25,000 शिक्षकों की नौकरी जाने के केस में सीबीआई जाँच पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
कथित शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। इसने सीबीआई जाँच पर रोक लगा दी है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 25,000 शिक्षकों की नौकरी जाने के बाद राज्य सरकार के अधिकारियों की भूमिका की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में राज्य संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में स्कूल सेवा आयोग यानी एसएससी द्वारा की गई 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करने वाले आदेश को चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी अपील में कहा कि उच्च न्यायालय ने नियुक्तियों को 'मनमाने ढंग से' रद्द कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, 'हम उस निर्देश पर रोक लगाएंगे जिसमें कहा गया है कि सीबीआई राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ आगे की जांच करेगी।' पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई 6 मई को करेगी।
अपने आदेश में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई राज्य सरकार में अवैध नियुक्तियों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त पदों को मंजूरी देने में शामिल लोगों के संबंध में आगे की जांच करेगी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि ज़रूरी हुआ तो सीबीआई इसमें शामिल ऐसे व्यक्तियों से हिरासत में पूछताछ भी करेगी।
याचिका में कहा गया, 'उच्च न्यायालय पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द करने के प्रभाव को समझने में विफल रहा, जिससे शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सीधे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। राज्य को ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त समय दिए बिना, कार्रवाई की गई। अब शिक्षा प्रणाली ठप है।'
बता दें कि 26 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा गठित स्कूल शिक्षकों के लिए पूरे 2016 भर्ती पैनल को रद्द कर दिया। पीठ ने सीबीआई को मामले में आगे की जांच करने और तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि अगर जरूरी हुआ तो सीबीआई मामले से जुड़े लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है।
हाई कोर्ट के आदेश के दो दिन बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार ने फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। ममता सरकार ने आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय ने मौखिक बयानों के आधार पर और रिकॉर्ड पर किसी भी हलफनामे के बिना आदेश दिया था। इसने यह भी कहा था कि सरकार को कोई ज़रूरी व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय दिए बिना मनमाने ढंग से नियुक्तियों के साथ-साथ पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने डब्ल्यूबीएसएससी को लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के एक पखवाड़े के भीतर नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। सरकार ने इसे भी शीर्ष अदालत में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने भर्ती प्रवेश परीक्षा की 23 लाख ओएमआर शीट (टेस्ट पेपर) के पुनर्मूल्यांकन का भी आदेश दिया था।