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शिवसेना :  पंकजा मुंडे का राजनीतिक कैरियर ख़त्म करने की कोशिश

शिवसेना :  पंकजा मुंडे का राजनीतिक कैरियर ख़त्म करने की कोशिश

शिवसेना ने मोदी कैबिनेट विस्तार 2021 पर सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने भागवत कराड को मंत्री बना कर पंकजा मुंडे का राजनीतिक कैरियर ख़त्म करने की साजिश की है। 

शिवसेना ने मोदी कैबिनेट विस्तार 2021 पर सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ने भागवत कराड को मंत्री बना कर पंकजा मुंडे का राजनीतिक कैरियर ख़त्म करने की साजिश की है। 

पंकजा मुंडे महाराष्ट्र बीजेपी की महत्वपूर्ण नेता हैं, वे महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी और प्रमोद महाजन की भांजी हैं। 

पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि मोदी कैबिनेट फेरबदल 2021 में  पंकजा मुंडे या उनकी बहन प्रीतम मुंडे को मंत्री बनाया जा सकता है, पर पेशे से डॉक्टर भागवत कराड को राज्य वित्त मंत्री बनाए जाने से सबलोग चौंक गए। 

क्या कहना है शिवसेना का?

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में छपे एक लेख में कहा गया है, ‘कराड को राज्य मंत्री बनाया गया। पंकजा मुंडे के राजनीतिक कैरियर को ख़त्म करने के मक़सद से ऐसा किया गया है। कराड गोपीनाथ मुंडे की छत्रछाया में राजनीति करते रहे, पर कैबिनेट विस्तार में पंकजा या प्रीतम मुंडे की जगह उन्हें मंत्री बनाया गया।’ 

‘सामना’के लेख में कहा गया है, ‘इस पर सवाल उठ रहा है कि क्या यह वंजारा समुदाय जिसके मुंडे और कराड हैं, उसे बाँटने और पकंजा मुंडे को सबक सिखाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।’

'कटे पर नमक'

‘सामना’ का यह भी कहना है कि भारती पवार और कपिल पाटिल को मंत्री बना कर महाराष्ट्र बीजेपी के वफ़ादारों के कटे पर नमक छिड़का गया है। 

शिवसेना के इस मुखपत्र में कहा गया है, ‘भारती पवार और कपिल पाटिल कुछ दिन पहले ही एनसीपी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। यह बीजेपी के वफ़ादारों के लिए ज़ोर का झटका है।’ 

शिवसेना ने नारायण राणे के मंत्री बनाए जाने पर भी चुटकी ली है। राणे पहले शिवसेना व कांग्रेस में थे, वहां से वे बीजेपी गए। 

 - Satya Hindi

शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री के साथ नारायण राणे

'बदल गई बीजपी'

राणे को एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्योगों के विभाग का मंत्री बनाया गया है। ‘सामना’ ने कहा है कि ‘देश की आर्थिक स्थिति चौपट हो चुकी है, ऐसे में नारायण राणे क्या करते हैं, इस पर सबकी नज़र रहोगी।’ ‘सामना’ ने मोदी कैबिनेट फेरबदल 2021 पर चुटकी लेते हुए कहा है कि,

बीजेपी पूरी तरह बदल गई है, अब यह पहले जैसी पार्टी नहीं रही। यह कैबिनेट को देखने से ही पता चलता है। वाजपेयी के जमाने के सिर्फ दो लोग कैबिनेट में हैं-राजनाथ सिंह और मुख़्तार अब्बास नक़वी।


'सामना' में छपे एक लेख का एक अंश

अख़बार का कहना है कि ‘नए चेहरों में ज़्यादातर वैसे लोग हैं, जो कांग्रेस या दूसरी पार्टियों से आए हुए हैं। ऐसा लगता नहीं है कि यह एनडीए की सरकार है।’ 

बता दें कि बुधवार को मोदी कैबिनेट 2.0 का पहला विस्तार हुआ। इस विस्तार में 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इनमें 15 कैबिनेट और 28 राज्यमंत्री शामिल हैं। कैबिनेट विस्तार के लिए शपथ ग्रहण का कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में हुआ। 

दलित-ओबीसी, महिलाओं को जगह

मोदी मंत्रिमंडल में समाज के सभी वर्गों को जगह देने की कोशिश की गई है। नए मंत्रिमंडल में महिलाओं, ओबीसी, युवा चेहरों के साथ ही प्रोफ़ेशनल्स को भी जगह मिली है। मंत्रिमंडल में अब ओबीसी और दलित समुदाय की हिस्सेदारी बढ़ी है। 

मंत्रिमंडल में ओबीसी समुदाय के 27 मंत्री हैं और इनमें से 5 कैबिनेट मंत्री हैं। इसके अलावा दलित समुदाय से 12 मंत्री हैं जबकि आदिवासी समुदाय से 8 लोगों को मंत्री बनाया गया है। धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी भागीदारी मिली है और तीन लोगों को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।  

जबकि 29 मंत्री ऐसे हैं जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया, भूमिहार, कायस्थ, लिंगायत, खत्री, कडुवा व लेउआ पटेल आदि समुदायों से संबंध रखते हैं। मंत्रिमंडल में 9 राज्यों से कुल 11 महिलाओं को जगह दी गई है और इनमें से दो को कैबिनेट मंत्री का दर्ज़ा दिया गया है। 

मोदी कैबिनेट विस्तार 2021 में क्या हुआ, किसे क्या मिला और क्यों? समझिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष के इस वीडियो से। 

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