एमपी फ़्लोर टेस्ट से जुड़े राज्यपाल के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में मध्य प्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार को फ़्लोर टेस्ट देने संबंधी राज्यपाल लालजी टंडन के निर्णय को उचित क़रार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिये अपने एक फ़ैसले में कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार को लेकर जो हालात और तथ्य थे, उसके मद्देनज़र राज्यपाल लालजी टंडन का आदेश सही था।
क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने?
दरअसल राज्यपाल द्वारा दिये गये फ़्लोर टेस्ट के निर्देश को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को मंज़ूर नहीं किया कि राज्यपाल आदेश पारित नहीं कर सकते।सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, ‘सदन में बहुमत साबित करने के सिर्फ दो तरीके होते हैं, पहला - अविश्वास प्रस्ताव और दूसरा - फ़्लोर टेस्ट। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को लेकर जो परिस्थितियाँ बनी थीं, उसमें राज्यपाल ने फ़्लोर टेस्ट का निर्णय लेकर सही किया था।’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है, ‘फ़्लोर टेस्ट क्यों ज़रूरी है, इस पर एस.आर. बोम्मई मामले के बाद से कोई फ़ैसला नहीं हुआ है।’
मध्य प्रदेश में राज्यपाल ने अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति का प्रयोग किया था।
बोम्मई मामला?
बोम्मई मामले में यह साफ़ हुआ था बहुमत का फ़ैसला सदन के पटल पर ही किया जा सकता है। इसके अलावा इस मामले में क़ानून और राज्यपाल की शक्तियों पर एक विस्तृत निर्णय दिया गया था।बता दें, मध्य प्रदेश में फ़्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विस्तृत आदेश जारी किया है। लेकिन इससे पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई और बीजेपी ने सरकार बना ली।
क्या है मामला?
यह भी बता दें सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में इस मामले को लेकर 19 मार्च को दिये गये अपने अंतरिम आदेश कहा था कि 20 मार्च को शाम 5 बजे फ़्लोर टेस्ट कराया जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल कर फ़्लोर टेस्ट कराने की माँग की थी और कहा था कि 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है, सरकार अल्पमत में है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के स्पीकर को सुझाव दिया था कि वह बाग़ी विधायकों से वीडियो कान्फ्रेसिंग के ज़रिये बात करें। कोर्ट इसके लिए एक आब्जर्वर नियुक्त कर सकता है। स्पीकर की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस सुझाव को खारिज कर दिया था।
दो दिन की लंबी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने अंतरिम फैसला दिया था कि विधानसभा में 20 मार्च को शाम 5 बजे के पूर्व फ़्लोर टेस्ट कराया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा था कि मीटिंग का एक सूत्री एजेंडा फ़्लोर टेस्ट होगा। इसके लिए हाथ उठाकर वोटिंग होगी। विधानसभा की कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग की जाएगी। संबंधित अथाॅरिटी इस बात को सुनिश्चित करेगी कि फ़्लोर टेस्ट के दौरान क़ानून व्यवस्था कायम रहेगी।
राज्य के डीजीपी को निर्देश दिया गया था कि वह इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि बाग़ी विधायकों को आने से न रोका जाए उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जाए।
फ़्लोर टेस्ट के पहले ही 20 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। इससे इस पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया था।