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प्रदूषण से बुरा हाल, दिल्ली-आसपास के शहरों में स्कूल-कॉलेज बंद

प्रदूषण से बुरा हाल, दिल्ली-आसपास के शहरों में स्कूल-कॉलेज बंद

दिल्ली और आस-पास के शहरों में सांस लेना मुश्किल हो गया है। सांस संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों और बुजुर्गों को इससे काफ़ी दिक़्क़त हो रही है। 

दिल्ली-एनसीआर की हवा में ज़हर घुल गया है। हालात इस क़दर ख़राब हो गए हैं कि स्कूल-कॉलेजों को बंद करना पड़ा है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने मंगलवार रात को कहा है कि स्कूल और कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद रखा जाए। माना जा रहा है कि स्कूल और कॉलेजों में एक बार फिर ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हो सकती हैं। लॉकडाउन के दौरान भी लंबे वक़्त तक इसी तरह कक्षाएं चली थीं। सवाल यही है कि ऐसे हालात का जिम्मेदार कौन है? 

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद प्रदूषण बढ़ गया है। दिवाली पर जमकर पटाखे फोड़े गए जबकि इस पर रोक लगाई गई थी। दिवाली के बाद से दिल्ली और एनसीआर के शहरों में जबरदस्त धुएं का गुबार दिख रहा है। 

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 9 पेज का आदेश जारी किया है। आयोग ने सुझाव दिया है कि एनसीआर में पड़ने वाले महानगरों की राज्य सरकारें 21 नवंबर तक कम से कम 50 फ़ीसदी स्टाफ़ को वर्क फ्रॉम होम करने के लिए कहें। इस मामले में आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। 

भारी जुर्माना लगाया जाए

आयोग ने कहा है कि एनसीआर में ऐसे लोग या संगठन जिन्होंने सड़कों पर निर्माण सामग्री या कचरे का ढेर लगाया हुआ है, उनके ख़िलाफ़ भारी जुर्माना लगाया जाए। साथ ही सड़कों को साफ करने वाली मशीनों को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। 

दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्यों को भी 21 नवंबर तक रोक दिया गया है। इसके अलावा दिल्ली के 11 में से केवल 5 थर्मल पावर स्टेशन ही चालू रहेंगे। दिल्ली और एनसीआर के राज्यों से कहा गया है कि वे ज़रूरी सामान ला रहे ट्रकों के अलावा बाक़ी ट्रकों को 21 नवंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में न आने दें। 

देखिए, इस पर चर्चा- 

एक अहम आदेश यह दिया गया है कि 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों को सड़कों पर न चलने दिया जाए। 

मंगलवार को दिल्ली सरकार ने भी एक हफ़्ते के लिए वीकेंड लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम होम का सुझाव दिया था। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लॉकडाउन लगाने को तैयार है। 

सख़्त है सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बेहद सख़्त है। कोर्ट ने सोमवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह 24 घंटे के भीतर पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अफ़सरों की बैठक बुलाए और प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए जाने वाले क़दम और उन पर अमल के लिए योजना तैयार करे। 

कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार व संबंधित राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों से एक हफ़्ते तक घर से काम कराने पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी और सुझाव दिया था कि दिल्ली में दो दिन का लॉकडाउन लगा दिया जाए। 

सीजेआई एनवी रमना ने कहा था, “हमने देखा है कि हालात कितने ख़राब हैं। हम अपने घर के अंदर भी मास्क पहन रहे हैं।”

सीजेआई ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए इमरजेंसी प्लान लेकर आए। लेकिन केंद्र सरकार ने इसका सारा दोष पंजाब में जल रही पराली के मत्थे जड़ दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दिल्ली के गंभीर प्रदूषण के लिए पराली 10 प्रतिशत से भी कम ज़िम्मेदार है और प्रदूषण में उद्योग और सड़क की धूल की बड़ी भूमिका है। 

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