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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बड़ी राहत दी है। जानिए, इसने क्या फ़ैसला दिया। 

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस केस को खारिज कर दिया। कांग्रेस नेता ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक कथित मामले में उन्हें जारी ईडी के समन को रद्द करने से इनकार कर दिया था। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फ़ैसला दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता के खिलाफ 2018 के मनी लॉन्ड्रिंग मामले को खारिज कर दिया। यह मामला कर चोरी और करोड़ों रुपये के हवाला लेनदेन के आरोपों से जुड़ा है। इस सिलसिले में कांग्रेस नेता को सितंबर 2019 में ईडी के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। हालाँकि कुछ हफ्तों में ही दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी।

शिवकुमार ने तब भाजपा पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया था। डीके शिवकुमार ने बार-बार भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया है। 

कांग्रेस नेता के खिलाफ ईडी की जांच 2017 में उनके और उनके सहयोगियों से जुड़े परिसरों पर आयकर विभाग की छापेमारी के बाद हुई थी। अधिकारियों ने तब कहा था कि इन छापों में लगभग 300 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई थी। डीके शिवकुमार ने पलटवार करते हुए कहा था कि नकदी का संबंध बीजेपी से है।

पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि आपराधिक साजिश- आईपीसी की 120बी के तहत - धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराध के रूप में तभी माना जाएगा, जब कथित साजिश अधिनियम की अनुसूची में शामिल अपराध करने के लिए हो। ईडी ने इस फैसले की समीक्षा की मांग की है। 

शिवकुमार ने 2019 में कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और ईडी द्वारा जारी समन को खारिज करने की मांग की थी। वहाँ कोई राहत नहीं मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

शिवकुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक और मामला इस समय कर्नाटक में बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद के केंद्र में है। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने हाल ही में मामले की जांच के लिए सीबीआई को दी गई मंजूरी वापस ले ली है। केंद्रीय एजेंसी ने अब नई सरकार के कदम को अदालत में चुनौती दी है।

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