टूलकिट मामला : शांतनु मुलुक को अग्रिम ज़मानत
किसान आन्दोलन से जुड़े टूलकिट बनाने और उसे शेयर करने के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता शांतनु मुलुक को अग्रिम ज़मानत मिल गई है। बंबई हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने उन्हें यह ज़मानत दी है। मुलुक पर यह टूलकिट बनाने और दूसरों को भेजने का आरोप है। मुलुक ने इसके ख़िलाफ़ अग्रिम ज़मानत की अर्जी अदालत में दाखिल की गई थी।
इस मामले में निकिता जैकब की याचिका पर सुनवाई बुधवार को होगी।
कौन है शांतनु मुलुक?
महाराष्ट्र के बीड में जन्मे शांतनु मुलुक मूल रूप से एअरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। लेकिन उन्होंने इंजीनियर की वह नौकरी छोड़ दी और एक ग़ैरसरकारी संगठन से जुड़ गए। पुलिस का कहना है कि उन्होंने गूगल डॉक्यूमेंट पर टूलकिट बनाने में निकिता जेकब और दिशा रवि की मदद की थी।इस मामले की दूसरी अभियुक्त दिशा रवि पुलिस हिरासत में हैं। उन्हें रविवार को पाँच दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया।
शांतनु मुलुक के वकील ने कहा है कि पुणे पुलिस ने बीड स्थित उनके घर पर छापा मारा है और उनके माता-पिता को बेवजह परेशान किया जा रहा है।
मुलुक किसानों के मुद्दे पर पहले भी काम करते रहे हैं और उन्हें लेकर चिंतित रहे हैं। शांतनु के पिता ने कहा है कि मुलुक पर्यावरण सरंक्षण पर काम करते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि उनके परिवार को जानबूझ कर और बेवजह परेशान किया जा रहा है।
क्या होता है टूलकिट?
साधारण व सपाट शब्दों में कहा जाए तो टूलकिट एक गूगल डॉक्यूमेंट होता है। इसमें एक्शन प्वाइंट्स दर्ज होते हैं, यानी क्या-क्या करना है, यह लिखा जाता है। इस पर यह भी लिखा जा सकता है कि किसी समस्या के समाधान के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए।
इसका प्रयोग सोशल मीडिया कैम्पेन स्ट्रेटजी के तौर पर किया जाता है। इसके अलावा सामूहिक प्रदर्शन या आन्दोलन से जुड़ी जानकारी दी जाती है। इसमें किसी भी मुद्दे पर दर्ज याचिकाओं, विरोध-प्रदर्शन और जनांदोलनों के बारे में जानकारी हो सकती है।
अमेरिका में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आन्दोलन के दौरान टूलकिट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था। उसे लोगों से यह कहा गया था कि किसे कहाँ, कब और कैसे प्रदर्शन के लिए पहुँचना है। उन्हें बताया गया था कि वे अपने साथ क्या लाएं और पुलिस के चंगुल से कैसे बचें
इसी तरह अमेरिका के टेक्सस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में हुए हाउडी मोडी कार्यक्रम में भी इसका इस्तेमाल किया गया था। आयोजकों और उनसे जुड़े लोगों ने टूलकिट से भारतीय मूल के लोगों को विस्तार से बताया था कि उन्हें किस जगह बस मिलेगी, वे कैसे कार्यक्रम के स्थल तक जाएं, वगैरह वगैरह।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा है कि टूलकिट में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। यह राजद्रोह का मामला नहीं बनता है।
टूलकिट मामले में दिशा रवि की गिरफ्तारी पर क्या कहना है वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का?