केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को कांग्रेस को एक बार फिर ‘झटका’ दिया है। मुरैना से कांग्रेस के टिकट पर विधायक और पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे राकेश मावई को उन्होंने ‘तोड़’ लिया है।
राकेश मावई को सिंधिया ने दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण करवाई। शिवपुरी जनपद पंचायत के पूर्व अध्यक्ष परम सिंह रावत भी भाजपा में शामिल हो गए।
बता दें कि, राकेश मावई मूलतः ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही समर्थक रहे हैं। मावई को मुरैना कांग्रेस जिलाध्यक्ष का पद ज्योतिरादित्य सिंधिया की मेहरबानी से ही मिला था।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से बगावत कर दी थी। उनके साथ दो दर्जन विधायक भी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। मुरैना से कांग्रेस के टिकिट पर 2018 का चुनाव जीतने वाले रघुराज सिंह कंषाना भी सिंधिया के साथ भाजपा में चले गए थे।
सिंधिया की बगावत के बाद 2020 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने राकेश मावई को मुरैना से टिकिट देकर बड़ा दांव खेल दिया था। इस दांव में दिग्विजय सिंह की महती भूमिका रही थी। दांव सफल रहा था।
उपचुनाव में सिंधिया के समर्थक रघुराज को परास्त करने में राकेश मावई सफल रहे थे। विधानसभा 2023 में कांग्रेस द्वारा टिकिट नहीं दिये जाने से राकेश नाराज चल रहे थे।
पहले भी भाजपा में जाने का किया था प्रयास
साल 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी राकेश ने सिंधिया के साथ हो जाने का प्रयास किया था, लेकिन बात नहीं बन पायी थी। मुरैना में भाजपा उम्मीदवार और पूर्व केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के दौरान भी खबरें चलीं थीं कि राकेश मावई को भाजपा अपने साथ ले सकती है। मगर ऐसा हो नहीं पाया था।राकेश मावई के चाचा और मुरैना से विधायक रहे स्वर्गीय सोवरन सिंह मावई भी सिंधिया समर्थकों में गिने जाते रहे। साल 2003 में वे मुरैना से कांग्रेस के टिकिट पर निर्वाचित हुए थे। पहले स्वर्गीय माधव राव सिंधिया और उनके देहावसान के बाद ज्योतिरादित्य के साथ हो लिए थे।
सोवरन सिंह की मृत्यु के बाद उनकी विरासत संभालने को लेकर सोवरन सिंह के पुत्र प्रबल प्रताप उर्फ रिंकू मावई और भतीजे राकेश मावई के बीच कश्मकश होती रही। एक मौका ऐसा भी आया जब अभद्र टिप्पणी पर ज्योतिरादित्य ने रिंकू को पार्टी से बाहर करवा दिया। इसके बाद रिंकू ने बसपा का दामन थामकर अपनी राजनीति को आगे बढ़ाया।
मध्य प्रदेश की वरिष्ठ पत्रकार और मुरैना में लंबे समय तक पत्रकारिता करती रहीं अनुपमा सिंह ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘राकेश मावई मूलतः महाराज (ज्योतिरादित्य सिंधिया) के खास समर्थक हैं। हाल के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद से वे छटपटा रहे थे। सिंधिया के साथ (भाजपा में) जाने को आतुर थे। आज उनकी वापसी हो गई।’
एक सवाल के जवाब में अनुपमा ने कहा कि, ‘ग्वालियर-चंबल और विशेषकर मुरैना में गुर्जर जाति (मावई इसी समुदाय से आते हैं) अलग तरह की है। चुनाव में किसे वोट देना है, इसके लिए गंगाजली उठाकर गुर्जर कसम खाते हैं। जिन्होंने कसम खा ली सो खा ली। दुनिया इधर की उधर हो जाये, पलटते नहीं।’
अनुपमा कहती हैं, ‘साल 2020 का उपचुनाव और अभी 2023 के विधानसभा चुनाव के नतीजे इसका ताजा उदाहरण हैं। दोनों ही बार कांग्रेस को जीत ‘कसम’ की वजह से ही मिली। मावई के भाजपा में जाने से कोई फायदा पार्टी को मिलेगा, इसकी संभावनाएं नहीं हैं।’