+
सेबी अफसरों की केंद्र से शिकायत- माधबी पुरी बुच ने माहौल गंदा कर रखा है

सेबी अफसरों की केंद्र से शिकायत- माधबी पुरी बुच ने माहौल गंदा कर रखा है

सेबी के अधिकारियों ने चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की वित्त मंत्रालय से शिकायत की है। पत्र में कर्मचारियों की बहुत ज्यादा निगरानी करने का भी आरोप लगाया गया है। सेबी का दावा है कि मुद्दों का समाधान कर लिया गया है। सेबी प्रमुख बुच लगातार विवादों में चल रही हैं। लैटरल एंट्री के जरिए सेबी में बैठाई गई माधबी को वहां से हटाने के लिए मोदी सरकार हटाने को तैयार नहीं है। अडानी मामले की जांच से जुड़ी माधबी पर अभी तक तमाम गंभीर आरोप लग चुके हैं।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अधिकारियों ने वित्त मंत्रालय में एक अभूतपूर्व शिकायत की है, जिसमें मार्केट रेगुलेटर की प्रमुख पर माहौल गंदा करने और घटिया कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है।

सेबी स्टाफ ने यह पत्र 6 अगस्त को वित्त मंत्रालय को भेजा था। इसमें अधिकांश अफसरों के हस्ताक्षर हैं। पत्र में कहा गया है, "सेबी चीफ का बैठकों में चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक अपमान आम बात हो गई है।" यह पत्र एक महीने बाद ऐसे समय में सामने आया है जब सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच अडानी जांच पर हितों के टकराव के आरोपों का सामना कर रही हैं। विपक्ष ने बुच की पिछली कंपनी आईसीआईसीआई बैंक द्वारा उन्हें दिए गए मुआवजे पर सवाल उठाए हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद और जी ग्रुप के संस्थापक सुभाष चंद्रा ने मंगलवार को उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये थे। हालांकि बुच ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है।

सेबी ने इस मुद्दे पर कहा कि कर्मचारियों के साथ सारे मुद्दे सुलझा लिये गए हैं। कर्मचारियों ने अपने पत्र में जिन मुद्दों को उठाया था, उनका समाधान कर लिया गया है। सेबी के इस बयान से पुष्टि हो गई कि सेबी स्टाफ ने माधबी पुरी बुच की गंभीर शिकायत की थी। हालांकि सेबी ने यह जानकारी नहीं दी कि आखिर किन मुद्दों को सुलझा लिया गया है। 

इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) ने 1 सितंबर को सेबी को ईमेल किया था। जवाब में सेबी ने कहा- "कर्मचारियों के साथ उनके मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत एक सतत प्रक्रिया है।" हालांकि ईटी ने वित्त मंत्रालय को भी ईमेल भेजकर इस बारे में पूछा था लेकिन वित्त मंत्रालय ने सेबी स्टाफ की माधबी पुरी बुच को लेकर किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।

सेबी में ग्रेड ए और उससे ऊपर (सहायक प्रबंधक और उससे ऊपर) के लगभग 1,000 अधिकारी हैं और उनमें से आधे, लगभग 500, ने उस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। यानी सेबी के 50% लोग सेबी चीफ के व्यवहार और तरीके से खुश नहीं हैं। अगर यही आरोप सेबी के 10-20 या 50 लोगों ने लगाये होते तो उस पर कोई विश्वास नहीं करता। लेकिन यहां तो सेबी चीफ के खिलाफ आधे कर्मचारी और अफसर विद्रोह पर उतर आये हैं।

सरकार को भेज गए पत्र का हेडिंग है 'सेबी अधिकारियों की शिकायतें-सम्मान का आह्वान।' पत्र में कहा गया है कि बुच द्वारा संचालित नेतृत्व सेबी टीम के सदस्यों के लिए "कठोर और गैर प्रोफेशनल भाषा" का इस्तेमाल करता है, उनकी "मिनट-दर-मिनट गतिविधियों" पर नज़र रखी जाती है। और उन्हें ऐसे अवास्तविक टास्क दिए जाते हैं जिन्हें अंजाम देना मुमकिन नहीं है।

