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नौसेना में फर्जी बिल के जरिए 6.76 करोड़ के घोटाले का आरोप, सीबीआई ने की छापेमारी 

नौसेना में फर्जी बिल के जरिए 6.76 करोड़ के घोटाले का आरोप, सीबीआई ने की छापेमारी 

फर्जी बिल बनाकर नौसेना में 6.76 करोड़ का कथित घोटाला होने की बात सामने आई है। आरोप है कि ये फर्जी बिल आईटी हार्डवेयर की आपूर्ति के नाम पर बनाए गए थे। 

फर्जी बिल बनाकर नौसेना में 6.76 करोड़ का कथित घोटाला होने की बात सामने आई है। इस मामले में जांच एजेंसी सीबीआई ने वेस्टर्न नेवल कमांड (डब्ल्यूएनसी) के 4 अफ़सरों व 14 अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है। अफ़सरों में एक कैप्टन भी शामिल है। 

एनडीटीवी के मुताबिक, सीबीआई ने अभियुक्तों के ठिकानों पर छापेमारी की है और कुछ अहम सामग्री बरामद की है। बताया गया है कि सीबीआई ने दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 30 ठिकानों पर छापे मारे हैं। आरोप है कि ये फर्जी बिल डब्ल्यूएनसी में आईटी हार्डवेयर की आपूर्ति के नाम पर बनाए गए थे। 

सीबीआई द्वारा दर्ज एफ़आईआर में कहा गया है, डब्ल्यूएनसी के और नेवी के रक्षा खातों के प्रधान नियंत्रक कार्यालय, मुंबई के कुछ अफ़सरों ने निजी क्षेत्र के कुछ लोगों और कंपनियों के साथ मिलकर वेस्टर्न नेवल के अधिकारियों को धोखा देने की साज़िश रची और फर्जी बिल बनाए। 

सीबीआई ने कहा है कि कैप्टन अतुल कुलकर्णी, कमांडर मंदार गोडबोले और ओपी शर्मा की इसमें प्रमुख भूमिका थी। सीबीआई के मुताबिक़ सात फर्जी बिल बनाए गए थे और यह घटना 2016 की है। 

मुंबई स्थित नेवी के रक्षा खातों के प्रधान नियंत्रक कार्यालय के पांच अफ़सरों को भी सीबीआई की ओर से अभियुक्त बनाया गया है। इन पर आरोप है कि बिलों की ऑडिटिंग और पेमेंट में इनकी भूमिका रही है। 

जांच एजेंसी ने कहा है कि सभी अभियुक्तों ने अपने पदों का दुरुपयोग कर सीनियर अधिकारियों को धोखा दिया और जनता के पैसे को लूटा। 

एनडीटीवी के मुताबिक़, सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि शुरुआती जांच में यह पता चला है कि इन बिलों में दर्ज की गई किसी भी वस्तु की आपूर्ति डब्ल्यूएनसी के ऑफ़िस को नहीं की गई। इसके अलावा बिलों की प्रक्रिया, इनकी स्वीकृति, वित्तीय मंजूरी, खरीद के ऑर्डर से जुड़ा कोई भी दस्तावेज डब्ल्यूएनसी के ऑफ़िस में नहीं है और इससे पता चलता है कि ये सारे बिल पूरी तरह जाली थे। 

सात में से दो बिलों की कॉपी एनडीटीवी के पास है। 1.91 करोड़ का एक बिल 23 मार्च, 2016 को स्टार नेटवर्क के नाम पर बना था जबकि 2.93 करोड़ का दूसरा बिल एसीएमई नेटवर्क के नाम बना था। 

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