धनबाद जज उत्तम आनंद की कथित हत्या के मामले की सीबीआई जाँच झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा है कि वह इस मामले में सीबीआई जाँच की प्रगति की साप्ताहिक निगरानी करेंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस सूर्यकांत इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।
उत्तम आनंद की कथित हत्या की ख़बर आने पर 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी से जाँच पर एक हफ़्ते में रिपोर्ट मांगी थी। तब राज्य सरकार ने विशेष जांच दल यानी एसआईटी गठित की थी। एसआईटी की जाँच की प्रक्रिया को लेकर झारखंड हाई कोर्ट ने सवाल उठाए थे। हालाँकि बाद में राज्य सरकार ने इस मामले की सीबीआई जाँच की सिफारिश की थी।
सीबीआई ने आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया। एजेंसी की प्राथमिकी में कहा गया है कि सीबीआई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय कुमार शुक्ला मामले के जाँच अधिकारी हैं।
धनबाद ज़िले की यह घटना 28 जुलाई को हुई थी। शुरुआती रिपोर्ट आई थी कि जज की मौत ऑटो की टक्कर से हुई। लेकिन इसके साथ ही हत्या की आशंका जताई जा रही थी। बाद में इस घटना का वीडियो आने पर वह आशंका और पुष्ट हुई कि यह टक्कर जानबूझकर मारी गई है। घटना 28 जुलाई सुबह उस वक़्त हुई थी जब एडिशनल जज उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक पर थे। वीडियो क्लिप में दिख रहा था कि जज उत्तम आनंद सड़क किनारे मॉर्निंग वॉक पर थे और पूरी सड़क खाली थी। लेकिन ऑटो ड्राइवर ऑटो को बीच सड़क से किनारे ले आया और जज को टक्कर मारकर फरार हो गया।
इस घटना की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने इसका संज्ञान लिया। सीजेआई एनवी रमन्ना ने झारखंड हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस से इस मामले में बात की। इसकी जाँच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया और एडीजी ऑपरेशन एसआईटी टीम के इंचार्ज बनाए गए।
पाँच दिन पहले एसआईटी की झारखंड हाई कोर्ट ने ज़बरदस्त फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि झारखंड पुलिस 'एक ख़ास जवाब' पाने के लिए ख़ास 'सवाल पूछ रही है'।
कोर्ट ने कहा था कि यह सही नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा था कि ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौत 'सिर पर कठोर और कुंद पदार्थ से चोट लगने के कारण' हुई थी। इसी का हवाला देते हुए कोर्ट ने पूछा कि ऐसे में पुलिस क्यों पूछ रही थी कि क्या गिरने के कारण ऐसी चोटें संभव हैं।
मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण की खंडपीठ ने कहा था, "हमने जाँच अधिकारी श्री विनय कुमार... डॉ. कुमार शुभेंदु, सहायक प्रोफेसर... एसएनएमसीसी, धनबाद से तैयार की गई प्रश्नावली का अध्ययन किया है: 'कृपया बताएँ कि क्या सिर में चोट सड़क की सतह पर गिरने से संभव है या नहीं?' ... जब जाँच एजेंसी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए घटना की जाँच कर रही है, फिर जाँच अधिकारी द्वारा संबंधित डॉक्टर से कैसे और किन परिस्थितियों में ऐसा सवाल पूछा जा रहा है, वह भी तब जब सीसीटीवी फुटेज घटना के पूरे दृश्य को स्पष्ट करता है?"
बेंच ने कहा था, 'पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट स्पष्ट रूप से खुलासा करती है कि घातक चोट एक कठोर और कुंद पदार्थ के कारण लगी है। तो अब जाँच एजेंसी को अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार का पता लगाना है। एक विशेष जवाब पाने के लिए डॉक्टर को एक विशेष प्रश्न पूछने की बिल्कुल भी सराहना नहीं की जाएगी।' अदालत ने कहा कि उसे पुलिस से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
अदालत ने कहा था कि साज़िश का पता लगाना और मास्टरमाइंड को पकड़ना आवश्यक है और सिर्फ़ मोहरे को पकड़ना किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा। कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने में हो रही देरी पर भी सवाल उठाया था।