शीला दीक्षित पंचतत्व में विलीन, नम आँखों से दी अंतिम विदाई
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पंचतत्व में विलीन हो गई हैं। उनका अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया। उनका 81 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया था। वह कुछ समय से बीमार चल रही थीं। शनिवार को उनका पार्थिव शरीर निजामुद्दीन स्थित उनके घर पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। उसके बाद रविवार दोपहर उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय लाया गया था। कांग्रेस, बीजेपी के नेताओं सहित बड़ी संख्या में आम लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अंतिम संस्कार के दौरान निगम बोध घाट पर गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित हजारों लोग मौजूद रहे।
शीला दीक्षित के अलावा दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मांगेराम गर्ग का भी 21 जुलाई को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। इसके अलावा बिहार के समस्तीपुर से सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान का भी 21 जुलाई दोपहर को निधन हो गया। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और उनकी हालत गंभीर थी।
दिल्ली सरकार ने उनके निधन पर 2 दिन के राजकीय शोक का एलान किया है। शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। शीला कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक थीं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने लगातार तीन बार दिल्ली में सरकार बनाई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीला दीक्षित के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मोदी ने कहा, ‘शीला दीक्षित जी के निधन से बेहद दुखी हूँ। दिल्ली के विकास के लिए उन्होंने अभूतपूर्व कार्य किए थे। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मैं सांत्वना व्यक्त करता हूँ।'
Deeply saddened by the demise of Sheila Dikshit Ji. Blessed with a warm and affable personality, she made a noteworthy contribution to Delhi’s development. Condolences to her family and supporters. Om Shanti. pic.twitter.com/jERrvJlQ4X
— Narendra Modi (@narendramodi) July 20, 2019
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ट्वीट किया, 'शीला जी के निधन की खबर से मैं बेहद दुखी हूँ। वह कांग्रेस की एक प्यारी बेटी थीं, जिनसे मेरे व्यक्तिगत संबंध थे।'
I’m devastated to hear about the passing away of Sheila Dikshit Ji, a beloved daughter of the Congress Party, with whom I shared a close personal bond.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 20, 2019
My condolences to her family & the citizens of Delhi, whom she served selflessly as a 3 term CM, in this time of great grief.
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली के विकास में शीला दीक्षित के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि यह दिल्ली के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
Just now got to know about the extremely terrible news about the passing away of Mrs Sheila Dikshit ji. It is a huge loss for Delhi and her contribution will always be remembered. My heartfelt condolences to her family members. May her soul rest in peace
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 20, 2019
1998 में शीला दीक्षित के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए ही कांग्रेस ने बीजेपी से दिल्ली की सत्ता छीनी थी। उसके बाद लगातार 15 साल तक शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। हालाँकि 2013 के विधानसभा चुनाव में वह आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से चुनाव हार गई थीं। लेकिन इस साल उन्हें एक बार फिर से दिल्ली कांग्रेस की बागडोर सौंपी गई थी। शीला दीक्षित को कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार भी घोषित किया था।
शीला दीक्षित 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं थी। वह 1984 से 1989 तक कन्नौज से सांसद भी रह चुकी थीं। उनके पास विशाल राजनीतिक अनुभव था। शीला का जन्म 31 मार्च 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की थी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से एमए किया था। दिल्ली को बेहतर शहर बनाने का श्रेय शीला दीक्षित को जाता है। उनके रहते ही दिल्ली में कई फ़्लाईओवर बने और शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम हुए।
शीला दीक्षित का विवाह स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री उमा शंकर दीक्षित के बेटे विनोद दीक्षित से हुआ था। शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। शीला दीक्षित की एक बेटी भी हैं। निधन से कुछ दिनों पहले तक शीला दीक्षित राजनीति में सक्रिय थीं और हाल ही में उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस पदाधिकारियों की नियुक्ति भी की थी। माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें इस बार दिल्ली के विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती थी। शीला के निधन से कांग्रेस को राजनीतिक रूप से बहुत बड़ा नुक़सान हुआ है।