+
पीटी उषा निशाने पर; 'यौन उत्पीड़न की शिकायत से देश की छवि ख़राब कैसे'?

पीटी उषा निशाने पर; 'यौन उत्पीड़न की शिकायत से देश की छवि ख़राब कैसे'?

यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वाली महिला पहलवानों के ख़िलाफ़ बयान देकर पीटी उषा फँस गई हैं। जानिए, आख़िर क्यों उनके 'देश की छवि ख़राब' वाले बयान की आलोचना हो रही है।

यौन उत्पीड़न की शिकायत करना, इसकी जाँच की मांग करना या फिर आरोपी पर कार्रवाई की मांग करना क्या देश की छवि को नुक़सान पहुँचाना है? क्या इतने गंभीर मामलों में कार्रवाई की मांग अनुशासनहीनता है? महिला पहलवानों के प्रदर्शन को लेकर पीटी उषा के बयान पर कुछ ऐसी ही तीखी प्रतिक्रयाएँ आई हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी तीखे सवाल किए हैं और कहा है कि यौन उत्पीड़न को लेकर अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना राष्ट्र की छवि को धूमिल करना है या फिर उसको नज़रअंदाज़ करना!

थरूर ने ट्वीट किया है, "प्रिय पीटी उषा, बार-बार होने वाले यौन उत्पीड़न के मामले में अपने साथी खिलाड़ियों के जायज विरोध का अपमान करना आपको शोभा नहीं देता। अपने अधिकारों के लिए उनका खड़ा होना 'राष्ट्र की छवि को धूमिल' नहीं करता है। उनकी चिंताओं को नज़रअंदाज़ करना - उन्हें सुनने के बजाय, उनकी जाँच करना और कार्रवाई कर देना 'राष्ट्र की छवि को धूमिल' करता है।"

उनकी यह प्रतिक्रिया इसलिए आई है क्योंकि भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख पीटी उषा ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह द्वारा कथित यौन उत्पीड़न को लेकर पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन की कड़ी आलोचना की है। दिल्ली में सार्वजनिक विरोध पर बैठने का फ़ैसला करने से पहले पहलवानों की एक समिति की रिपोर्ट का इंतजार नहीं करने के लिए आलोचना करते हुए पीटी उषा ने कहा कि उनका विरोध अनुशासनहीनता के बराबर है और इससे देश की छवि ख़राब हो रही है।

पीटी उषा ने कहा था, 'खिलाड़ियों को सड़कों पर विरोध नहीं करना चाहिए था। उन्हें कम से कम समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था। उन्होंने जो किया है वह खेल और देश के लिए अच्छा नहीं है। यह एक नकारात्मक दृष्टिकोण है।'

पीटी उषा के इस बयान के बाद लोगों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा है, 'पीटी उषा कहती हैं कि पहलवान सड़कों पर उतरकर भारत की छवि खराब कर रहे हैं। तो सालों तक डब्ल्यूएफ़आई की अध्यक्षता करने वाले सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद पर छेड़छाड़ और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया, इससे भारत में गुलाब की महक आ रही है, है ना?'

एक ट्विटर यूज़र ने लिखा है, 'जब पीटी उषा ने कहा कि राज्यसभा के लिए उनका नामांकन गैर-राजनीतिक था, तो लोगों को इस पर संदेह हुआ। लेकिन फिर उन्होंने पहलवानों के विरोध को अनुशासनहीनता बताया और सारे संदेह दूर कर दिए।' 

एक अन्य ट्विटर यूज़र ने उषा की उस प्रतिक्रया को लेकर निशाना साधा है जिसमें उनकी अकादमी (बालुसेरी, केरल में उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स) की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की गई थी और उन्होंने इसकी शिकायत की थी।

बजरंग पुनिया ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा, 'हम पीटी उषा मैम से यह उम्मीद नहीं कर रहे थे। हमने सोचा था कि वह अपने साथी एथलीटों के साथ खड़ी होंगी। वह खुद एक महिला हैं, इसलिए हमें उम्मीद थी कि वह हमारे साथ खड़ी रहेंगी। मैं उनकी बातों से आहत हूं।' 

उन्होंने आगे कहा, 'हाल ही में वह ट्वीट कर रही थीं कि कुछ लोग उनकी अकादमी (बालुसेरी, केरल में उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स) की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे और वहां गुंडागर्दी कर रहे थे। उस समय देश की छवि ख़राब तो नहीं हो रही थी? वह भी एक अंतरराष्ट्रीय एथलीट से जुड़ा मामला था। अकादमी की घटना के बारे में सुनकर हमें भी दुख हुआ। वह इतनी बड़ी एथलीट हैं, और अब राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन तब भी उनके साथ ऐसा हो रहा था। अगर एक सांसद के साथ ऐसा हो सकता है तो हम साधारण खिलाड़ी हैं। हमारे पास क्या शक्ति है? हमारे साथ कुछ भी हो सकता है, उन्हें इसके बारे में सोचना चाहिए था।'

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें