रदर्शन भी किया है। विपक्षी दलों ने इस मामले में भ्रष्टाचार का आरोप शिंदे सरकार पर लगाया है।

इस सप्ताह की शुरुआत में महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के मामले में शुक्रवार को प्रोजेक्ट के सलाहकार चेतन पाटिल को गिरफ्तार किया गया है। कोल्हापुर के रहने वाले चेतन पाटिल को शुक्रवार सुबह कोल्हापुर क्राइम ब्रांच और मालवन पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में हिरासत में ले लिया गया। फिर उन्हें मालवन पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

 - Satya Hindi

इस गिरफ्तारी से नई नई बातें सामने आ रही हैं और उसी से पता चलता है कि सारे मामले में दरअसल कहीं न कहीं भ्रष्टाचार हुआ है। पीडब्ल्यूडी ने पहले ही कहा था कि बहुत घटिया तरीके से मूर्ति बनाई गई और लगाई गई। इस मामले की एफआईआर में नामजद पाटिल ने पहले इस परियोजना के लिए सलाहकार होने से इनकार किया था। उन्होंने दावा किया कि उन्हें केवल मूर्ति के लिए मंच पर काम करने का काम सौंपा गया था, जबकि ठाणे स्थित एक कंपनी ने मूर्ति से संबंधित काम संभाला था। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को सिंधुदुर्ग के राजकोट किले का शुक्रवार को दौरा किया। इससे मामला और तूल पकड़ेगा।

सिंधुदुर्ग के मालवन में राजकोट किले में 17वीं सदी के मराठा योद्धा राजा की 35 फुट की मूर्ति 26 अगस्त दोपहर करीब 1 बजे ढह गई। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब नौ महीने पहले इसका अनावरण किया था। 26 अगस्त को वहां भारी बारिश हो रही थी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुरू में मूर्ति ढहने की वजह तेज हवाओं को बताया। फिर उन्होंने नेवी को लपेटते हुए कहा कि यह पूरा काम नेवी की देखरेख में हुआ था। नेवी ने कहा कि वो अपने स्तर पर जांच कराएगी।

मूर्ति के ढहने से महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। प्रतिमा क्यों गिरी इसका पता लगाने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक तकनीकी समिति का गठन किया गया है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने यह भी बताया कि इस परियोजना को भारतीय नौसेना द्वारा देखा गया था।

अपनी ओर से, नेवी ने कहा कि उसने राज्य सरकार के साथ समन्वय में शिवाजी की प्रतिमा स्थापित करने की परियोजना की परिकल्पना की और उसका संचालन किया, जिसने इसके लिए धन उपलब्ध कराया। एक बयान में, नेवी ने कहा कि वह जल्द से जल्द प्रतिमा की मरम्मत, मरम्मत और पुन:स्थापन के सभी उपायों में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह मराठा योद्धा के पैरों पर सिर रखकर प्रतिमा ढहने के लिए 100 बार माफी मांगने को तैयार हैं। उन्होंने विपक्षी दलों से इस मामले में ''राजनीति नहीं खेलने'' की भी अपील की।

शिंदे ने कहा कि "हमने समितियां बनाई हैं। एक समिति इसकी जांच करेगी और कार्रवाई करेगी और दूसरी समिति छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति जल्द से जल्द बनाने के इरादे से बनाई गई है... हम युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं, हम तैयारी कर रहे हैं।" शिंदे ने कहा, "जितनी जल्दी हो सके वहां शिवाजी महाराज की एक भव्य प्रतिमा बनाई जाए।"

इस बीच, उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सदस्यों ने इस घटना पर पूरे महाराष्ट्र में मौन विरोध प्रदर्शन किया। इस पर शिंदे सेना ने आपत्ति जताई। अब महायुति में इस मुद्दे पर मतभेद उभर आए हैं।

मौके पर पहुंचे अजित पवार

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को सिंधुदुर्ग जिले के मालवन में राजकोट किले का दौरा किया, जहां शिवाजी की मूर्ति गिरी थी और जमीनी स्तर पर हालात की समीक्षा की। दो दिन पहले अजित पवार ने प्रतिमा गिरने पर माफी भी मांगी थी।

एक्स पर अपने पोस्ट में, पवार ने कहा, “कुछ दिन पहले, मालवन के राजकोट किले में स्थापित महान छत्रपति शिवाजी महाराज की एक प्रतिमा के गिरने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी। आज (शुक्रवार) साइट पर जाकर इसकी समीक्षा की। राजकोट किले का भी निरीक्षण किया। शिवाजी हमारा स्वाभिमान है, हमारी पहचान है। जल्द ही एक बार फिर महाराज की मजबूत और मजबूत प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

अजित पवार ने अपने माफीनामे में यह भी कहा था, ''छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का गिरना काफी चौंकाने वाला है। जिसने भी जो किया उसकी जांच होनी चाहिए। इस मामले में जो भी दोषी है, चाहे वह बड़े अधिकारी हों या निचले अधिकारी या ठेकेदार, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। उस ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए। छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करते समय क्या भौगोलिक परिस्थितियों और जलवायु जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था? राज्य सरकार ने प्रतिमा बनाने में इस्तेमाल की गई सामग्री की गुणवत्ता की जांच की है और प्रतिमा के निर्माण से जुड़े लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।”

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