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ममता को शिव सेना का झटका, कहा-कांग्रेस की जगह लेने का मंसूबा घातक

ममता को शिव सेना का झटका, कहा-कांग्रेस की जगह लेने का मंसूबा घातक

ममता बनर्जी बंगाल के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में ख़ुद को विपक्ष का चेहरा बनाना चाहती हैं। इसके लिए वह कांग्रेस पर हमले कर रही हैं। 

राष्ट्रीय राजनीति में छलांग लगाने की कोशिश कर रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर सियासत करना मौजूदा ‘फासिस्ट’ राज की प्रवृत्ति को बल देने जैसा है। शिव सेना ने कहा है कि पिछले दस वर्षों में कांग्रेस पार्टी का पिछड़ना चिंताजनक है लेकिन कांग्रेस की जगह लेने का मंसूबा घातक है।

शिव सेना ने सामना के ताज़ा संपादकीय में ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे का जिक्र करते हुए कहा है कि विपक्ष की एकता का न्यूनतम साझा कार्यक्रम नहीं बनता है तो बीजेपी को सामर्थ्यवान विकल्प देने की बात कोई न करे। अपने-अपने राज्य और टूटे-फूटे किले संभालते रहें या एक साथ आएं, इस पर तो कम-से-कम एकमत होना जरूरी है। इस एकता का नेतृत्व कौन करे यह आगे का मसला है। 

हालांकि शिव सेना ने ममता की तारीफ भी की है और कहा है कि पश्चिम बंगाल में वह बाघिन की तरह लड़ीं और जीतीं और बीजेपी को चारों खाने चित करने का काम किया।

बता दें कि ममता बनर्जी ने बीते दिनों में कांग्रेस के कई नेताओं को तोड़ने के साथ ही उस पर हमले भी किए हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यूपीए क्या है और यूपीए कुछ नहीं है। उनके इस बयान पर कांग्रेस के नेताओं ने कहा था कि वह बीजेपी की बोली बोल रही हैं। 

शिव सेना ने सामना में आगे कहा है, “कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो, ऐसा मोदी व उनकी बीजेपी का एजेंडा है। लेकिन मोदी व उनकी प्रवृत्ति के विरुद्ध लड़ने वालों को कांग्रेस ख़त्म हो, ऐसा लगना यह सबसे गंभीर ख़तरा है।”

जी-23 गुट पर हमला 

सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि कांग्रेस का दुर्भाग्य है कि जिन्होंने जिंदगी भर कांग्रेस से सुख-चैन-सत्ता प्राप्त की वही लोग कांग्रेस का गला दबा रहे हैं। जी-23 गुट के लगभग सभी लोगों ने कांग्रेस से सत्ता सुख भोगा है लेकिन इस गुट के तेजस्वी मंडल ने कांग्रेस की आज की स्थिति सुधारने के लिए क्या किया? 

यूपीए को मजबूत करें 

शिव सेना ने कहा है, “विपक्षियों को यूपीए की जरूरत है। यूपीए के समानांतर दूसरा गठबंधन बनाना यह बीजेपी के हाथ मजबूत करने जैसा है। यूपीए का नेतृत्व कौन करे? यह सवाल है। कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए गठबंधन किस-किस को स्वीकार नहीं है, वे खुलेआम हाथ ऊपर करें, स्पष्ट बोलें। पर्दे के पीछे गुटर-गूं न करें। इससे विवाद और संदेह बढ़ता है। यूपीए नहीं होगा तो दूसरा क्या? इस बहस में समय गंवाया जा रहा है, जिसे विपक्ष का मजबूत गठबंधन चाहिए, उन्हें खुद पहल करके यूपीए की मजबूती के लिए प्रयास करना चाहिए।”

 - Satya Hindi

टीएमसी, आप पर निशाना 

शिव सेना ने कहा है कि गोवा, पूर्वोत्तर राज्यों में टीएमसी ने कांग्रेस को तोड़ा लेकिन इससे केवल टीएमसी का दो-चार सांसदों का बल बढ़ा। ‘आप’ का भी वही है। कांग्रेस को दबाना और खुद ऊपर चढ़ना यही मौजूदा विपक्षियों की राजनीतिक चाणक्य नीति है। 

पहले विकल्प खड़ा करो!

महा विकास अघाडी सरकार में कांग्रेस की सहयोगी शिव सेना ने खुलकर कांग्रेस की तरफ़दारी करते हुए कहा है कि आज भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की राजनीतिक बदनामी की जा रही है और वे इससे संघर्ष कर रहे हैं। शिव सेना ने कहा है कि अगर प्रियंका लखीमपुर खीरी नहीं पहुंचतीं तो किसानों की हत्या का मामला रफा-दफा हो गया होता। यही विपक्ष का काम है। यूपीए नेतृत्व का दैवीय अधिकार किसका यह आनेवाला समय तय करेगा, पहले विकल्प खड़ा करो!

शिव सेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शनिवार को कहा कि कई राज्यों में कांग्रेस का आधार है। कांग्रेस के साथ हम सब मिलकर काम करें तो एक अच्छा फ्रंट बन बनेगा। जहां सब लोग एक साथ रहें और इसका आदर्श उदाहरण महाराष्ट्र है। 

निश्चित रूप से शिव सेना ने यह साफ कर दिया है कि बीजेपी और एनडीए के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन बनाना है तो कांग्रेस को साथ लेना ही होगा। लेकिन ममता बनर्जी शायद ऐसा नहीं चाहतीं। वे कांग्रेस को पीछे रखकर ख़ुद एक गठबंधन बनाकर उसका नेतृत्व करना चाहती हैं लेकिन सवाल यही है कि तमाम बड़े क्षेत्रीय दल क्या ममता को अपना नेता मान लेंगे? 

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