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पत्रकार गौतम नवलखा को राहत, SC ने जेल से नजरबंदी में भेजा

पत्रकार गौतम नवलखा को राहत, SC ने जेल से नजरबंदी में भेजा

भीमा कोरेगांव मामले में पिछले पांच वर्षों से जेल में कैद पत्रकार गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राहत दी। उन्हें एक महीने के लिए नजरबंदी में भेजा गया है। लेकिन कुछ शर्तें भी लगाई हैं। जिसमें मोबाइल, इंटरनेट, लैपटॉप के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। पढ़िए पूरी जानकारीः 

पत्रकार गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने के लिए तमाम शर्तों के साथ नजरबंद (हाउस अरेस्ट) करने का आदेश दिया है। भीमा कोरेगांव केस में आरोपी गौतम नवलखा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, और करीब पांच वर्षों से वो जेल में हैं। जेल में उनकी सेहत बहुत बिगड़ गई थी।

नवलखा को 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण देने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया था कि अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी। गौतम फिलहाल तलोजा जेल में बंद हैं।

सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने गौतम नवलखा को जेल से नजरबंदी में यह कहते हुए विरोध किया कि गौतम नवलखा के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध हैं। इसलिए उन्हें जेल में ही रखा जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ नजरबंदी में भेजने का आदेश दिया।

अदालत ने अधिकारियों को उस मकान का आवश्यक जांच करने का निर्देश दिया, जहां नवलखा को नजरबंदी में रखा जाएगा। उन्हें 48 घंटों में वहां ले जाने को कहा गया है। अदालत ने नवलखा को मकान में पुलिसकर्मियों को उपलब्ध कराने के खर्च के लिए 2.4 लाख रुपये जमा करने को कहा।

अदालत ने कुछ अन्य शर्तें भी लगाई हैं। जिनमें मुख्य शर्त यह है कि नजरबंदी के दौरान गौतम नवलखा मोबाइल, इंटरनेट, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल नहीं कर सकते। अलबत्ता, पुलिस की मौजूदगी में दिन में एक बार 10 मिनट के लिए पुलिस द्वारा दिए गए मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि अगर गौतम नवलखा के किसी जानने वाले को परिसर के अंदर जाने की अनुमति होगी तो उसके मोबाइल में इंटरनेट नहीं होना चाहिए। उनके पास कॉल और एसएमएस करने के लिए एक बुनियादी फोन हो सकता है।

अदालत ने कहा कि हम उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें नजरबंद करना उचित समझते हैं। इसके अलावा, हमारा ध्यान याचिकाकर्ता की कई बीमारियों की ओर गया है। 70 साल के गौतम नवलखा ने कोर्ट को बताया था कि वह स्किन की एलर्जी और दांत की समस्याओं से पीड़ित हैं, और वह संदिग्ध कैंसर के मद्देनजर टेस्ट कराना चाहते हैं।

अदालती कार्यवाही के दौरान, राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने एक प्राइवेट अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट पर संदेह जताते हुए कहा कि डॉक्टरों में से एक आरोपी से संबंधित है। जांच एजेंसी ने अदालत से कहा कि नजरबंदी की याचिका पर फैसला करने से पहले गौतम नवलखा की एक स्वतंत्र मेडिकल रिपोर्ट मांगी जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भी जांच एजेंसी से उन प्रतिबंधों के बारे में सूचित करने के लिए कहा था जिसे नजरबंद की हालत में लागू किया जाना था। एनआईए ने नवलखा की याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि वह कश्मीरी चरमपंथियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी "आईएसआई" के संपर्क में हैं।

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