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शिवसेना की कांग्रेस को नसीहत, कहा - न करें सावरकर का अपमान

शिवसेना की कांग्रेस को नसीहत, कहा - न करें सावरकर का अपमान

एकदम विपरीत विचारधारा वाली पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना का आख़िरकार विचारधारा को लेकर उससे टकराव हो ही गया। 

एकदम विपरीत विचारधारा वाली पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना का आख़िरकार विचारधारा को लेकर उससे टकराव हो ही गया। महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव से पहले जब बीजेपी ने हिंदू महासभा के नेता वी. डी. सावरकर को भारत रत्न दिये जाने की बात अपने घोषणा पत्र में कही थी तो कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध किया था। उस समय शिवसेना बीजेपी की सहयोगी थी और उसने बीजेपी की इस माँग का समर्थन किया था। तब इसे लेकर देश भर में ख़ासा विवाद भी हुआ था। विधानसभा चुनाव के बाद सियासी समीकरण बदले और महाराष्ट्र में कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी की सरकार बनी। लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के एक ताज़ा बयान के बाद विधानसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ यह विवाद फिर से सामने आ गया है। 

मामला यह था कि शुक्रवार को राहुल गाँधी ने झारखंड में एक चुनावी रैली में आए दिन सामने आ रही बलात्कार की घटनाओं को लेकर मोदी सरकार की योजना ‘मेक इन इंडिया’ का नाम लेते हुए कहा था कि भारत अब ‘रेप इन इंडिया’ हो गया है। उनके इस बयान पर केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी सहित बीजेपी की कई महिला सांसदों ने तीख़ी नाराज़गी जताई थी और चुनाव आयोग से मिलकर राहुल के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात कही थी। 

शनिवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित ‘भारत बचाओ रैली’ में राहुल गाँधी ने कहा कि बीजेपी की ओर से उनसे माफ़ी माँगने के लिए कहा गया है। लेकिन वह कोई सावरकर नहीं हैं, जो माफ़ी माँग लेंगे। राहुल ने कहा, 'मैं मर जाऊंगा, लेकिन माफ़ी नहीं मांगूगा। मेरा नाम राहुल सावरकर नहीं है बल्कि राहुल गाँधी है।' राहुल के इस बयान पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाज़ी भी की। राहुल ने कहा कि वह सही बयान देने के लिए माफ़ी नहीं माँगेंगे और न ही कांग्रेस का कोई नेता माफ़ी माँगेगा। कांग्रेस सावरकर पर अंग्रेजों से माफ़ी माँगने का आरोप लगाती रही है। 

अब इसे लेकर शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने प्रतिक्रिया दी है। इसे प्रतिक्रिया के अलावा कांग्रेस के लिए नसीहत भी कहा जा सकता है। संजय राउत ने ट्वीट कर कहा है कि सभी महानायकों का सम्मान होना चाहिए। संजय राउत ने ट्वीट कर कहा, ‘वीर सावरकर सिर्फ महाराष्ट्र के ही नहीं, देश के देवता हैं, सावरकर नाम में राष्ट्र का अभिमान और स्वाभिमान है। नेहरू-गाँधी की तरह सावरकर ने भी देश की आज़ादी के लिए जीवन समर्पित किया। हमें हर देवता का सम्मान करना चाहिए। इस मामले में कोई भी समझौता नहीं होगा। जय हिंद।’

राउत ने एक और ट्वीट कर कहा, ‘हम पंडित नेहरू, महात्मा गाँधी को मानते हैं, आप भी वीर सावरकर का अपमान न करें। जो समझदार होता है उसे ज्यादा बताने की ज़रूरत नहीं होती। जय हिंद।'

बीजेपी, संघ और शिवसेना जहाँ सावरकर को वीर, देशभक्त और क्रांतिकारी बताते हैं, वहीं कांग्रेस का कहना है कि सावरकर ने अंग्रेजों से रिहाई की भीख माँगी थी और जेल से आज़ादी के बदले अंग्रेजों की ग़ुलामी स्वीकार की थी।

‘सावरकर को न मानने वालों को पीटो’

इस साल अगस्त में दिल्ली विश्वविद्यालय में आरएसएस से संबंद्ध छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और सावरकर की प्रतिमा लगाई थी। लेकिन कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जुड़े छात्र नेताओं ने सावरकर की प्रतिमा पर कालिख पोत दी थी और जूते की माला पहना दी थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हुआ था। इसे लेकर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि सावरकर पर भरोसा न करने वालों को जनता के बीच में पीटा जाना चाहिए? ठाकरे ने कहा था कि ऐसे लोगों को इसलिए पीटा जाना चाहिए क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के संघर्ष और इसकी अहमियत का अंदाजा ही नहीं है। 

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