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'पठान' का बहिष्कार: शाहरुख क्यों बोले- सोशल मीडिया पर संकीर्णता है?

'पठान' का बहिष्कार: शाहरुख क्यों बोले- सोशल मीडिया पर संकीर्णता है?

सोशल मीडिया पर शाहरुख ख़ान की फ़िल्म पठान के बहिष्कार अभियान के बीच शाहरूख ने आख़िर सोशल मीडिया को संकीर्ण विचारों से जोड़कर देखा?

बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख ख़ान ने गुरुवार को सोशल मीडिया को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने सोशल मीडिया पर 'फैली नकारात्मकता' और विचारों की संकीर्णता पर बात की। उनकी यह टिप्पणी तब आई है जब उनकी आगामी फिल्म 'पठान' का कुछ दक्षिणपंथी विचार वाले विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस फ़िल्म के बहिष्कार का अभियान भी चलाया जा रहा है।

‘पठान’ के टीज़र में इसका पहला गाना 'बेशरम रंग...' रिलीज किया गया है। इसमें शाहरूख ख़ान और दीपिका पादुकोण ने बेहद हॉट और बोल्ड सीन दिए हैं। इसको लेकर और अभिनेताओं की वेशभूषा को लेकर विरोध हो रहा है। विरोध करने वाले में बीजेपी नेता से लेकर मंत्री तक शामिल हैं।

मध्य प्रदेश के गृहमंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने चेतावनी दी है, ‘पठान फ़िल्म के गाने में अभिनेत्री की वेशभूषा और दृश्यों को ठीक करें, नहीं तो फिल्म को प्रदेश में अनुमति दी जाए अथवा नहीं, इस पर फैसला किया जाएगा।’ उसी दौरान से ट्विटर पर हैशटैग 'बॉयकॉट पठान' ट्रेंड कर रहा है। 

इसी बीच अब अभिनेता शाहरुख खान की टिप्पणी आई है। उन्होंने गुरुवार को अमिताभ बच्चन के साथ कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 28वें संस्करण का उद्घाटन किया। इवेंट में अपने भाषण के दौरान शाहरुख ने सोशल मीडिया के प्रतिकूल प्रभावों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से समाज में फैली नकारात्मकता का ज़िक्र किया। 

सोशल मीडिया पर लोग गाने में शाहरुख और दीपिका पादुकोण के हरे और केसरिया परिधान पर आपत्ति जता रहे हैं। कुछ लोग शाहरुख की आने वाली फिल्म के बहिष्कार का आह्वान करते हुए उनके पुराने वीडियो भी निकाल रहे हैं।

कोलकाता के इस फिल्म फेस्टिवल में शाहरुख ने कहा, 'सिनेमा और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अब मानवीय भावनाओं और अनुभव की सबसे महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति बन गया है।' उन्होंने आगे कहा,

इस विश्वास के विपरीत कि सोशल मीडिया का प्रसार सिनेमा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा, मेरा मानना है कि सिनेमा को अब और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।


शाहरुख ख़ान, अभिनेता

इसके साथ ही शाहरुख ने सोशल मीडिया पर 'विचारों की संकीर्णता' का ज़िक्र किया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'मैंने कहीं पढ़ा है कि नकारात्मकता सोशल मीडिया के इस्तेमाल को बढ़ाती है और इस तरह इसके व्यावसायिक मूल्य को भी बढ़ाती है। इस तरह की चीजें सामूहिक नैरेटिव गढ़ती हैं, जिससे यह विभाजनकारी और विनाशकारी हो जाता है।'

आगे अपने भाषण में शाहरुख खान ने सिनेमा को आधुनिक समय का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम बताते हुए इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'सिनेमा कहानियों को उनके सबसे सरल रूप में बताकर मानव प्रकृति की भेद्यता को उजागर करता है, जैसा कि वे रहते हैं। यह हमें एक दूसरे को बेहतर तरीके से बताता है।'

शाहरुख ने कहा कि दुनिया चाहे कुछ भी करे, हम जैसे लोग सकारात्मक रहेंगे।

 - Satya Hindi

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठ रहे हैं: अमिताभ 

इस कार्यक्रम में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा कि सिल्वर स्क्रीन तेजी से अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं का युद्धक्षेत्र बनता जा रहा है। इस दौरान उन्होंने सांप्रदायिकता, सामाजिक एकता, ब्रिटिश सेंसरशिप, अत्याचारियों के खिलाफ आजादी से पहले की फिल्मों की विस्तार से चर्चा की। विवादों से दूर रहने के लिए जाने जाने वाले अमिताभ ने नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी की।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बच्चन ने कहा, 'अब भी, और मुझे यकीन है कि मंच पर मेरे सहयोगी इस बात से सहमत होंगे कि नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।'

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