उद्धव ने सांसदों संग किए रामलला के दर्शन, बोले - जल्द बने राम मंदिर
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सियासत तेज़ हो गई है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पार्टी सांसदों के साथ रविवार को अयोध्या पहुँचकर रामलला के दर्शन किए। दर्शन करने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि कल से लोकसभा का सत्र शुरू हो रहा है, संसद में जाने से पहले हम सभी ने राम लला का आशीर्वाद लिया है। ठाकरे ने कहा कि हमें इस बात पर पूरा भरोसा है कि जल्द से जल्द राम मंदिर का निर्माण होगा।
Shiv Sena chief Uddhav Thackeray leaves after offering prayer at Ram Lalla temple in Ayodhya. His son Aditya Thackeray, & Shiv Sena MP Sanjay Raut also present. pic.twitter.com/xxyO7u42zR
— ANI UP (@ANINewsUP) June 16, 2019
इस दौरान शिवसेना के सांसदों ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जल्द से जल्द राम मंदिर के निर्माण की माँग उठाई और कहा कि यह शिवसेना ही नहीं बल्कि देश भर के हिंदुओं की आस्था का प्रश्न है। उन्होंने माँग की कि राम जन्मभूमि पर जल्द से जल्द भव्य मंदिर का निर्माण हो। शिवसेना सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास जताते हुए कहा कि अब मंदिर निर्माण में देरी की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि आने वाले संसद सत्र के बाद इसमें सकारात्मक प्रगति होगी, ऐसा उन्हें विश्वास है। माना जा रहा है शिवसेना राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।
लोकसभा चुनाव से पहले भी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में नारा दिया था- 'पहले मंदिर फिर सरकार'। बता दें कि दोनों दल - बीजेपी और शिवसेना केंद्र व महाराष्ट्र की सरकार में साझीदार हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि दोनों के बीच क्या इस मुद्दे पर आपसी सहमति का अभाव है। अगर नहीं है तो फिर शिवसेना के सभी सांसदों को आख़िर क्यों अयोध्या लाया जा रहा है
कहीं अयोध्या का यह दौरा महाराष्ट्र में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दबाव बनाने की राजनीति तो नहीं है यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों दलों के बीच अब तक सीटों के बँटवारे पर स्थिति साफ़ नहीं हो पाई है और इस पर पेच फँसा हुआ है।
शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने हाल ही में कहा था कि बीजेपी और शिवसेना के बीच राम मंदिर को लेकर कोई मतांतर नहीं है। राउत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले अयोध्या दौरे में हमने सरकार पर मंदिर को लेकर दबाव बनाया था। उन्होंने कहा कि नारा दिया था ‘पहले मंदिर फिर सरकार’। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की प्रचंड जीत से साफ़ हो गया है कि अब मोदी सरकार के कार्यकाल में मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्दे के पीछे इसकी तैयारी चल रही है। राउत के बयान से, उद्धव की यह यात्रा कितनी ग़ैर राजनीतिक है इसका अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है।
सीट बँटवारे को लेकर फँसा है पेच
विधानसभा चुनाव को लेकर वैसे भी सीटों के बँटवारे को लेकर दाँव-पेच शुरू हो गए हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ मंत्री द्वारा प्रेस कॉन्फ़्रेंस में 135:135 सीटों का फ़ॉर्मूला ज़ाहिर करना शिवसेना को शायद नागवार गुजरा है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में गठबंधन के समय शिवसेना की तरफ़ से कहा गया था कि वह और बीजेपी 288 सदस्यों वाली विधानसभा में 140:140 सीटों पर लड़ेंगी तथा 8 सीटें निर्दलीय विधायकों के लिए छोड़ी जायेंगी जो वर्तमान में सरकार का हिस्सा हैं। लेकिन 135:135 के फ़ॉर्मूले से नयी बहस छिड़ गयी है। इस बहस के पीछे जो एक और कारण है - वह है बीजेपी 2014 के चुनाव में अपनी सहयोगी पार्टियों रामदास आठवले की आरपीआई, महादेव जानकर की राष्ट्रीय समाज पक्ष और विनायक मेटे की शिवसंग्राम पार्टी को 10 सीटें देना चाहती है।बीजेपी इन पार्टियों के प्रत्याशियों को अपने चुनाव चिन्ह पर लड़वाती है जिसका परिणाम यह होता है कि वे आधिकारिक तौर पर उसी के विधायक माने जाते हैं। बीजेपी चाहती है कि इसके लिए 5 सीट वह ख़ुद छोड़ेगी और 5 सीट शिवसेना छोड़े।‘अगला चुनाव मंदिर पर आख़िरी चुनाव होगा’
अयोध्या पहुँचने पर संजय राउत ने पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ बैठक की थी। किसी विवाद की संभावना को दरकिनार करते हुए राउत ने कहा था, ‘पीएम मोदी व शिवसेना की भारी जीत में मंदिर मुद्दे की कोई भूमिका नहीं रही। यह चुनाव मंदिर मुद्दे को अलग रख कर जीता गया है। अब हमें पूरा भरोसा है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। अगला चुनाव मंदिर पर आख़िरी चुनाव होगा। मंदिर पर फ़ैसले की घड़ी क़रीब है। यह काम मोदी, योगी के साथ हम मिल कर पूरा करेंगे।’लोकसभा चुनावों से पहले भी राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संतों ने आक्रामक रुख दिखाया था और सरकार से राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ करने के लिए कहा था। मोदी सरकार अपने पिछले कार्यकाल में मंदिर निर्माण के लिए कोई ठोस क़दम नहीं उठा पायी थी। इसका प्रमुख कारण यह भी था कि राम जन्मभूमि का विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट में है। ज़ाहिर है कि सरकार अगर कोई भी क़दम उठाती तो सुप्रीम कोर्ट से उसका टकराव हो सकता था। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने जब एक इंटरव्यू में कहा था कि इस मामले में सरकार कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करेगी तो इससे साधु-संत और राम मंदिर के समर्थक अपना धीरज खोने लगे थे। विश्व हिन्दू परिषद और संघ के कई नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया था। अब जब एक बार फिर मोदी सरकार सत्ता में आ चुकी है तो राम मंदिर निर्माण को लेकर राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज़ हो गई हैं और इस बारे में मोदी सरकार कोई क़दम उठाएगी या अदालत के फ़ैसले का इंतजार करेगी, इसे लेकर कयास लगाये जा रहे हैं।