महाराष्ट्र: शिवसेना ने कहा, राष्ट्रपति शासन के बहाने ख़रीद-फरोख़्त की कोशिश
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान में शिवसेना लगातार बीजेपी पर हमलावर है। शिवसेना ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि राष्ट्रपति शासन के बहाने राज्य में ख़रीद-फरोख़्त की कोशिश हो रही है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे संपादकीय में कहा गया है कि बीजेपी ने शुरुआत में सरकार बनाने का विश्वास दिखाया लेकिन बाद में वह इससे पीछे हट गई। शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार गठन में देरी के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराती रही है।
‘सामना’ में लिखा है, ‘जिनके पास 105 सीटें थीं, वे पहले ही राज्यपाल को बता चुके हैं कि उनके पास बहुमत नहीं है। तो अब वे कैसे इस बात का दावा कर रहे हैं कि वे राज्य में सरकार बना सकते हैं।’
‘सामना’ में लिखा है कि इससे ख़रीद-फरोख़्त के मंसूबे साफ़ होते हैं। ‘सामना’ में आगे लिखा है कि इस तरह के अनैतिक तरीके़ राज्य की परंपरा का हिस्सा नहीं हैं। ‘सामना’ में यह बयान तब आया है जब महाराष्ट्र के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शुक्रवार को कहा था कि बीजेपी राज्य में जल्द सरकार बनाएगी। इसे लेकर सवाल उठे थे क्योंकि बीजेपी पूरा जोर लगाने के बाद भी सरकार गठन के लिए ज़रूरी 145 विधायक नहीं जुटा पाई थी।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बयान कि क्रिकेट और राजनीति में सब कुछ संभव है, पर ‘सामना’ में कहा गया है कि क्रिकेट इन दिनों खेल से ज़्यादा व्यवसाय हो गया है और क्रिकेट में भी राजनीति की तरह सौदेबाज़ी और ख़रीद-फरोख़्त होती है।
महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के बाद से ही किसी भी दल के पास बहुमत के लिए ज़रूरी विधायक नहीं थे। बीजेपी-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी के मुद्दे को लेकर लंबे समय तक तकरार चली लेकिन दोनों ही दल झुकने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश कर दी थी जिसे राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया था। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं।
इससे पहले भी शिवसेना ने बीजेपी पर उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। शिवसेना ने कहा था कि बीजेपी सरकार बनाने के लिये धनबल का इस्तेमाल कर रही है। शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा था कि, ‘कुछ लोग शिवसेना के विधायकों को पैसे से ख़रीदने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसी शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। शिवसेना राज्य में इस तरह की राजनीति नहीं होने देगी।’
ग़ौरतलब है कि आज ही शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के नेताओं की किसानों की समस्याओं के मुद्दे पर राज्यपाल से मुलाक़ात होनी थी। सूत्रों के मुताबिक़, इस दौरान इन दलों के नेता सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते थे। लेकिन यह बैठक स्थगित हो गई। वैसे भी, तीनों दलों के बीच सरकार बनाने को लेकर सहमति बन चुकी है और शिवसेना प्रमुख शरद पवार कह चुके हैं कि राज्य में एक स्थिर सरकार बनेगी और यह पूरे पाँच साल चलेगी। ख़बरों के मुताबिक़, यह भी तय हो गया है कि राज्य में मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा जबकि कांग्रेस और एनसीपी को उप मुख्यमंत्री का पद मिलेगा।