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बिक्रम मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत, चुनाव से पहले कार्रवाई पर सवाल

बिक्रम मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत, चुनाव से पहले कार्रवाई पर सवाल

ड्रग्स केस में अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर राहत दी है? जानिए अदालत ने क्या कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को राहत देते हुए चुनाव से ऐन पहले उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। शीर्ष अदालत ने सोमवार को पंजाब पुलिस को निर्देश दिया है कि वह 23 फ़रवरी तक मजीठिया को ड्रग्स के मामले में गिरफ्तार न करे ताकि वह राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर सकें।

मजीठिया के ख़िलाफ़ 20 दिसंबर को एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 25 (किसी अपराध के लिए परिसर आदि का उपयोग करने की अनुमति देना), 27 ए (अवैध यातायात को वित्तपोषित करना और अपराधियों को शरण देना) और धारा 29 (आपराधिक साजिश और अपराध को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था। एनडीपीएस की धारा 27 के तहत किए गए अपराध गैर-जमानती हैं। मोहाली की एक अदालत ने मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद से वह गिरफ्तारी से बचते रहे थे।

इसके बाद उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और तब अदालत ने मजीठिया को अंतरिम जमानत दे दी थी। 

बहरहाल, अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'यह कहते हुए खेद है कि अचानक चुनाव से पहले ये मामले सामने आ रहे हैं और हर किसी के पास किसी न किसी मक़सद पर संदेह करने के कारण हैं।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में उम्मीदवारों को कम से कम नामांकन दाखिल करने और चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने हालाँकि मजीठिया को निर्देश दिया कि वह 20 फ़रवरी को होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करें। इसने निचली अदालत को मामले में आत्मसमर्पण करने के बाद मजीठिया की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई और शीघ्र निर्णय लेने का भी निर्देश दिया।

मजीठिया पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ अमृतसर पूर्व सीट सहित दो सीटों से पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने मजीठा निर्वाचन क्षेत्र से भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है, जहां से वह मौजूदा विधायक हैं।

मजीठिया और सिद्धू दोनों ही पंजाब की सियासत के बड़े नेता हैं। सिद्धू बिक्रम सिंह मजीठिया के ख़िलाफ़ नशे के मामले में पिछले कई सालों से मोर्चा खोले हुए हैं। सिद्धू इसको लेकर पहले अमरिंदर सिंह और अब चरणजीत सिंह चन्नी पर भी दबाव बनाते रहे कि मजीठिया के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए। 

मजीठिया के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज होने के कारण अकाली दल मुश्किलों में घिर गया था लेकिन सुखबीर बादल ने मजीठिया को सिद्धू के ख़िलाफ़ उतारकर यह बता दिया है कि अकाली दल कांग्रेस के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ाई लड़ेगा।

नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर ईस्ट सीट से कई बार चुनाव जीत चुके हैं और इसलिए इस हलके में वह काफी मजबूत हैं। जबकि बिक्रम सिंह मजीठिया का सियासी हलका मजीठा भी अमृतसर के पास ही है इसलिए मजीठिया को यहां से चुनाव लड़ने में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

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