कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव: आमने-सामने होंगे गहलोत और शशि थरूर?
देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव बेहद रोमांचक हो सकता है और दो दशक बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष मिल सकता है। खबरों के मुताबिक, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे तो केरल से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर उन्हें चुनौती देंगे।
शशि थरूर ने सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। शशि थरूर ने उदयपुर चिंतन शिविर के बाद सामने आए उदयपुर संकल्प का भी ट्विटर पर जोरदार समर्थन किया है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुलाकात के दौरान सोनिया गांधी ने शशि थरूर से कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पूरी तरह तटस्थ रहेंगी। दूसरी ओर, पिछले महीने खबर आई थी कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत से पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने का आग्रह किया था।
राहुल का पूरी तरह इनकार
इस बीच, कांग्रेस की कई राज्य इकाइयां राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के पक्ष में प्रस्ताव पास कर चुकी हैं लेकिन खबरों के मुताबिक राहुल गांधी पार्टी को बता चुके हैं कि वह फिर से पार्टी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। इस बारे में कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हम प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को कैसे रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव प्राधिकरण चुनाव के तय कार्यक्रम के मुताबिक ही आगे बढ़ रहा है। अब तक राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, तमिलनाडु के साथ ही कुछ और राज्य इकाइयां भी राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के पक्ष में प्रस्ताव पास कर चुकी हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए 24 सितंबर से नामांकन शुरू होने हैं और 30 सितंबर तक नामांकन भरे जा सकेंगे।
मौजूदा हालात में यह साफ दिखाई देता है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में अशोक गहलोत और शशि थरूर आमने-सामने होंगे। थरूर ने पिछले महीने एक मलयालम पत्रिका में लेख लिखकर कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस में फैसला लेने वाली सर्वोच्च कमेटी सीडब्ल्यूसी में भी एक दर्जन पदों के लिए चुनाव की घोषणा करनी चाहिए।
G-23 में हैं शशि थरूर
शशि थरूर कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 में शामिल हैं। G-23 गुट ने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव किए जाने और अध्यक्ष का चुनाव कराए जाने की मांग की थी। इस गुट के प्रमुख चेहरे गुलाम नबी आजाद पार्टी छोड़ चुके हैं और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उनके निशाने पर हैं।
सोनिया से हारे थे जितेंद्र प्रसाद
साल 2001 में जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान हुआ था तब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें बुरी तरह हार मिली थी।
उस चुनाव में सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले थे जबकि जितेंद्र प्रसाद को सिर्फ 94 मत मिले थे। इसी तरह 1997 में सीताराम केसरी ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था तो उन्हें उस वक्त कांग्रेसी रहे शरद पवार और दिवंगत नेता राजेश पायलट ने चुनौती दी थी। उस चुनाव में सीताराम केसरी को 6224 वोट मिले थे शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 300 वोट मिले थे। उसके बाद से सोनिया और राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।
टक्कर दे पाएगा G-23 गुट?
अब सवाल यही है कि अगर अशोक गहलोत और शशि थरूर आमने-सामने हुए तो जीत किसे मिलेगी क्योंकि सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पूरी तरह तटस्थ रहने की बात कह चुकी हैं। इसलिए निश्चित रूप से चुनाव बेहद रोमांचक होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के कुल 9,100 मतदाता मतदान करेंगे। लेकिन क्या G-23 गुट चुनाव में सामने खड़े प्रत्याशी को टक्कर दे पाएगा। क्योंकि यहां याद दिलाना होगा कि शरद पवार और राजेश पायलट जैसे बड़े नेता भी सीताराम केसरी से बुरी तरह पराजित हुए थे। देखना होगा कि G-23 गुट क्या करता है।
अनुभवी नेता हैं गहलोत
अशोक गहलोत के पास सियासत का लंबा अनुभव है। वह कांग्रेस में महासचिव (संगठन) रहने के साथ ही तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री और कई बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अशोक गहलोत कांग्रेस के उन नेताओं में से हैं जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम किया है।
दूसरी ओर शशि थरूर भी कांग्रेस के जाने-पहचाने चेहरे हैं और पढ़े-लिखे नेता हैं। वह मोदी लहर में भी चुनाव जीत कर आए हैं।
निश्चित रूप से ताजा सूरत ए हाल में राजनीतिक विश्लेषकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नजरें अब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की ओर लगी हुई हैं।