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किसानों से सुप्रीम कोर्ट बोला- आपने पूरी दिल्ली का गला घोंटा, अब शहर में घुसेंगे?

किसानों से सुप्रीम कोर्ट बोला- आपने पूरी दिल्ली का गला घोंटा, अब शहर में घुसेंगे?

किसानों के एक संगठन ने जब जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की मांग की याचिका लगाई तो जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर भी क्या टिप्पणी की

किसानों को सुप्रीम कोर्ट से लगातार दूसरे दिन झटका लगा है। इसने शुक्रवार को किसानों से कहा कि उन्होंने 'पूरे शहर का गला घोंट दिया है और अब शहर के अंदर आना चाहते हैं?' अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब वह किसान संघों की जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने महीनों से दिल्ली के आसपास सड़कों और राजमार्गों को जाम करने वाले प्रदर्शनकारी किसानों को फटकार लगाई।

याचिका 'किसान महापंचायत' नाम के एक समूह द्वारा दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस खानविलकर ने कहा, 'आप यात्रा कर रहे सुरक्षाकर्मियों को रोक रहे हैं। आपने ट्रेनों को अवरुद्ध किया, आपने राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया, आपको अनुमति कैसे दी जा सकती है?'

इस पर याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया, 'राजमार्गों को पुलिस ने अवरुद्ध कर दिया है। हमें पुलिस ने हिरासत में लिया है। हम जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण विरोध चाहते हैं। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'आप याचिका दायर करने के बाद विरोध जारी नहीं रख सकते। आपने राजमार्गों और ट्रेनों को अवरुद्ध कर दिया है।'

इस समूह ने शांतिपूर्ण और अहिंसक 'सत्याग्रह' के आयोजन के लिए जंतर मंतर पर कम से कम 200 किसानों या प्रदर्शनकारियों को जगह उपलब्ध कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की सुप्रीम कोर्ट से अपील की है।

जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने कहा, 'आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया है, अब आप शहर के अंदर आना चाहते हैं। आसपास के निवासी, क्या वे विरोध से खुश हैं? यह सब बंद होना चाहिए।'

न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, 'आप राजमार्गों को अवरुद्ध करते हैं और फिर कहते हैं कि विरोध शांतिपूर्ण है। नागरिकों को भी घूमने का अधिकार है। उनकी संपत्तियों को नुक़सान पहुँचाया जा रहा है। आप सुरक्षा को भी प्रभावित कर रहे हैं। आपने सुरक्षा कर्मियों को भी रोका।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यदि आप किसान विरोध का हिस्सा नहीं हैं तो एक हलफनामा दायर करें कि आप उस विरोध का हिस्सा नहीं हैं जो शहर की सीमाओं पर राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर रहा है।' इसके साथ ही याचिका पर सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी गई है।

इससे पहले गुरुवार को भी सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की थी। इसने कहा था कि हाइवे को कैसे बंद किया जा सकता है और यह हमेशा के लिए किया जा रहा है। यह कब समाप्त होगा?

अदालत ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर बंद की गई सड़क को खोलने का अनुरोध करने वाली याचिका में किसान संगठनों को भी पक्षकार बनाने के लिए औपचारिक अर्जी दायर करने की केंद्र को अनुमति दे दी। इसने कहा था कि समस्याओं का समाधान न्यायिक मंच, विरोध प्रदर्शनों या संसद में बहस के ज़रिए किया जा सकता है। 

जस्‍ट‍िस संजय किशन कौल और जस्‍ट‍िस एम एम सुंदरेश की बेंच ने केंद्र से पूछा था कि दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों द्वारा सड़क की नाकेबंदी को हटाने के लिए क्या क़दम उठाए गए हैं?

बेंच ने केंद्र सरकार के वकील से कहा, 'हमने पहले ही क़ानून बना दिया है और आपको इसे लागू करना होगा। ऐसे कैसे किसान इतने लंबे समय तक हाइवे बंद रख सकते हैं।'

सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को केंद्र से तीन कृषि क़ानूनों का विरोध करने वाले किसानों द्वारा की जा रही सड़कों की नाकेबंदी की समस्या का समाधान खोजने को कहा था। इससे पहले उसने कहा था कि प्रदर्शनकारियों को एक तय जगह पर विरोध करने का अधिकार है, लेकिन वे मार्गों को जाम नहीं कर सकते।

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