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‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ को क्या दूसरे देश के मामले में दख़ल मानें: सिन्हा

‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ को क्या दूसरे देश के मामले में दख़ल मानें: सिन्हा

किसान आंदोलन के समर्थन में पर्यावरणविद ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) और पॉप स्टार रियाना (रिहाना) के ट्वीट करने के बाद मानो देश में भूचाल आ गया है। 

किसान आंदोलन के समर्थन में पर्यावरणविद ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) और पॉप स्टार रियाना (रिहाना) के ट्वीट करने के बाद मानो देश में भूचाल आ गया है। तमाम बड़ी हस्तियां और आम लोग भी दो धड़ों में बंटते दिख रहे हैं। मोदी सरकार के मंत्रियों, बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह भारत के आंतरिक मामलों में दख़ल है और देश के ख़िलाफ़ साज़िश है। बॉलीवुड और क्रिकेट जगत की भी कई हस्तियां कुछ ऐसा ही मानती हैं। 

दूसरी ओर, विपक्ष है जो कहता है कि ग्रेटा और रियाना के ट्वीट से सरकार इतनी बुरी तरह हिल गई लेकिन आंदोलन में 100 से ज़्यादा किसानों की मौत हो गई और उसे फर्क तक नहीं पड़ा। इसके साथ ही सरकार की हां में हां मिलाने वालों को लेकर भी सवाल पूछे जा रहे हैं कि वे आखिर क्यों नहीं सरकार के बजाए किसानों के समर्थन में खड़े होते। 

'सरकारी या राग दरबारी' 

बॉलीवुड के बिहारी बाबू यानी शत्रुघ्न सिन्हा ने भी इस मामले में अपनी राय रखी है। सिन्हा ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि बॉलीवुड और कॉरपोरेट की दुनिया में बहुत सारे लोगों ने डर, दबाव की वजह से अपनी बात कही है लेकिन उन्हें किसानों के समर्थन में भी बोलना चाहिए था। उन्होंने ऐसे लोगों को सरकारी या राग दरबारी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग सामाजिक या राजनीतिक मामलों में क्यों नहीं बोलते। 

सरकार और कुछ लोगों द्वारा इसे देश का अंदरुनी मामला बताए जाने पर शॉटगन के नाम से मशहूर सिन्हा ने कहा, ‘यह कैसा अंदरुनी मामला है, जिनके कहने पर ये लोग ट्वीट कर रहे हैं, उन्होंने भी कभी अबकी बार ट्रंप सरकार कहा था। तो क्या इसे दख़लदांजी मानें।’ सिन्हा का साफ इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर था।’ 

किसान आंदोलन को लेकर देखिए वीडियो- 

अभिनय की दुनिया से निकलकर सियासत में आने वाले सिन्हा ने कहा कि सरकार के पास भले ही संसद में बहुमत हो लेकिन देश में इस सरकार के पास बहुमत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि कृषि क़ानूनों में किसानों के लिए फ़ायदेमंद क्या है। 

ग्रेटा और रियाना के किसान आंदोलन का समर्थन करने को लेकर बिहारी बाबू ने कहा कि धरने पर बैठे किसानों के हक़ में कोई आवाज़ उठा रहा है तो इसमें क्या एतराज होना चाहिए?

बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए सिन्हा ने कहा, ‘किसानों का आंदोलन अब देश तक का ही मामला नहीं है बल्कि इसकी चर्चा दुनिया भर में हो रही है। आज दुनिया भर की हस्तियां जैसे- ग्रेटा तनबर्ग, रियाना, कमला हैरिस की भांजी और मियां खलीफा ने विश्व समुदाय के एक नागरिक होने के नाते अपनी आवाज़ उठाई है और इसकी तारीफ़ होनी चाहिए।’ 

सोनाक्षी ने भी उठाई थी आवाज़

दो दिन पहले ही शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी और बॉलीवुड की दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा ने भी किसान आंदोलन का दमन करने की कोशिशों की आलोचना की थी। सोनाक्षी ने लिखा था, ‘पत्रकारों का उत्पीड़न किया जा रहा है। इंटरनेट को बंद किया जा रहा है। सरकार और मीडिया द्वारा चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के जरिये प्रदर्शनकारियों को बदनाम किया जा रहा है।’

सोनाक्षी ने लिखा है, ‘मानवाधिकारों के उल्लंघन, इंटरनेट और अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने, हेट स्पीच और ताक़त का ग़लत इस्तेमाल करने को लेकर आवाज़ उठ रही है।’ 

ग्रेटा और रियाना के ट्वीट करने के बाद पूरी केंद्र सरकार, बीजेपी और कई नामी-गिरामी लोग इनके मुक़ाबले में उतर आए थे और #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda हैशटैग के तहत धुआंधार ट्वीट्स किए थे। 

गृह से लेकर विदेश और वित्त मंत्रालय तक ने ट्वीट कर रियाना और ग्रेटा को जवाब देकर यह बताने की कोशिश की कि इन लोगों का किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जाहिर करना भारत के ख़िलाफ़ कोई साज़िश है। 

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