सेबी के इतिहास में शायद यह पहली बार है कि उसके अधिकारियों ने सेबी चीफ के कर्मचारी विरोधी रवैये को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने पत्र में कहा, इससे स्टाफ के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है और इससे स्टाफ का वर्क लाइफ बैलेंस बिगड़ गया है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने सरकार को तभी पत्र लिखा, जब सेबी मैनेजमेंट से उनकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

पांच पेज के पत्र में कहा गया कि काम तेजी लाने के नाम पर प्रबंधन ने सिस्टम में बदलाव किया है और घातक नीतियां लागू की हैं। लेकिन कर्मचारियों की ज्यादा शिकायत सेबी नेतृत्व द्वारा स्टाफ को उनके "नाम से पुकारना" और उन पर "चिल्लाना" है। सेबी अधिकारियों ने कहा, ''बड़े पदों पर सेबी में बैठे लोग गैर प्रोफेशनल भाषा का इस्तेमाल करते हैं।'' पत्र में  कहा गया कि स्थिति ऐसी हो गई है कि ''हायर मैनेजमेंट की ओर से कोई बचाव नहीं'' है।

पत्र में कहा गया है कि सेबी में भय और दहशत का ऐसा माहौल है कि उच्च ग्रेड के लोग भी डर से अपनी चिंताओं को मुखर रूप से व्यक्त नहीं करते हैं। ऐसे लोगों को लगता है कि उनसे बदला लिया जाएगा। पत्र में कहा गया है कि सेबी बाहरी स्टेकहोल्डर के लिए काम कर रहा है, लेकिन "उसके कर्मचारियों के बीच अविश्वास बढ़ रहा है"। पिछले 2-3 वर्षों से सेबी स्टाफ को डर दिखाकर संचालित किया जा रहा है।"

सेबी स्टाफ के पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि माहौल दमनकारी हो गया है।

सेबी दफ्तर के अंदर प्रबंधन ने "कर्मचारियों की दिन भर हाजिरी की निगरानी करने" और "उनकी हर गतिविधि पर नजर रखने" के लिए टर्नस्टाइल गेट लगाए हैं। ये टर्नस्टाइल गेट कर्मचारियों के लिए चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। इससे उनकी देखने और सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है।


पत्र में लिखा गया है- ''बार-बार यह कहा जा रहा है कि सेबी काम में तेजी लाने और सुधार के लिए सर्वोत्तम श्रेणी की तकनीक अपना रहा है। हालांकि, ऐसा लगता है कि हायर मैनेजमेंट अपने कर्मचारियों के प्रति सर्वोत्तम श्रेणी का मानव प्रबंधन, नेतृत्व और प्रेरणा के तरीकों को अपनाना भूल गया है। सेबी नेतृत्व का यह तरीका जिसमें कर्मचारियों पर चिल्लाने, कठोर और गैर-पेशेवर भाषा का इस्तेमाल रोका जाना चाहिए।"

सेबी ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए गए जवाब में कहा कि सेबी में बदलाव किए गए हैं। सेबी ने कहा, "काम के माहौल के संबंध में, समीक्षा बैठकों का प्रारूप बदल दिया गया है। इसलिए, बैठकों के संबंध में मुद्दों का समाधान हो गया है।" सेबी कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो संघों ने 3 सितंबर को ईमेल के माध्यम से इन परिवर्तनों को स्वीकार किया है।

सेबी प्रवक्ता ने कहा कि टर्नस्टाइल गेट हाल ही में लगाए गए हैं। कर्मचारियों की प्रतिक्रिया के आधार पर, छह महीने बाद कर्मचारियों की फीडबैक लेकर इनकी समीक्षा की जाएगी। यानी टर्नस्टाइल गेट सेबी दफ्तर से 6 महीने तक नहीं हटेंगे। उसके बाद सेबी इसकी समीक्षा करेगा। कुल मिलाकर सेबी स्टाफ की शिकायत के हर प्वाइंट का जवाब दे दिया गया है लेकिन समाधान किसी भी मुद्दे का नहीं हुआ है।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें