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प्रवासी मज़दूरों पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, केंद्र-राज्य-केंद्र शासित क्षेत्रों को नोटिस

प्रवासी मज़दूरों पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, केंद्र-राज्य-केंद्र शासित क्षेत्रों को नोटिस

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी मज़दूरों की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र-शासित क्षेत्रों को नोटिस जारी किया है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवासी मज़दूरों की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र-शासित क्षेत्रों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने नोटिस में इन सबसे पूछा है कि उन्होंने प्रवासी मज़दूरों की इस स्थिति को ठीक करने के लिए क्या किया है 

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय कृष्ण कौल और जस्टिस एम. आर. शाह के खंडपीठ ने साफ़ शब्दों में कहा है कि ‘केंद्र और राज्य सरकारों से चूकें हुई हैं।’ 

सर्वोच्च अदालत ने इसके साथ ही इन सब सरकारों से कहा है कि वे इन मज़दूरों की यात्रा, उनके खाने-पीने और उनके ठहरने का उचित प्रबंध करे।

'दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति'

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मीडिया में लगातार यह बताया जा रहा है और यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये मज़दूर पैदल या साइकिल से बहुत ही दयनीय स्थिति में लंबी दूरी तय कर रहे हैं। 

अदालत ने इस बात के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की खिंचाई की है कि ये मज़दूर अब भी पैदल जा रहे हैं। अदालत ने कहा है, ‘पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति में समाज के इस वर्ग को मदद की ज़रूरत है, ख़ास कर केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित-क्षेत्रों को चाहिए कि वे इन लोगों की मदद में आगे आएं।’

 - Satya Hindi

अदालत ने इस मुद्दे पर अगली सुनवाई की तारीख़ 28 मई तय की है और सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता को प्रवासी मज़दूरों के मामले में मदद करने को कहा है।

दूसरी बेंच ने क्या कहा था

इसके पहले एक दूसरी बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था जिसमें प्रवासी मज़दूरों के लिए खाने-पीने, यात्रा और ठहरने के इंतजाम करने के लिए राज्य सरकार से कहने के लिए अर्जी दी गई थी।

दस दिन पहले जस्टिस एल नागेश्वर राव, एस. के.कौल औ जस्टिस बी. आर. गवई के खंडपीठ ने कहा था की हम भला प्रवासी मज़दूरों को चलने से कैसे रोक सकते हैं जस्टिस कौल ने पूछा था, ‘वे जब रेल लाइन पर सो जाते हैं तो कोई ऐसा होने से कैसे रोक सकता है’

जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा था, ‘ऐसे लोग हैं जो बस चलते ही जा रहे हैं, नहीं रुक रहे हैं। हम उन्हें चलने से कैसे रोक सकते हैं’

इस जनहित याचिका में महाराष्ट्र में रेल लाइन पर सोए हुए 16 लोगों के ट्रेन आने से कट कर मर जाने की बात कही गई थी। 

बता दें कि पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर लाखों की तादाद में लोग पैदल या साइकिल जैसे वाहनों से लंबी दूरी तय कर अपने घर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने यकायक घोषणा कर सिर्फ 4 घंटे के नोटिस पर 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था। उसके बाद तीन बार लॉकडाउन बढ़ाया गया है और मौजूदा चरण के 31 मई को ख़त्म होने की समय सीमा तय है।    

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