माधबी बुच कल पीएसी के समक्ष पेश होंगी; क्या सरकारी जाँच में आरोप मुक्त?

06:04 pm Oct 23, 2024 | सत्य ब्यूरो

सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच को गुरुवार को संसद की लोक लेखा समिति के समक्ष पेश होना है। वह वित्तीय गड़बड़ियों और हितों के टकराव के आरोपों से जुड़े सवालों का जवाब देंगी। बुच ने पीएसी के सामने पेश होने से छूट मांगी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। इस मामले में बीजेपी विरोध कर रही है और एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार की जाँच में उनको आरोप मुक्त क़रार दिया गया है।

सरकार की यह कौन सी जाँच थी और मीडिया रिपोर्ट में आरोप मुक्त करने के पीछे क्या तर्क दिया गया है, यह जानने से पहले यह जान लें कि संसदीय समिति का मामला क्या है। वैसे तो पीएसी की बैठक के एजेंडे में सेबी के प्रदर्शन की समीक्षा शामिल है, लेकिन इसके कारण इसकी कार्यप्रणाली और बुच के खिलाफ लगाए गए अनियमितता के हाल के आरोपों पर विवाद हो सकता है।

बता दें कि माबधी पुरी बुच अगस्त महीने में तब विवादों में आ गईं जब अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर फर्म ने दावा किया कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल की गई संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी। इसने आरोप लगाया है कि इसीलिए उन्होंने अडानी को लेकर पहले किए गए खुलासे के मामले में कार्रवाई नहीं की। हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक सेबी से जुड़े हितों के टकराव का सवाल उठाया है।

हिंडनबर्ग रिसर्च के ताज़ा आरोपों को सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने खारिज कर दिया है। तुरंत बयान जारी कर बुच ने कहा कि फंड में उनका निवेश, जिसके बारे में हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि यह कथित 'अडानी स्टॉक हेरफेर' से जुड़ा है, माधबी के सेबी में शामिल होने से दो साल पहले किया गया था। उनकी सफ़ाई के बाद भी वह लगातार विवादों में रहीं और कांग्रेस ने एक के बाद एक कई आरोप लगाए हैं। 

इन आरोपों के बीच ही सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच से कांग्रेस सांसद के नेतृत्व वाली संसदीय समिति ने सवाल पूछने की तैयारी की तो उसका विरोध ही होने लगा। सरकार के खर्चों पर संसदीय निगरानी रखने वाली लोक लेखा समिति ने माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों को 24 अक्टूबर को उसके सामने पेश होने के लिए कहा। लेकिन बीजेपी सांसदों ने अब इसका विरोध कर दिया है।

माधबी पुरी बुच व अधिकारियों को 24 अक्टूबर को बुलाए जाने के बाद पैनल में शामिल भाजपा सदस्य लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे रोकने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे थे। भाजपा सांसदों ने दावा किया कि यह जाँच नियमों का उल्लंघन है।

टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने बताया कि बुच ने पीएसी से छूट मांगी थी, लेकिन उन्हें इससे इनकार कर दिया गया। उनसे कहा गया है कि उन्हें समिति के समक्ष उपस्थित होना चाहिए। अंग्रेज़ी अख़बार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बीजेपी ने अपने सदस्यों को बैठक में शामिल होने के लिए व्हिप जारी किया है और विपक्षी सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो सकता है। हालाँकि वह एजेंडा सेबी के कामकाज तक ही सीमित है, लेकिन राजनीतिक नेताओं का मानना ​​है कि सेबी प्रमुख की अध्यक्षता वाली टीम से नियामक के कामकाज के बारे में सवाल पूछे जा सकते हैं। ये सवाल अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों के मद्देनज़र उद्योगपति अडानी के मुद्दे से जुड़े हो सकते हैं। 

बुच सरकारी जांच में आरोप मुक्त: रिपोर्ट

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सरकार द्वारा की गई जांच में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया गया है। जांच में बुच को मौजूदा आरोपों से मुक्त कर दिया गया और निष्कर्ष निकाला गया कि वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगी, जो फरवरी 2025 में समाप्त हो रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मुद्दा तब सुलझा जब सेबी के शीर्ष प्रबंधन को कर्मचारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होने के लिए कहा गया। जाँच में पाया गया कि असंतोष सेबी के भीतर बुच के व्यापक सुधारों से आ सकता है, क्योंकि सिस्टम को साफ़ करने के उनके प्रयासों का विरोध किया गया था। सभी फ़ैक्टरों पर विचार करते हुए सरकार ने फ़ैसला किया कि बुच अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करेंगी, जो 28 फरवरी 2025 को समाप्त होगा।