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महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना दफ्तर पर शिंदे गुट का कब्जा

महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना दफ्तर पर शिंदे गुट का कब्जा

महाराष्ट्र विधानसभा भवन में शिंदे गुट ने शिवसेना के दफ्तर पर सोमवार 20 फरवरी को कब्जा कर लिया। उद्धव ठाकरे ने आज फिर अपनी पर्टी के विधायकों और नेताओं की बैठक शिवसेना भवन में बुलाई। सुप्रीम कोर्ट में उद्धव की याचिका पर कल मंगलवार को सुनवाई हो सकती है।

केंद्रीय चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र की सियासत में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। सोमवार को एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने महाराष्ट्र विधान भवन में मौजूद शिवसेना के पार्टी दफ्तर पर कब्जा कर लिया। वैसे यह कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे कि एकनाथ शिंदे गुट अब शिवसेना से जुड़े सभी पर कब्जा करने की कोशिश करेगा। विधान भवन में पार्टी के दफ्तर पर हुए कब्जे के बाद उद्धव ठाकरे ने शिवसेना भवन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की और आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया। 

महाराष्ट्र में शिवसेना पार्टी का नाम खोने के बाद अब विधान भवन में एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों ने शिवसेना  पार्टी दफ्तर पर कब्जा कर लिया है। सोमवार को करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायक और समर्थक महाराष्ट्र विधान भवन में पहुंचे और विधान भवन में चौथी मंजिल पर स्थित शिवसेना के कार्यालय पर कब्जा कर लिया। शिवसेना कार्यालय पर कब्जा करने के बाद उद्धव ठाकरे गुट के सांसद और प्रवक्ता संजय राऊत का कहना है कि विधान भवन में जो शिंदे गुट ने हमारे दफ्तर पर कब्जा किया है। हम उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत अपील करेंगे। 

शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिनने पर जब संजय राऊत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारी कानूनी लड़ाई शुरू हो चुकी है और हमने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है। राउत ने कहा कि हमें देश की सर्वोच्च अदालत पर पूरा भरोसा है और फैसला हमारे पक्ष में होगा।

संजय राऊत से जब एकनाथ शिंदे गुट पर लगाए गए दो हजार करोड़ रुपये के कथित लेनदेन के आरोप पर सफाई मांगी तो राउत ने कहा कि उन्हें विश्वसनीय लोगों से पता चला है कि एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग से अपने मनमाफिक फैसला पाने के लिए 2000 करोड रुपए खर्च किए और मैं अपने पिछले बयान पर कायम हूं। संजय राउत से जब पूछा गया कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है तो क्या वह कथित लेनदेन की जानकारी सुप्रीम कोर्ट में देंगे तो उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस तरह की जानकारी देने की कोई जरूरत नहीं है।

इधर चुनाव आयोग से मिले झटके के बाद उद्धव ठाकरे एक्शन में आ गए हैं। ठाकरे लगातार अपने पार्टी के नेताओं और कानूनी विशेषज्ञों से बातचीत कर रहे हैं और घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। ठाकरे ने सोमवार को पार्टी के बड़े नेताओं के साथ-साथ कुछ कार्यकर्ताओं को भी शिवसेना भवन पर बुलाया था और उन्हें संबोधित किया। जैसे ही उद्धव ठाकरे शिवसेना भवन पहुंचे तो उनके समर्थन में कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसके अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ भी कार्यकर्ताओं में गुस्सा देखने को मिला। 

सूत्रों का कहना है कि शिवसेना पार्टी के दफ्तर शिवालय पर भी एकनाथ शिंदे गुट कब्जा कर सकता है। लिहाजा दक्षिण मुंबई में स्थित शिवालय के दफ्तर के बाहर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है ताकि किसी भी कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटा जा सके। इसके अलावा मुंबई पुलिस ने बीएमसी दफ्तर के बाहर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए हैं। बता दें कि बीएमसी में भी शिवसेना का दफ्तर है और उस दफ्तर पर भी शिंदे गुट कब्जा जमा सकता है।

उधर एकनाथ शिंदे के प्रमुख नेताओं ने पार्टी चीफ व्हिप भरत गोगावले के मार्गदर्शन में बैठक की और आगे की रणनीति पर चर्चा की। बता दें कि एकनाथ शिंदे ग्रुप पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैबिनेट दाखिल कर चुका है जिसमें उन्होंने अदालत से दरखास्त की थी कि अगर उद्धव ठाकरे गुट चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करता है तो कोई भी फैसला लेने से पहले शिंदे गुट को भी जानकारी दी जाए।

बता दें कि पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका देते हुए शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था। जिसके बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। एकनाथ शिंदे पर उद्धव ठाकरे ने हमला करते हुए तो यहां तक कह दिया था कि गुलाम चुनाव आयोग ने चोरी से हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह चोरों को दे दिया। ठाकरे ने शनिवार को पार्टी के सांसदों और विधायकों के साथ साथ कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई थी जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने कल जो फैसला दिया है वह गुलामी भरा फैसला है। ठाकरे ने कहा था कि मैं गुलामी शब्द का इस्तेमाल इसलिए कर रहा हूं क्योंकि अभी 2 दिन पहले ही एक न्यायाधीश को राज्यपाल बनाया गया है।

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