शरद गुट की पार्टी अब एनसीपी शरदचंद्र पवार नाम से जानी जाएगी
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या एनसीपी में शरद पवार के गुट को अब नया नाम मिल गया है। चुनाव आयोग ने इस राजनैतिक गुट को अब एनसीपी शरदचंद्र पवार नाम दिया है। यानी, अब एनसीपी के जिस धड़े का नेतृत्व शरद पवार करते हैं उसका नाम एनसीपी शरद चंद्र पवार होगा।
बुधवार को चुनाव आयोग ने एनसीपी शरद पवार गुट से अपनी पार्टी के लिए तीन नाम मांगे थे। इन तीन नामों में से इस नाम को चुनाव आयोग ने मंजूरी दे दी है। आयोग ने भले ही इस गुट को नया नाम दे दिया है लेकिन अभी इसके चुनाव चिन्ह्र को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस पार्टी को चुनाव चिन्ह्र भी आवंटित कर दिया जाएगा।
नया नाम मिलने के बाद अब एनसीपी में शरद पवार गुट इस नये नाम से ही राज्यसभा चुनाव में हिस्सा लेगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग ने इस गुट से पार्टी का नया नाम रखने के लिए तीन नाम मांगे थे। आयोग के मांगने पर इस गुट के द्वारा बुधवार को ही जो तीन नाम सौंपे गए थे वह नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एस), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार, थे। इसमें से आयोग ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी या एनसीपी शरदचंद्र पवार को मंजूरी दे दी है।
चुनाव चिन्ह्र के लिए भी इस गुट ने तीन चिन्ह्र चुनाव आयोग को सौंपे हैं। इसमें बरगद का पेड़, उगता हुआ सूरज और कप प्लेट का चिन्ह्र शामिल है। अब आयोग को फैसला लेना है कि इन तीनों में से कौन से चुनाव चिन्ह्र को वह मंजूरी देता है।
आयोग ने अजीत पवार गुट को ही असली एनसीपी माना है
इससे पहले मंगलवार 6 फरवरी के अपने एक फैसले में चुनाव आयोग ने मान लिया था कि एनसीपी में अजीत पवार का गुट ही असली एनसीपी है। करीब 6 महीने तक आयोग में सुनवाई चलने के बाद आयोग ने पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न घड़ी अजित पवार गुट को दे दिया था। आयोग का यह फैसले अजीत पवार गुट की बड़ी है।आयोग ने इसको लेकर अपने फैसले में कहा था कि अजीत पवार गुट ही असली एनसीपी है। इसके साथ ही उसने 6 फरवरी को कहा था कि शरद पवार गुट को नया नाम और चुनाव चिह्न अब 7 फरवरी को अलॉट किया जायेगा।
चुनाव आयोग का यह फैसला एनसीपी शरद पवार गुट के लिए यह बड़ा झटका था। आयोग के इस फैसले के बाद अब शरद पवार का गुट असली एनसीपी नहीं माना जाएगा। शरद पवार संयुक्त एनसीपी के संस्थापक रहे हैं।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि आयोग के इस फैसले के बाद शरद पवार के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं। अब जबकि लोकसभा चुनाव को कुछ महीने ही शेष हैं तब एक नए नाम और निशान वाली पार्टी को मतदाताओं के बीच ले जाना और जनता के वोट हासिल करना आसान नहीं होगा।
ध्यान रहे कि बीते वर्ष 2023 में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे और पार्टी के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने बगावत कर दी थी। अजित पवार एनसीपी के 40 विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। एनडीए गठबंधन सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया गया था।
एनसीपी नेता शरद पवार से बगावत करने के बाद अजीत पवार ने दावा किया था कि एनसीपी का बहुमत उनके पास है,उन्होंने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा किया था।
वहीं शरद पवार गुट का दावा था कि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उनका ही है। उन्होंने अजीत पवार सहित एनसीपी से बगावत करने वाले सभी 40 विधायकों को अयोग्य घोषित करने मांग की थी।